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कांग्रेस की CWC ने फिलिस्तीनी लोगों के ज़मीन, स्वशासन और आत्म-सम्मान एवं गरिमा के साथ जीवन के अधिकारों के लिए अपने दीर्घकालिक समर्थन को दोहराया।

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• नई दिल्ली में हुई बैठक में कांग्रेस कार्य समिति (CWC) का प्रस्ताव

*कांग्रेस की CWC ने फिलिस्तीनी लोगों के ज़मीन, स्वशासन और आत्म-सम्मान एवं गरिमा के साथ जीवन के अधिकारों के लिए अपने दीर्घकालिक समर्थन को दोहराया।*

 

यूनुस अलवी 

9 अक्टूबर, 2023

सोमवार को कांग्रेस सीडब्ल्यूसी की दिल्ली में बैठक आयोजित की गई। इस मौके कांग्रेस ने फिलिस्तीन – इसराइल जंग, महीपुर, ओबीसी जनगणना सहित करीब 7 प्रस्ताव पास किए।

1. CWC सिक्किम और दार्जिलिंग, कलिम्पोंग एवं कुर्सियांग हिल्स के लोगों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करती है, जहां आए भयंकर सैलाब के कारण भारी नुक़सान हुआ है। सेना के जवान समेत कई लोगों की मृत्यु बेहद दुखद है। जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसी आपदाओं की पुनरावृत्ति से बचने के लिए CWC पारिस्थितिक रूप से बेहद नाज़ुक हिमालयी क्षेत्रों में विश्वसनीय और संपूर्ण पर्यावरणीय प्रभाव आकलन के महत्व पर ज़ोर देती है। CWC केंद्र सरकार से सिक्किम और उत्तरी बंगाल के पहाड़ी क्षेत्रों को सभी ज़रूरी सहायता प्रदान करने की अपील करती है। साथ ही पक्षपातपूर्ण राजनीति से ऊपर उठकर हिमाचल प्रदेश में पिछले महीने आई त्रासदी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की अपनी मांग को दोहराती है।

2. CWC बिहार सरकार द्वारा राज्य में कराए गए जाति आधारित सर्वे के नतीजे जारी करने का स्वागत करती है। सर्वे में सामने आए आंकड़ों में प्रतिनिधित्व और जनसंख्या में हिस्सेदारी के बीच जो असमानता दिख रही है, वो सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने की तत्काल आवश्यकता को सामने लाती है। CWC OBC के भीतर उप-वर्गीकरण के जस्टिस रोहिणी आयोग के उद्देश्य का भी स्वागत करती है, लेकिन साथ ही साथ यह रेखांकित करती है कि विभिन्न समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर विस्तृत डेटा के बिना यह अधूरा होगा। यह डेटा वर्ष 2011 की सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना से प्राप्त किया जा सकता है, जिसके आंकड़े अभी तक जारी नहीं किए गए है। इस डेटा को प्राप्त करने का दूसरा तरीका अद्यतन जाति जनगणना है।

ये घटनाक्रम एक देशव्यापी जाति जनगणना के महत्व को दर्शाते हैं। जाति जनगणना देश भर में समुदायों की सही और सटीक सामाजिक-आर्थिक स्थिति को सामने लाने के लिए बेहद आवश्यक है। इससे सामाजिक न्याय की नींव मजबूत होगी। जो आंकड़े निकलकर सामने आएंगे, वे समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए नीतियों के निर्माण में एक ठोस, डेटा संचालित आधार प्रदान करेंगे। मोदी सरकार ने वर्ष 2011 की सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना के आंकड़ों को जारी न करके एवं अद्यतन जाति जनगणना को अत्यधिक समय तक टालकर सिर्फ OBC समुदायों और देश के अन्य वंचित वर्गों को ही धोखा नहीं दिया है। वह दशकीय जनगणना को इतने अधिक समय तक रोक कर अपने संवैधानिक कर्तव्य को निभाने में भी विफल रही है । दशकीय जनगणना 2021 में या उसके तुरंत बाद होनी चाहिए थी, लेकिन अभी तक नहीं हुई है। यह शर्म की बात है कि भारत G20 में एकमात्र ऐसा देश है जो जनगणना कराने में विफल रहा है। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान एक के बाद एक, कई राज्यों में अनेकों OBC प्रतिनिधिमंडलों द्वारा जाति जनगणना की मांग रखी गई थी। लोगों की भावनाओं के अनुरूप कांग्रेस के 85वें महाधिवेशन रायपुर डिक्लेरेशन में इसे जगह दी गई।

इसलिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस गारंटी देती है कि हमारे नेतृत्व वाली सरकार:

I. सामान्य रूप से होने वाली दशकीय जनगणना • जो कि 2021 में ही होनी चाहिए थी

के तहत राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना करवाने की भी गारंटी देती है।

II. लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण को जल्द से जल्द लागू किया जाएगा। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के साथ ही साथ OBC समुदायों की महिलाओं के लिए भी इसमें पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाएगा। मोदी सरकार द्वारा लगाई गई जनगणना और परिसीमन की अनावश्यक बाधाओं को तुरंत हटाएंगे।

जनसंख्या के अनुरूप हिस्सेदारी के लिए कानून के माध्यम से OBC, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण के लिए 50% की सीमा को हटाएगी।

3. CWC दर्जनों पत्रकारों और लेखकों के घर मोदी सरकार द्वारा की गई छापेमारी और उनके ख़िलाफ़ आतंकवाद विरोधी कानूनों के इस्तेमाल की घोर निंदा करती है। सरकार द्वारा फैलाए गए षड्यंत्र के सिद्धांत तो वास्तव में उसकी ही अविस्मरणीय हिप्पोक्रेसी को सामने लाते हैं। चाहे वह चीनी कंपनियों से पीएम केयर्स फंड में दान स्वीकार करने का मामला हो या चीन की सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों से निवेश स्वीकार करना हो, चाहे चीन से बढ़ते आयात को नियंत्रित करने में उसकी असमर्थता हो या सबसे शर्मनाक – प्रधानमंत्री द्वारा 19 जून, 2020 को चीन को दी गई क्लीन चिट हो, जब उन्होंने हमारी सीमा में सभी चीनी अतिक्रमणों से इंकार कर दिया था। ये सारे तथ्य चीन के मामले में मोदी सरकार के पाखंड को दिखाते हैं।

के यह मोदी सरकार द्वारा कानून के दुरुपयोग और सवाल पूछने वालों के ख़िलाफ़ केंद्रीय एजेंसियों को छोड़ देने का और भी ज़्यादा भयावह रूप है। देश भर में विपक्षी दलों के नेताओं को जिस तरह परेशान किया जा रहा है, वो तो पहले से ही सबके सामने है। ज़ोर ज़बरदस्ती के साथ की गई इस तरह की कार्रवाई स्वतंत्र प्रेस को नुकसान पहुंचाती है एवं सरकार को जवाबदेह ठहराने के लिए नागरिकों, पत्रकारों और राजनेताओं के मौलिक अधिकारों में बाधा डालती है। साथ ही दुनिया भर में एक लोकतंत्र के रूप में भारत की साख को नीचे गिराती है। प्रधानमंत्री और भाजपा ने पोलिटिकल डिस्कोर्स का स्तर इतना नीचे गिरा दिया है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष श्री राहुल गांधी के ख़िलाफ़ हिंसा के लिए उकसाने और भड़काने के उद्देश्य से ऑफिशियल पोस्टर बनाए जा रहे हैं। कुछ ऐसा ही अभियान नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी और स्वतंत्रता आंदोलन के वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के ख़िलाफ़ चलाया था। CWC को इस बात का स्पष्ट अंदेशा है कि मोदी सरकार पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों एवं 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ऐसे हमले और ज़्यादा करेगी, लेकिन देश अब इन हथकंडों से डरने वाला नहीं है।

4. CWC मणिपुर में जारी मानवीय त्रासदी और वहां की संवैधानिक सरकार के पूरी तरह से विफल होने पर गहरी पीड़ा व्यक्त करती है। पांच महीने से अधिक समय के बाद भी प्रधानमंत्री ने मणिपुर और वहां के लोगों को उनके हाल पर छोड़ रखा है। वह अपनी ज़िम्मेदारियों से भाग रहे हैं। सशस्त्र भीड़ की धमकियों और सतर्कता के बढ़ते मामलों के साथ राज्य में हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं। केंद्र सरकार समुदायों के बीच विभा को ख़त्म में पूरी तरह से नाकाम रही है। मणिपुर में संवैधानिक तंत्र ध्वस्त हो चुका है। CWC इस खौफ़नाक संकट को हल करने के लिए सबसे पहले कदम के रूप में मुख्यमंत्री को तत्काल हटाने और राष्ट्रपति शासन लगाने की अपनी पिछली मांगों को दोहराती है।

5. CWC आरबीआई के हाल के आंकड़ों पर चिंता व्यक्त करती है, जिससे पता चलता है कि भारतीय परिवारों की शुद्ध वित्तीय बचत वित्त वर्ष 2022-23 में गिरकर 5.1 प्रतिशत पर आ गई है। यह लगभग पिछले पांच दशक का सबसे निचला स्तर है। इसी तरह, वास्तविक आय में वृद्धि चार दशकों में सबसे निचले स्तर पर है। कमाई में वृद्धि न होने और बढ़ती महंगाई के कारण अधिकांश भारतीय अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कर्ज लेने को मजबूर हो रहे हैं। CWC का मानना है कि यह निराशाजनक स्थिति मोदी सरकार की जन-विरोधी और पूंजीपति मित्रों के समर्थन के लिए बनाई गई आर्थिक नीति का परिणाम है। सरकार की नीति अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में पैसा और ताक़त को सिर्फ़ कुछ हाथों तक सीमि कर रही है। CWC भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के रायपुर के प्रस्ताव को दोहराती है कि वक़्त की मांग को देखते हुए यह आर्थिक नीति के पुनर्गठन का समय है। एक ऐसी नीति बने जो पीएम मोदी द्वारा विरासत में दी गई बेरोज़गारी और असमानता जैसी समस्याओं का सीधा मुक़ाबला करे।

6. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और हमारे सहयोगी पार्टियों के नेतृत्व वाली राज्य सरकारें लोगों को राहत देने के लिए कई कदम उठा रही हैं। लेकिन हमारे लोकतंत्र के लिए ख़तरे और हर गुज़रते दिन के साथ बढ़ रहे सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक संकटों का एक स्थायी समाधान होना चाहिए। इसका एकमात्र समाधान जो लोगों के हाथ में है, वह है राज्य और केंद्र, दोनों से जनविरोधी भाजपा सरकारों को हटाना । इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, CWC अपने सभी सदस्यों और समर्थकों से राज्यों की विधानसभा और लोकसभा के आगामी चुनावों में एकजुटता, समर्पण और दृढ़ संकल्प के साथ लड़ने का आह्वान करती है।

7. अंत में, CWC मिडिल ईस्ट में छिड़े युद्ध और हज़ार से अधिक लोगों के मारे जाने पर गहरा दुःख और पीड़ा व्यक्त करती है। CWC फिलिस्तीनी लोगों के ज़मीन, स्वशासन और आत्म-सम्मान एवं गरिमा के साथ जीवन के अधिकारों के लिए अपने दीर्घकालिक समर्थन को दोहराती है। CWC तुरंत युद्धविराम और वर्तमान संघर्ष को जन्म देने वाले अपरिहार्य मुद्दों सहित सभी लंबित मुद्दों पर बातचीत शुरू करने का आह्वान करती है।

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