नूंह जिला का शिक्षा विभाग केवल एक खंड शिक्षा अधिकारी के सहारे चल रहा है,
• 16 लाख की आबादी पर केवल एक नियमित खंड शिक्षा अधिकारी
• जिला में डीईओ, डीईईओ, डीपीसी, डिप्टी डीईओ, बीईओ, बीआरसी सभी पद खाली।
• फिर कहते हैं मेवाती पढ़ते ही नहीं हैं
• जब अधिकारी ही नहीं होंगे तो कैसे पढ़ेगा मेवात
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फोटो–स्कूल के बच्चे
फोटो-जिला शिक्षा अधिकारी नूंह का बंद पड़ा कार्यालय
फोटो आफताब अहमद कांग्रेस विधायक नूंह
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यूनुस अलवी,
नूंह/मेवात,
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नूंह जिला को केंद्र सरकार ने भले ही देश के सबसे पिछड़े जिलों में शामिल कर रखा है। लेकिन इसका शिक्षा के क्षेत्र में कोई खास बदलाव नजर नहीं आ रहे है। शिक्षा अधिकारी और अध्यापकों की कमी का खामियाजा स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को उठाना पड़ रहा है। यही कारण है कि 2024 की परीक्षा में दसवीं और बारहवीं के परिणाम में मेवात जिला प्रदेश में सबसे फिसड्डी रहा है।
अगर हम मेवात के शिक्षा विभाग पर एक नजर डाले तों पता चलता है कि नूंह का जिला शिक्षा विभाग बिना अधिकारियों और अध्यापकों के चल रहा है। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब अधिकारी, प्रिंसिपल और मुख्याध्यापक ही नहीं होंगे तो शिक्षा का स्तर मेवात में कैसे उपर उठ सकता है।
अब सवाल ये उठता है कि मेवाती बच्चे पढ़ते ही नहीं है या फिर सरकार मेवात में शिक्षा के प्रति गंभीर नहीं है।
मौजूदा हालत में नूंह जिला शिक्षा विभाग केवल एक खंड शिक्षा अधिकारी के सहारे चल रहा है। जिला शिक्षा अधिकारी 31 दिसंबर और जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी 31 मई को सेवानिवृत हो चुके हैं। इसके अलावा जिले में तीन उप जिला शिक्षा अधिकारी, चार खण्ड शिक्षा अधिकारी, पांच बीआरसी, 21 प्रिंसिपल, 06 हाई स्कूल के मुख्याध्यापक, मिडिल के 118, मुख्याध्यापक, प्राइमरी के 142 मुख्याध्यापकों के इलावा 833 पीजीटी, 1167 टीजीटी व 2810 जेबीटी सहित जिले में कुल साढ़े चार हजार से पद काफी समय से खाली हैं। जबकि शिक्षा विभाग के 15 अधिकारियों में से केवल दो ही कार्यरत है।
नूंह शिक्षा विभाग में अधिकारी और स्कूल हेडों के पद रिक्त होने से मेवात में शिक्षा का स्तर दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है। नूंह जिला में तीन उप जिला शिक्षा अधिकारी के पद स्विकृत हैं, तीनों खाली हैं। जिले में पांच खण्ड शिक्षा अधिकारी के पद स्विकृत हैं चार खाली हैं। बीआरसी के पांच पद है तो सभी खाली है। जिले में 119 वरिश्ट माध्यकमिक स्कूलों में 21 प्राचार्य के पद खाली है। केवल सात हाई स्कूल हैं जिनमें से 6 के हेडमास्टरों के पद खाली है। 193 मिडिल स्कूलों में 118 हेडमास्टर के पद खाली है। प्राइमरी के 334 हेडमास्टरों में से 142 पद खाली है। इसी तरह पीजीटी के 1842 पदों में से 833, टीजीटी के 2744 में से 1167 और जेबीटी के 3935 में से 2810 पद खाली है। ये दिगर बात है कि सरकार ने पीजीटी के 182 गेस्ट, 109 एचकेआरएन, टीजीटी के 240 गेस्ट और जेबीटी के 843 गेस्ट लगाकर काम चलाया जा रहा है। कुल मिलाकर जिला में करीब 5000 यानि करीब 50 फीसदी से अधिक पद खाली है। इतना ही नहीं जिले में क्लेरिकल और कर्मचारियों के पद भी भारी संख्या में खाली है। मसलन, अधिक्षक का एक पद स्विकृत है वह भी खाली है। उप अधिक्षक के 6 में से चार खाली है। सहायक के 15 में से 13 पद खाली हैं। स्टेनों टाईपिस्ट के तीनों स्विकृत पद खाली हैं। लिपिक के 279 में 85 खाली है। फौर्थ कलास के 599 मेे से 263 पद खाली है। इस तरह ये खाली पदों का आंकडा साड़े 6 हजार से अधिक पहुंच जाता है।
मेवात मे रिक्त पदों से शिक्षा अधिकारी ही नहीं बल्कि स्कूलों मास्टर, छात्र छात्राऐं और परिजन भी खासे परेशान हैं। प्रयाप्त अध्यापक ने होन के चलते बच्चे अपने सबजेक्ट को भी पूरा नही ंकर पाते है। जिसका सीधा असर इस बार बोर्ड की परीक्षाओं में देखने को मिला है। स्कूलों में लेकचरार और मास्टरों की कमी से बच्चों की पढाई पर बुरा असर पड रहा है। मेवात के स्कूलों में र्साइंस, अंग्रेजी सहित अन्य विषयों के टीचर न होने से बच्चों को काफी परेशानी होती है। वे अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाती है। इसी का नतीजा है िकइस बार 12वीं कक्षा का बोर्ड का रिजल्ट प्रदेश में सबसे नीचे यानी करी 56 फीसदी ही रहा है।
क्या कहते हैं कांग्रेस विधायक।
नूंह कांग्रेस विधायक चौधरी आफताब अहमद का कहना है कि भाजपा सरकार गूंगी और बहरी है। बार बार विधानसभा और अधिकारियों के सामने अध्यापकों की कमी का मुद्दा उठाने पर भी कोई असर नहीं हुआ। पिछले दस सालों में खास कोई भर्ती नहीं की बल्कि मेवात से ही सैंकडों अध्यापकों का तबादला दूसरों जिलों में कर मेवात जिला को टीचर लैस जिला बना दिया गया है। अब शिक्षा अधिकारियों से ही जिला खाली हो गया है। उनका कहना है कि हाल ही की विधानसभा सत्र में अध्यापकों की कमी का मुद्दा विधानसभा में उठाया गया है। सरकार आश्वासन तो देती है पर मेवात की किसी भी समस्या के समाधान पर अमल नहीं करती है।
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