जिले के अलाफिया अस्पताल मांडीखेड़ा में मनाया गया विश्व मलेरिया दिवस :
यूनुस अलवी,
नूंह।
सिविल सर्जन डॉ. सरवजीत थापर के आदेशानुसार शुक्रवार को अलाफिया अस्पताल मांडीखेड़ा व पी.एम.श्री. राजकीय वरिष्ठï माध्यमिक विद्यालय मालब में विश्व मलेरिया दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. मनप्रीत सिंह ने कहा कि विश्व मलेरिया दिवस हर वर्ष 25 अप्रैल को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना है। यह दिन हमें मलेरिया की रोकथाम, पहचान और समय पर उपचार की अहमियत का संदेश देता है, मलेरिया एक मच्छर जनित रोग है। उन्होंने कहा कि इस दिन का उद्देश्य मलेरिया की रोकथाम और इलाज के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। यह दिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (ङ्ख॥ह्र) द्वारा शुरू किया गया था। इससे मलेरिया के खिलाफ वैश्विक प्रयासों को समर्थन मिलता है। उन्होंने कहा कि पहली बार विश्व मलेरिया दिवस 25 अप्रैल 2008 को मनाया गया था।
उन्होंने स्कूली बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि मलेरिया के परजीवी का वाहक मादा एनोफिलेज मच्छर है। इसके काटने पर मलेरिया के परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं में प्रवेश कर के बहुगुणित होते हैं जिससे रक्तहीनता (एनीमिया) के लक्षण उभरते हैं (चक्कर आना, साँस फूलना, द्रुतनाड़ी इत्यादि)। इसके अलावा अविशिष्ट लक्षण जैसे कि बुखार, सर्दी, उबकाई और जुखाम जैसी अनुभूति भी देखे जाते हैं। गंभीर मामलों में मरीज मूच्र्छा में जा सकता है और मृत्यु भी हो सकती है।
उन्होंने कहा कि मलेरिया के फैलाव को रोकने के लिए कई उपाय किये जा सकते हैं। जैसे कि मच्छरदानी का प्रयोग व कीटनाशक दवा के छिडक़ाव तथा जमा हुआ जल (जिस पर मच्छर अण्डे देते हैं) की निकासी से मच्छरों का नियन्त्रण किया जा सकता है। मलेरिया प्रभावी इलाके के ज्यादातर वयस्क लोगों मे बार-बार मलेरिया होने की प्रवृत्ति होती है। उन्होंने कहा कि मलेरिया संक्रमण का इलाज कुनैन या आर्टिमीसिनिन जैसी मलेरियारोधी दवाओं से किया जाता है।

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