मेवात के शिकरावा निवासी साजिद ने मात्र 11 महीने में लंदन में करोड़ों रुपए में खरीदा अपना घर
• लंदन में जगुआर लैंडरोवर कंपनी में कार्यरत है साजिद हुसैन
फोटो घर के अंदर और बाहर का हिस्सा, सामने खड़े साजिद हुसैन
यूनुस अल्वी,
मेवात/हरियाणा
मेवात के खंड पिनगवां के गांव शिकरावा निवासी साजिद हुसैन ने मात्र 11 महीने में लंदन में करोड़ों रुपए की लगत का अपना घर खरीद कर युवाओं के चेहरे पर एक रौनक ला दी है। अब युवा सरकारी नौकरी के साथ साथ प्राइवेट कंपनियों की तरफ भी रुख करने लगे हैं। शिकरावा का नाम जहां पहले ही शाहबाज खान भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बनकर नाम रोशन कर चुके हैं अब साजिद खान ने लंदन में अपना घर खरीदकर जहां मां बाप की तमन्ना को पूरा किया है वहीं उन्होंने मात्र 11 महीने में मकान खरीदकर एक मिसाल कायम की है। शाहिद लंदन में जगुआर लैंडरोवर कंपनी में कार्यरत है।
आपको बता दे कि मेवात के गांव शिकरावा के साजिद हुसैन जिन्होंने पिछले साल ही दुनिया की टॉप कंपनी जगुआर लैंडरोवर, लंदन को ज्वाइन किया था, अब उन्होंने इंग्लैंड में अपना घर खरीद लिया है। आपकी बता दे कि लंदन में अपना घर खरीदना एक बहुत बड़ी बात होती है वो भी एक नए आदमी के लिए। चूंकि साजिद की जॉब दुनिया की टॉप कंपनी में थी इसीलिए उनके लिए यहां घर खरीद पाना बहुत आसान हो गया और लोगों के मुकाबले जो पिछले 50 सालों से यहां आकर बसे हुए हैं।
साजिद ने बताया कि लंदन में घर खरीदने का प्रोसेस भारत से बिल्कुल अलग होता है। यहां पर घर एजेंट की मदद से ढूंढा जाता है और सॉलिसिटर जिसको आम भाषा में वकील बोला जाता है उसकी मदद से घर का हैंडओवर लिया जाता है। और इस प्रोसेस में 2 से 6 महीने तक या उससे ज्यादा तक का समय लगता है, क्योंकि सॉलिसिटर उस घर के बारे में हर एक एक चीज चेक करते हैं, उदाहरण के लिए वो घर कहां पर बना हुआ है, कब बना, वहां का वातावरण कैसा है वहां पर सीवर की सुविधा कैसे है, मकान में की खराबी तो नहीं आदि आदि।तो जब सब चीजें प्रोसेस हो जाती है , तब जाकर यहां पर घर मिलता है। इसीलिए अगले महीने तक साजिद हुसैन अपने नए घर में शिफ्ट होंगे। घर की शुरुआती कीमत कई करोड़ के आसपास है।
साजिद हुसैन का कहना है कि उनके पिता आस खान और मां हाजरा की कई सालों से तमन्ना थी कि उनके बेटे का विदेश में एक घर हो और वो हमेशा घर लेने के लिए बोलते रहते थे तो घर लेने के पीछे एक वजह यह रही और दूसरी वजह ये थी कि लंदन में घर का एक महीने का किराया लगभग 1 लाख 80 हजार था तो इतने ज्यादा पैसे देने से अच्छा अपना घर ही क्यों ना खरीदा जाए। तो यही सब सोचकर उसने घर खरीदने के बारे में सोचा और ये घर लंदन के नजदीक कोवेंट्री शहर में खरीदा है।
साजिद ने अपनी इस सफलता के पीछे करीमुद्दीन खान छारोड़ा का अहम योगदान मानते हैं, क्योंकि उन्हीं की गाइडेंस और विचार विमर्श के बाद उसको को लंदन तक पहुंचने का मौका मिला। साजिद का कहना है कि करीमुद्दीन खान उसका रिश्तेदार ही नहीं बल्कि गुरु भी हैं। वह अभी गुड़गांव की कंपनी में कार्यरत हैं, वो गुड़गांव में रहते हैं, शुरूआत के दिनों में उन्होंने ही मार्गदर्शन दिया था, किस तरह से कंपनी में इंटरव्यू दिया जाता है। वो सब सीखने के बाद फिर मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक से बड़ी एक कंपनी जैसे महिंद्रा एंड महिंद्रा, टीसीएस और जगुआर लैंडरोवर कंपनी लंदन को ज्वाइन कर सका है।
जब साजिद से अपने साथ मां बाप को रखने बारे पूछा गया तो उसने बताया कि यूके के कानून के मुताबिक मां बाप को सिर्फ़ 6 महीने तक ही अपने पास रख सकते है। उसके बाद 6 महीने इंडिया में रहने के बाद फिर यूके में साथ रख सकते हैं। विदेश में मकान खरीदा उनका और मां बाप का एक सपना था। साजिद ने बताया कि जो मकान खरीदा जाता है उसकी रजिस्ट्री होती है लेकिन बहुत ही सावधानी से। रजिस्ट्री से पहले सब चीजो की जांच पड़ताल की जाती है, इसीलिए इतना आसान नहीं है यूके में घर खरीदना। उनका कहना है कि
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