देशभक्त शहीद हसन खान मेवाती के शहीदी समारोह हजारों लोग शिरकत करेंगे
• हसन खान जेसी देशभक्ति की मिसाल दुनिया में कोई दूसरी नही।
• 12 हजार घुड़सवारों के साथ बाबर से युद्ध करते शहीद हुए थे हसन खान
यूनुस अलवी
नूंह,
मेवात की शान देशभक्त शहीद हसन खान मेवाती के शहीदी समारोह को यादगार बनाने के लिए सामाजिक लोगों ने दिन रात एक किए हुए हैं। वही समारोह में हजारों लोगो के शिरकत करने की पूरी संभावनाएं हैं। हसन खान जेसी देशभक्ति की मिसाल दुनिया में कोई दूसरी नही मिल सकती है। क्योंकि कि देश की खातिर राजा हसन खान 15 मार्च 1537 को कानवाह के मैदान में राना सांगा के साथ मिलकर लड़े युद्ध में अपने 12 हजार घुड़सवारों के साथ बाबर से युद्ध करते शहीद हो गए थे।
कस्बा पिनगवां निवासी समाज सेवी मनीष सिंगला, नरेश सिंगला का कहना है कि राजा हसन खान के शहीदी दिवस समारोह को लेकर मेवात के लोगो में भारी उत्साह है। हर कोई उनके समारोह में जरूर पहुंचेगा। उसका शहीदी समारोह ऐतिहासिक होगा।
आपको बता दे कि मेवात हरियाणा ही नही बल्कि देश की आन-बान-शान के लिए मुगलों से जंग लड़ते हुए अपने 12 हजार घुड़सवार सिपाहियों के साथ प्राण न्योछावर करने वाले अमर बलिदानी राजा हसन खां मेवाती के बलिदान दिवस कार्यक्रम को ‘भाजपा ऐतिहासिक बनाने में लगी है। नौ मार्च होने वाले बलिदान दिवस कार्यक्रम के लिए पहले नूंह की नई अनाज मंडी को जगह के रूप में तय किया था, लेकिन अब यह आयोजन मेवात की राजनीतिक राजधानी कही जाने वाली बड़कली चौक (राजकीय महाविद्यालय नगीना) पर होगा। बड़कली चौक पर हो रहे प्रोग्राम में राजस्थान से भी हजारों लोग इसमें शिरकत कर सकते हैं।
इस आयोजन को लेकर यहां के सामाजिक संगठन भी पूरी ताकत लगाए हुए हैं। भाजपा नेता पर्दे के पीछे से आयोजन को सफल बनाने में लगे हैं। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल होंगे। वह सामाजिक संगठनों की ओर से दिए गए आमंत्रण को पहले ही स्वीकार कर चुके हैं।
हसन खां मेवाती की प्रतिमा बड़कली चौक पर स्थापित की जाएगी क्योंकि बड़कली मेवात की बीच है। यहां से नूंह, पलवल, डीग, अलवर तथा भरतपुर जिला से भी मेवात समाज के लोगों को आमंत्रित किया जा रहा।
आपको बता दे की राजा हसन खान का बलिदान दिवस 15 मार्च को होता है, 10 मार्च से रमजान माह शुरू होने को देखते हुए छह दिन पहले ही इसे मनाया जा रहा है।
बलिदान दिवस = को हरियाणा सरकार विशेष दिवस के रूप में पहले ही घोषित कर चुकी है। समाजसेवी मनीष सिंगला, गुलाम नबी एडवोकेट, शाहिद खेड़ी, उस्मान गुजर नंगला, डॉक्टर सद्दीक और फजरुद्दीन बिसर का कहना है कि मेवों के अतुलनीय बलिदानी – हसन खां को सम्मान देकर भाजपा ने उनकी सोच बदल दी है।
राजा हसन खां मेवाती का जन्म अलावल खां मेवाती के घर में हुआ था। उनके वंशज करीब 200 साल मेवात की रियासत पर काबिज रहे। मुगल बादशाह बाबर उस समय हसन खां मेवाती से ही भयभीत था। हसन खां मेवाती का क्षेत्र मेवात दिल्ली के समीप था। इस कारण हमेशा ही राजा हसन खां बाबर की आंखों में चुभता रहा। क्योंकि बाबर को उनकी शूरवीरता व शक्ति का पूरा एहसास था। इसी के चलते बाबर ने राजा हसन खां मेवाती से दोनों का एक ही धर्म होने की बात कही और उसे लोक लुभावने लालच दिए, ताकि मेवात की रियासत की गद्दी पर कब्जा कायम किया जा सके। बताते हैं कि मेवाती शूरवीर ने बाबर से कहा था कि, मैं अपनी मातृभूमि के साथ गद्दारी नहीं कर सकता । तुम विदेशी हमलावर हो, इसलिए मैं अपने वतन के भाई राणा सांगा का साथ दूंगा। इसी के साथ खंडवा के मैदान में भयंकर युद्ध शुरू हुआ था। जहां राजा हसन खां के घोड़े का पैर मुड़ने के कारण वह घोड़े से गिर गए। लड़ते हुए राजा हसन खां मेवाती व उनके बेटे नाहर खान 15 मार्च 1527 को रणभूमि में प्राण न्योछावर कर दिए थे। 12 हजार सैनिकों ने भी उनके साथ
बलिदान दिया था।
No Comment.