यूनानी उम्मीदवारों के साथ भेदभाव का मामला हाईकोर्ट पहुंचा, भर्ती प्रक्रिया पर रोक की मांग
हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन के नोटिफिकेशन और रिजल्ट को चुनौती
(यूनुस अलवी चंडीगढ़)
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हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन द्वारा डिस्ट्रिक्ट आयुर्वेदिक मेडिकल ऑफिसर पदों की भर्ती प्रक्रिया अब कानूनी घेरे में आ गई है। सिंगार (जिला नूह) निवासी मोहम्मद क़ासिम व अन्य याचिकाकर्ताओं ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इस पूरी प्रक्रिया को चुनौती दी है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से एडवोकेट एम.डी. खान, मोहम्मद शमीम और बिंदु बाला ने कोर्ट में दलील दी कि कमीशन द्वारा निकाले गए विज्ञापन (नोटिफिकेशन नंबर 53/2023) में आयुर्वेद और यूनानी दोनों तरह की डिग्रियों को मान्यता दी गई थी। लेकिन जब परीक्षा का सिलेबस जारी किया गया तो उसमें केवल आयुर्वेद विषय का ही सिलेबस दिया गया, जिससे यूनानी पृष्ठभूमि के उम्मीदवार परीक्षा में शामिल ही नहीं हो सके।
वकीलों ने दलील दी कि यह कार्रवाई भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और 16 (सरकारी नौकरियों में समान अवसर) का सीधा उल्लंघन है। उन्होंने अदालत से पूरी भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर नए सिरे से निष्पक्ष परीक्षा आयोजित कराने की मांग की।
हाईकोर्ट ने याचिका पर संज्ञान लेते हुए हरियाणा सरकार और कमीशन को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। हरियाणा सरकार की ओर से एजी परविंदर सिंह चौहान ने नोटिस स्वीकार करते हुए विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा।
माननीय न्यायालय ने कमीशन को यह भी निर्देश दिए कि वे आगामी भर्ती प्रक्रिया पर फिलहाल कोई आगे की कार्रवाई न करें। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को यह भी छूट दी है कि यदि सिलेक्टेड कैंडिडेट्स को नियुक्ति दी जाती है तो वे अंतरिम रोक के लिए अलग से अर्जी दाखिल कर सकते हैं।
इस मामले की अगली सुनवाई 5 मई को होगी, जिस पर भर्ती प्रक्रिया का भविष्य तय हो सकता है।

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