भाईचारे की खूशबू से भारत बनेगा सौहार्द का गुलदस्ता : मौलाना अरशद मदनी
: नूंह दंगे के दौरान फिरोजपुर झिरका में विस्थापितों गरीबी को जमीयत-उलेमा-ए हिंद ने दिए 100-100 गज प्लॉट और एक एक लाख आर्थिक सहायता।
= हिंदू और मुस्लिम समाज के लोगो की आर्थिक सहायता
यूनुस अलवी
नूंह/मेवात,
31 जुलाई को नूंह हिंसा के दौरान प्रशाशन द्वारा फिरोजपुर झिरका में तोड़े गए मकानों के बाद विस्थापित हुए दोनो समाज के पीडि़तों को जमीयत उलेमा हिंद की ओर से 100-100 वर्गगज के प्लॉट तथा एक-एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की गई। इस मौके पर जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैय्यद अरशद मदनी ने खुद पीडि़तों को जमीन की रजिस्ट्री तथा आर्थिक सहायता के चैक सौंपे गए।
फिरोजपुर झिरका में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मदनी ने कहा हमारा मुल्क एक ऐसा गुलदस्ता है जिसमें सभी समुदायों के लोग आपस में भाईचारे से रहना पसंद करते हैं। परंतु राजनीतिक लोगों ने इसे नुकसान पहुंचाने का काम किया है। उन्होंने कहा जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की स्थापना अब से 104 वर्ष पहले हुई थी। जमीयत-उलेमा-ए-हिंद हमेशा से देश की तरक्की तथा आपसी सौहार्द के कनसेप्ट पर काम करते आया है। हमारा प्रयास है कि दोनों समुदाय के लोग आपसी सौहार्द से रहकर मुल्क को एक ऐसा गुलदस्ता बनाएं जिसकी खूशबू से पूरी दुनिया महके। उन्होंने कहा नूंह की हिंसा कैसे हुई क्यों हुई यह एक अलग विषय है। लेकिन जो हुआ वो गलत था, इस प्रकार की घटनाएं मुल्क की तरक्की में बधाएं पैदा करती हैं।
भविष्य में ऐसा न हो इसके लिए मेवात में दोनों समुदाय के लोगों को समन्वय बनाकर रहना होगा। उन्होंने कहा कि मेवात क्षेत्र के हर गांव तथा शहरों में सदियों से दोनों ही तबके के लोग आपसी प्यार और मोहब्बत के साथ रहते आए हैं, परंतु कुछ सियासी ताकतों ने इनके भाईचारे को नुकसान को पहुंचाने का काम किया है। हमारी सभी से अपील है कि ऐसी ताकतों से बचकर आपसी भाईचारे को कायम रखकर देश को मजबूत बनाने में वो अपना योगदान दें। उन्होंने कहा नूंह हिंसा के दौरान दोनों ही समुदायों के लोगों को बडे पैमाने पर आर्थिक तथा सामाजिक नुकसान हुआ। जिसकी भरपाई कर पाना बहुत मुश्किल है, लेकिन फिर भी जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने अपने सार्थक प्रयासों के जरीए नूंह के तमाम हिस्सों में गरीब तथा असहाय लोगों के लिए लगभग 40 लाख रुपये की आर्थिक मदद की है। इसी क्रम में शुक्रवार को फिरोजपुर झिरका के उन गरीब लोगों की मदद की जिन्होंने नूंह हिंसा का दंश झेला और अपने घरों से बेघर हो गए।
इनके लिए जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने 20 परिवारों को 100-100 वर्गगज के दस्तावेज तथा एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता राशि का चैक दिया गया। वहीं उन्होंने हिन्दू परिवारों के लिए एक एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता का चैक देकर उनके जख्मों पर मरहम लगाने का काम किया। वहीं विस्थापित जमीला, याहया, शाहरुख, मुबीन, इसरी, रशीद, सलीम, आस मोहम्मद, उम्मर कुरैशी, हमीदा, वाजिद, उसमान, रामजीलाल, जोगिन्दर, रामपाल ने जमीयत-उलेमा-ए-हिंद का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने उन्हें जमीन तथा आर्थिक सहायता देकर उनपर उप
कार किया है।
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