बड़ी खबर —
• रिश्वतखोर थानेदार को अदालत ने सुनाई 5 साल की सजा और एक लाख जुर्माना भी लगाया
• अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप कुमार दुग्गल की अदालत ने सुनाया फैंसला
• एएसआई सुरेंद्र निवासी गांव अहरवा को विजिलेंस टीम ने 20 हजार रूपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था
• 08 सितंबर 2020 को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 के तहत। पुलिस स्टेशन राज्य सतर्कता ब्यूरो, गुरुग्राम में मामला दर्ज हुआ था
• दोषी एएसआई की पैरवी वरिष्ट एडवोकेट डी.सी.गुप्ता ने की।
यूनुस अलवी, खबर हक,
मेवात,
नूंह के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप कुमार दुग्गल की अदालत ने भ्रष्टाचारी थानेदार एएसआई सुरेंद्र को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 “अधिनियम” की धारा 7 के तहत दोषी ठहराते हुए पांच साल की सजा और एक लाख के जुर्माना का फैसला सुनाया है। जुर्माना ने भरने पर दोषी को अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ेगी। दोषी एएसआई की पैरवी जहां वरिष्ट एडवोकेट डी.सी.गुप्ता ने की वही शिकायतकर्ता की पैरवी वरिष्ट एडवोकेट ताहिर हुसैन देवला ने की। दोषी सुरेंद्र एएसआई के खिलाफ शिकायतकर्ता मुबीन निवासी ग्राम निंबाहेड़ी तावडू के बयान पर 08 सितंबर 2020 को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 के तहत, पुलिस स्टेशन राज्य सतर्कता ब्यूरो, गुरुग्राम में मामला दर्ज हुआ था।
शिकायतकर्ता के वकील ताहिर हुसैन देवला ने बताया की उनका मुवल्लिक मुबीन विवादी ग्राम निंबाहेड़ी थाना तावडू उसके पास दो हाइवा डंपर हैं। उसके खिलाफ 16 जुलाई 2020 को भारतीय दंड संहिता की धारा 188, 279, 336, 34 और 307 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। जब शिकायतकर्ता की जमानत अर्जी पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित थी तभी दोषी एएसआई सुरेंद्र ने उसको अपने मोबाइल फोन से कॉल किया और उसे दोषमुक्त करने के लिए 20,000 रुपये की मांग की। शिकायतकर्ता कोई रिश्वत नहीं देना चाहता था। इसलिए शिकायतकर्ता मुबीन ने रिश्वत मांगने की शिकायत गुरुग्राम विजिलेंस में कर दी। जिसके बाद विजिलेंस ने एक टीम गठित की। जिसमे शिक्षा विभाग के कुंदन दीन को ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया। वही जिला योजनाकार अधिकारी दिलबाग सिंह को भी साथ लेकर टीम ने रिश्वतखोर थानेदार के खिलाफ कार्यवाई शुरू की। विजिलेंस अधिकारियों ने पाउडर लगे 20 हजार रुपए लेकर शिकायतकर्ता को रिश्वतखोर थानेदार के पास भेजा। रिश्वत के 20 हजार रुपए देने के लिए शिकायतकर्ता ने एएसआई सुरेंद्र को फोन कर उसे एक होटल में बुलाया। जहां उसे पाउडर लगे 20 हजार रिश्वत के दिए। पहले से ही छिपी विजिलेंस टीम को इशारा मिलते ही उन्होंने दोषी एएसआई सुरेंद्र को काबू कर लिया और उसके जेब से 20 हजार के 500/500 के 40 नोट निकाले। थानेदार के हाथ धुलवाने पर उसका रंग गुलाबी हो गया। उसके बाद दोषी थानेदार को विजिलेंस टीम अपने साथ गुरुग्राम ले गई। जहा उसके खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। गवाही के दौरान शिकायतकर्ता भी पलट गया लेकिन अदालत ने अन्य गवाह और साक्ष्यों को आधार मानते हुए अतिरिक्त सेशन जज संदीप दुग्गल की अदालत ने एएसआई सुरेंद्र को दो अप्रैल 2024 को दोषी करार दिया और आज 9 अप्रैल को दोषी एएसआई सुरेंद्र को 5 साल की सजा और एक लाख रूपये का जुर्माना का फैसला सुनाया। दोषी एएसआई सुरेंद्र को अदालत ने जेल भेज दिया है।
शिकायतकर्ता मुबीन के वकील ताहिर हुसैन देवला का कहना है की अदालत ने बहुत ही अच्छा फैंसला सुनाया हैं भले ही शिकायतकर्ता अपने बयान से मुकर गया था उसके बावजूद भी अदालत ने साक्षयों को मध्य नजर रखते हुए दोषी को कड़ी सजा सुनाई है। इससे अदालत ने भ्रष्टाचारियो के खिलाफ कड़ा संदेश देने का फैसला सुनाया है।
Author: Khabarhaq
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