मेवात में नहीं है शिक्षा विभाग के अधिकारी, फिर वो कहते हैं, पढते ही नहीं।
–जिले में डीईईओ, तीन डिप्टी डीईओ, चार बीईओ, तीन बीआरसी, 09 प्रिंसिपल, 8 हाई स्कूल, 122 मिडिल और 91 प्राइमरी के मुख्य अध्यापकों के पद खाली है।
–पीजीटी के, मास्टर व जेबीटी सहित 6000 पद काफी समय से खाली हैं।
फोटो–स्कूल के बच्चे
फोटो-परमजीत सिंह चहल जिला शिक्षा अधिकारी
यूनुस अलवी
नूंह,
नूंह जिला भले ही कंेद्र सरकार ने देश के अति पिछड़े जिलों में शामिल कर रखा है। और सरकार और अधिकारी आए दिन दावा करते हैं कि मेवात में बहुत अच्छा हो रहा है। अगर हम मेवात के केवल शिक्षा विभाग पर ही एक नजर डाले तो पता चलता है कि नूंह का जिला शिक्षा विभाग बिना अधिकारियों के चल रहा है। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब अधिकारी, प्रिंसिपल और मुख्याध्यापक ही नहीं होंगे तो शिक्षा का स्तर मेवात में कैसे ऊपर उठ सकता है। मेवात के जब शिक्षा विभाग में अधिकारी नहीं होंगे तो फिर वो क्यों कहते हैं कि पढते ही नहीं है। अब सवाल ये है कि मेवाती पढ़ते ही नहीं है या फिर सरकार मेवात मंे शिक्षा के प्रति गंभीर नहीं है।
मेवात फिलहाल नूंह जिला में जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, तीन उपजिला शिक्षा अधिकारी, चार खण्ड शिक्षा अधिकारी, तीन बीआरसी, 09 प्रिंसिपल, 8 हाई स्कूल के मुख्याध्यापक, मिडिल के 122 मुख्याध्यापक, प्राइमरी के 91 मुख्याध्यपकों के इलावा 1085 पीजीटी, 1830 टीजीटी व 2843 जेबीटी सहित जिले में कुल 6 हजार पद काफी समय से खाली हैं। इसका मुख्य कारण यह भी है कि काफी दिनों से अध्यापकों की भर्ती नहीं हो सकी है।
नूंह शिक्षा विभाग में अधिकारी और स्कूल हेडों के पद रिक्त होने से मेवात में शिक्षा का स्तर दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है। नूंह जिला में तीन उप जिला शिक्षा अधिकारी के पद स्विकृत हैं, तीनों खाली हैं। जिले में पांच खण्ड शिक्षा अधिकारी के पद स्विकृत हैं चार खाली हैं। बीआरसी के पांच पदों में से तीन खाली है। जिले में 117 वरिश्ट माध्यकमिक स्कूलों में 9 प्राचार्य के पद खाली है। आठ हाई स्कूल हैं सभी में आठों हेडमास्टरों के पद खाली है। 193 मिडिल स्कूलों में 122 हेडमास्टर के पद खाली है। प्राइमरी के 333 हेडमास्टरों में से 91 पद खाली है। इसी तरह पीजीटी के 1711 पदों में से 1085, टीजीटी के 2744 में से 1830 और जेबीटी के 4293 में से 2843 पद खाली है। ये दिगर बात है कि सरकार ने पीजीटी के 115, टीजीटी के 240 और जेबीटी के 876 नियमित पदों पर अतिथि अध्यापक नियुक्त किए हुए हैं। कुल मिलाकर जिला में करीब 6 हजार यानी करीब 60 फीसदी से अधिक पद खाली है। इतना ही नहीं जिले में क्लेरिकल और कर्मचारियों के पद भी भारी संख्या में खाली है। मसलन, अधीक्षक का एक पद स्वीकृत है वह भी खाली है। उप अधीक्षक के 6 में से चार खाली है। सहायक के 15 में से 12 पद खाली हैं। स्टेनो टाइपिस्ट के तीनों स्वीकृत पद खाली हैं। लिपिक के 279 में 90 खाली है। फोर्थ क्लास के 599 मेे से 263 पद खाली है। इस तरह ये खाली पदों का आंकडा साड़े 6 हजार से अधिक पहुंच जाता है।
मेवात मे रिक्त पदों से शिक्षा अधिकारी ही नहीं बल्कि स्कूलों मास्टर, छात्र छात्राऐं और परिजन भी खासे परेशान हैं। प्रयाप्त अध्यापक ने होनके चलते बच्चे अपने सबजेक्ट को भी पूरा नही ंकर पाते है। जिसका सीधा असर बोर्ड की परीक्षाओं में देखने को मिलता है। स्कूल की छात्राओं का कहना है कि उनके स्कूलों में लेकचरार और मास्टरों की कमी से उनकी पढ़ाई पर बुरा असर पड रहा है। उनके स्कूलों में साइंस, अंग्रेजी सहित अन्य विषयों के टीचर ने होने से उन्हें काफी परेशानी होती है। वे अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाती है।
मेवात के समाजसेवी फजरूद्दीन बेसर, वरिष्ट एडवोकेट ताहिर हुसैन रूपडिया, ताहिर हुसैन देवला का कहना है कि सरकार सही मायने में मेवात को शिक्षा देना ही नहीं चहाती। यहां राजनेता इस ओर कभी ध्यान नहीं देते, इसी का नतीजा है कि मेवात आज पूरे देश में शिक्षा के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि विकास में सबसे पिछडा क्षेत्र है। सरकार के नीति आयोग के अनुसार मेवात देश के सबसे पिछले 112 जिलों में सबसे ऊपर है।
मेवात के जिला शिक्षा अधिकारी परमजीत सिंह चहल का कहना है कि जिला शिक्षा विभाग में एक भी उप जिला शिक्षा अधिकारी, जिला मौलिक शिक्षा अधिकार नहीं है। साथ ही बीईओ, बीआरसी के भी अधिक्तर पद खाली है। उन्होने कहा कि जिले में खाली पदो ंके बारे में उच्च अधिकारियों को डिटेल भेजकर अवगत कराया हुआ है। जैसे ही अध्यापकों की भर्ती होगी मेवात में सबसे ज्यादा अध्या
पक लगाए जाऐगें।
No Comment.