जमीयत सम्मेलन देवबंद में बोले महमूद मदनी, हमको मौका मिला था पाकिस्तान जाने का। लेकिन हम नहीं गए। बात-बात पर पाकिस्तान भेजने वाले खुद पाकिस्तान चले जाएं।
ख़बरहक़
नई दिल्ली, 29 मई 2022
उत्तर प्रदेश के देवबंद आयोजित जमीयत ए उलेमा के सम्मेलन के दूसरे दिन सम्मेलन में कॉमन सिविल कोड सहित कई मुद्दों पर अहम प्रस्ताव पास हुए। जमीयत अध्यक्ष के मौलाना महमूद मदनी ने जलसे में मौजूद लोगों से सब्र करने के लिए कहा। साथ ही बात बात पर पाकिस्तान जाने की कहने वालों को भी मदनी ने करारा जवाब देते हुए कहा के मुल्क हमारा है, इसे हम बचाएंगे, पहले भी हमारे पुरखों ने देश की खातिर कुर्बानिया दी है और आगे भी देश को ज़रूरत पड़ी तो देश का मुसलमान क़ुरबानी देने से पीछे नही हटेगा।
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जमीयत अध्यक्ष के मौलाना महमूद मदनी ने सम्मेलन में एक किस्से का जिक्र करते हुए कहा, ‘2014 में सीबीआई ने मेरे खिलाफ केस किया। मैंने 5 साल से ज्यादा केस लड़ा। इसलिए बता रहा हूं सब्र करना किसे कहते हैं। मौलाना महमूद मदनी ने कहा ये देश हमारा है, हम इसे बचाएंगे। किसी को अगर हमारा मजहब बर्दाश्त नहीं है तो कहीं और चले जाओ। हमको मौका मिला था पाकिस्तान जाने का। लेकिन हम नहीं गए। बात-बात पर पाकिस्तान भेजने वाले खुद पाकिस्तान चले जाएं।
मदनी ने कहा कि, हमारे लहजे में इन्हें नफरत कहां से नजर आ रही है। हम डराते नहीं हैं आप डराने का काम करते हैं। हम गैर नहीं हैं, हम इस मुल्क के हैं, ये हमारा मुल्क है। हम अपने मुल्क के लिए अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे। हमारी तहजीब, खाने-पीने के तरीके अलग हैं। अगर तुमको हमारा मजहब बर्दाश्त नहीं है तो तुम कहीं और चले जाओ। वो जरा-जरा सी बात पर कहते हैं कि पाकिस्तान चले जाओ। हमें तो मौका मिला था, लेकिन हमने उसे रिजेक्ट कर दिया। जमीयत अध्यक्ष ने आगे कहा कि, हर चीज पर समझौता हो सकता है लेकिन विचारधारा पर समझौता नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि शरीयत में दखल को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मौलाना मदनी ने आगे कहा कि, आज हमारे वजूद का सवाल है। मुसलमानों को पहले से ही जुल्म सहने की आदत है। हमें पहले मुल्क बचाना है। इसीलिए हम मुल्क की बात पहले कर रहे हैं, लेकिन इससे भी बहुत सारे लोगों के पेट में दर्द हो रहा है। अगर वो राष्ट्रवाद की बात करते हैं तो वो सही है, लेकिन अगर हम ये बात करेंगे तो उसे दिखावा कहा जाता है।
मौलाना मदनी ने कहा कि हमें पाकिस्तान चले जाने की बात करने वाले अच्छी तरह समझ लें कि हम कहीं जाने वाले नहीं हैं। क्योंकि ये देश हमारा है और हम यहां के बाशिंदे हैं। उन्होंने कहा कि हमें अल्पसंख्यक माना जाता है, लेकिन हम दूसरी बड़ी बहुसंख्यक आबादी है और नफरत फैलाने वालों के इतर यदि हम अपने सोच वालों को मिलाएं तो हम सबसे बड़ी आबादी है। क्योंकि देश में नफरत वाले लोग बहुत कम हैं। जबकि राष्ट्र निर्माण और देश को मजबूत करने वाले लोग ज्यादा हैं।
मौलाना महमूद मदनी ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुई कहा कि अगर वह एकता अखंडता की बात करते हैं तो उनका राष्ट्रप्रेम है और अगर हम देश बचाने की बात करते हैं तो ढोंग बताया जाता है। लेकिन मैं कहता हूं इस देश के लिए मेरा खून बहेगा तो वह मेरे लिए सौभाग्य होगा। कहा कि अगर तुम्हें हमारा धर्म पसंद नहीं है तुम कहीं और चले जाओ। हमें मौका मिला था पाकिस्तान जाने का लेकिन हम नहीं गए थे लेकिन जो अब हमें पाकिस्तान भेजना चाहते हैं वह खुद वहां चले जाएं। यह देश हमारा है, जो हमें करना होगा हम करेंगे लेकिन कोई समझौता नहीं करेंगे।
साथ ही मौलाना मदनी ने कहा कि हालात से परेशान होने की जरूरत नहीं है बल्कि हौसला और हिम्मत से काम लेने की जरूरत है। मदनी ने देश में प्रेम सद्भावना और एकता अखंडता को मजबूत करने के लिए सभी वर्गो और धर्मों के साथ मिलकर भाईचारे के साथ काम करने की जरूरत पर भी जोर दिया।
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