• पंचायत दुकानों को तीन बार खुली बोली पर छोड़ा जा सकता है-डीडीपीओ
• दुकानों की बोली लगाकर पैसे जमा न करने वालों की जमानत राषी की जा चुकी है जप्त
• पिनगवां की 81 दुकानों में से आधा दर्जन लोग ही जमा करा सके हैं किराए की राषी
यूनुस अल्वी
नूंह/मेवात
आपसी रंजिश के चलते पिनगवां ग्राम पंचायत की 81 दुकानों का किराया खुली बोली में लाखों रूपये तक पहुंचा देने के बाद केवल आधा दर्जन ही दुकानदार किराये की राशि जमा करा सके हैं। 75 से अधिक दुकानदारों की लाखों रूपये की जमानत राषी जप्त की जा चुकी है। दुकानों की पूरी राषी जमा ने करने और उनकी जमानत राषी जप्त होने के बाद बाकी बची दुकानों को दो बार और खुली बोली में छोड़ा जा सकेगा।
फोटो-नवनीत कौर जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी नूंह
नूंह की जिला विकास एंव पंचायत अधिकारी नवनीत कौर ने बताया कि पंचायतें अपनी दुकानों और कृषि योग्य जमीन को सालाना पट्टे पर देती हैं। पट्टा खुली बोली में छोड़ा जाता है जिसे ऊंची बोली लगाकर कोई भी ले सकता है। उनका कहना है कि पट्टा छोड़ने से पहले बोली दाताओं से कुछ जमानत राषी जमा कराई जाती है। अगर कोई व्यक्ति बोली लागने के बाद भी उसे पट्टे पर नहीं लेता तो उसकी जमानत राषी जप्त कर दी जाती है। दुकान हो या जमीन को तीन बार तक खुली बोली पर छोड़ा जाता है। उसके बावजूद भी कोई बोली दाता पट्टे की पूरी राषी जमा नहीं करता तो तीनों बार जमानत राषी जप्त कर मार्ग दर्षन के लिए उच्च अधिकारियों के पास भेजा जाता है। उसके बाद भी पंचायत कोई फैंसला ले सकती है।
आपको बता दें कि नूंह जिला की ग्राम पंचायत पिनगवां की 81 दुकानों को पहली अप्रैल को खुली बोली पर किराए पर छोड़ा गया था। जिनमें से दो तीन दुकानों को छोड़कर अधिकतर दुकानों की एक साल के पट्टा पर बोली चार लाख से लेकर एक करोड़ 26 लाख तक लगाई गई थी। बोली के वक्त देखा गया था कि उनमें से अधिक्तर बोली दाता दुकान लेने की बजाये किराया बढ़ाने में ज्यादा दिलचष्पी ले रहे थे। यही कारण है कि 81 में से करीब 75 दुकानदार बाकी राशि जमा नहीं करा सके। और उनकी जमानत राशि जप्त कर ली गई थी। जिससे ग्राम पंचायत को 25 से 30 लाख रूपये का फायदा हुआ है। पंचायत की एक पान की दुकान जिसका पहले 10 हजार रूपये सालाना किराया था लेकिन इस बार उसकी बोली एक करोड़ 26 लाख तक तथा एक चिकन फ्राई की दुकान जिसका सालाना किराया करीब 15 हजार था उसकी बोली एक करोड़ 11 लाख और एक अन्य दुकान जिसका सालाना किराया करीब 75 हजार रूपये था वह एक साल के पट्टे पर 36 लाख रूपये में खुली बोली पर छोड़ी गई थी। बोली पर अधिक राषी लगा देने पर अब बाकी पैसे जमा करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे है। जिसकी वजह से उनकी जमानत राषी जप्त कर ली गई है। पंचायत ने पुन्हाना-बडकली मार्ग स्थित दुकानों पर 50 हजार और अन्य दुकानों पर 20 हजार रूपये की बोली लगाने से पहले जमानत राशि जमा करा ली थी।
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