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• श्रम विभाग नूंह व गुरुग्राम के उद्योगों में फर्जी घटनाएं दिखाकर बीमा कंपनियों से मुआवजा लेने के मामले की जांच शुरू • श्रम विभाग कार्यालय नूंह में पहुंचे SIC अध्यक्ष डॉ अब्दुल माजिद, 800 फाइलों की जांच शुरू, बड़े घोटाले का अंदेशा • विशेष जांच कमेटी ने प्रमुख फाइलें कब्जे में लेकर 100 से अधिक को नोटिस जारी किए

• श्रम विभाग नूंह व गुरुग्राम के उद्योगों में फर्जी घटनाएं दिखाकर बीमा कंपनियों से मुआवजा लेने के मामले की जांच शुरू

• श्रम विभाग कार्यालय नूंह में पहुंचे SIC अध्यक्ष डॉ अब्दुल माजिद, 800 फाइलों की जांच शुरू, बड़े घोटाले का अंदेशा

• विशेष जांच कमेटी ने प्रमुख फाइलें कब्जे में लेकर 100 से अधिक को नोटिस जारी किए। 

फोटो विशेष जांच कमेटी के अध्यक्ष एवं पूर्व सीबीआई जज डॉ अब्दुल माजिद

 

 

यूनुस अलवी,  

नूंह (हरियाणा): 

हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज, जिन्हें उनकी सख्त कार्यशैली के कारण ‘गब्बर’ के नाम से जाना जाता है, ने नूंह श्रम विभाग में कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के मामलों पर बड़ा कदम उठाते हुए विशेष जांच कमेटी (SIC) का गठन किया है। यह कमेटी हाल ही में नूंह स्थित श्रम विभाग कार्यालय पर छापा मारते हुए वहां मौजूद रिकॉर्ड को अपने कब्जे में ले चुकी है। छापे के दौरान कार्यालय में हड़कंप मच गया।

 

घोटाले की जांच के लिए गठित की गई विशेष कमेटी

 

श्रम विभाग में पिछले तीन वर्षों के दौरान हुए कथित घोटालों की निष्पक्ष जांच के लिए अनिल विज ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश डॉ. अब्दुल माजिद को स्पेशल जांच कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया है। डॉ. माजिद ने शुक्रवार को नूंह के श्रम विभाग कार्यालय में पहुंचकर आवश्यक दस्तावेज और रिकॉर्ड को कब्जे में लिया। शुरुआती जांच में ही घोटाले की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा रहा है, जिससे कई अन्य विभाग और अधिकारी भी जांच के दायरे में आ सकते हैं।

 

800 फाइलों की गहराई से होगी जांच, 100 से अधिक को भेजे नोटिस 

 

स्पेशल जांच कमेटी ने श्रम विभाग की 800 फाइलों को चिन्हित किया है, जिनकी गहराई से जांच की जाएगी। डॉ. माजिद ने बताया कि जांच कई कोणों से की जा रही है। इससे जुड़े 100 से अधिक लाभार्थियों, विभागीय कर्मचारियों, थानेदारों और डॉक्टरों तक को नोटिस जारी किए गए हैं। यह प्रक्रिया लंबी हो सकती है, लेकिन सरकार का उद्देश्य दूध का दूध और पानी का पानी करना है।

 

 

अन्य विभागों और राज्यों तक जाएगी जांच की आंच

 

माना जा रहा है कि इस घोटाले में केवल श्रम विभाग के अधिकारी ही नहीं, बल्कि कई हरियाणा, राजस्थान, गुजरात सहित अन्य विभाग और राज्यों के लोग भी शामिल हो सकते हैं। शुरुआती संकेतों से पता चलता है कि बड़े पैमाने पर सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ है। जांच कमेटी को फाइलों की जांच और जिम्मेदार व्यक्तियों की पहचान में महीनों लग सकते हैं।

डॉ. अब्दुल माजिद का न्यायपालिका का अनुभव मददगार साबित होगा 

 

डॉ. अब्दुल माजिद अक्टूबर 2024 में एडीजे पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। अपने कार्यकाल में उन्होंने सीबीआई जज के रूप में भी सेवाएं दी हैं। उनकी निष्पक्ष और कठोर कार्यशैली के कारण हरियाणा सरकार ने उन्हें इस विशेष जांच की जिम्मेदारी सौंपी है। सरकार को विश्वास है कि उनके नेतृत्व में जांच पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से होगी।

 

घोटाले में अधिकारियों की भूमिका की जांच शुरू

 

प्रारंभिक जांच से संकेत मिलता है कि घोटाले में श्रम विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारियों की संलिप्तता हो सकती है। इसके अलावा, थानेदारों और डॉक्टरों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। जांच कमेटी को उम्मीद है कि दस्तावेजों की गहन छानबीन के बाद दोषियों की पहचान की जा सकेगी।

 

अनिल विज का सख्त संदेश

 

गृह मंत्री अनिल विज ने स्पष्ट किया है कि घोटाले में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा, “भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है। जांच पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ होगी, और दोषियों को कड़ी सजा मिलेगी।”

 

 

भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की कवायद

 

हरियाणा सरकार का यह कदम न केवल भ्रष्टाचार पर रोक लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है, बल्कि इससे जनता का सरकारी तंत्र में विश्वास भी मजबूत होगा। नूंह श्रम विभाग का यह मामला भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

 

मामला क्या है:

 

आपको बता दें कि हरियाणा के श्रम विभाग नूंह व गुरुग्राम के उद्योगों में फर्जी घटनाएं दिखाकर बीमा कंपनियों से मुआवजा लेने के मामलों की जांच सेवानिवृत्त एडीजे डॉ अब्दुल माजिद की अध्यक्षता में विशेष जांच कमेटी गठित की है। नूंह और गुरुग्राम में औद्योगिक कंपनियों में फर्जी घटनाओं को दिखाकर गलत दावे आवेदन प्रस्तुत करके बीमा कंपनियों से मुआवजा लिया गया था।

 

 

जांच के परिणाम आने में भले ही समय लगे, लेकिन इस कार्रवाई से यह संदेश साफ है कि सरकार भ्रष्टाचार को किसी भी हाल में सहन नहीं करेगी। आने वाले समय में यह जांच न केवल नूंह, बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी बड़े बदलाव का कारण बन सकती है।

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