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अपने ही नागरिकों के घरों को ध्वस्त करना देश को अराजकता की ओर ले जाने वाला अमल : मौलाना अब्दुल्लाह क़ासमी

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अपने ही नागरिकों के घरों को ध्वस्त करना देश को अराजकता की ओर ले जाने वाला अमल : मौलाना अब्दुल्लाह क़ासमी

सरकारों की तानाशाही का संज्ञान लेकर जनता का विश्वास बहाल करना न्यायालयों का दायित्व

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कानपुर :-

हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का अपमान करने वाले पूर्व भाजपा नेताओं की गिरफ्तारी अब तक न होने से देशभर के न्यायप्रिय वर्गों में भारी बेचैनी पाई जा रही है। इसी मांग को लेकर पिछले शुक्रवार (जुमे) को देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन भी हुए जबकि कई जगहों पर हिंसा की घटनाएं भी हुई थीं. पैगंबर के सम्मान के मुद्दे को लेकर भारतीय मुसलमानों की सबसे पुरानी, सबसे सक्रिय संस्था जमीअत उलमा ए हिंद पहले दिन से ही सक्रिय है। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के अलावा प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाक़ात करके इस मामले की संवेदनशीलता और गंभीरता से वाक़िफ कराकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई है। नबी का अपमान करने वालों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सख्त धाराओं में मुक़दमे दर्ज करके यूपी में विभिन्न जगहों पर बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां हो रही हैं और उनके घरों को क्रूर तरीके से ध्वस्त करने की कार्यवाही भी शुरू हो गई है। ऐसे में जमीअत उलमा ए हिंद के प्रदेश उपाध्यक्ष मौलाना अमीनुल हक़ अब्दुल्लाह क़ासमी ने सरकारों के असंवैधानिक और अवैध कार्यवाईयों की कड़ी निंदा करते हुए माननीय न्यायालयों से अपील की है कि वह सरकार की तानाशाही का स्वतः संज्ञान लेकर उनके जुल्म व अत्याचार पर रोक लगाएं। मौलाना ने कहा कि दुनिया के किसी भी देश में संविधान और कानून से ऊपर उठकर की अदालतों के आदेश के बिना किसी के घर को ध्वस्त करने की अनुमति नहीं है, लेकिन फिर भी भारत जैसे सबसे बड़े लोकतंत्र में संविधान और कानून का गला घोंटना और लोगों को न्याय प्रदान कराने वाले संस्थानों की चुप्पी देश के भविष्य के लिए बेहद खतरनाक और अराजकता की ओर ले जाने वाला अमल है। साथ ही मौलाना ने कहा कि जमीअत उलमा ए हिंद किसी भी तरह की हिंसा और हिंसक कार्यवाइयों में लिप्त अपराधियों का समर्थन नहीं करती, जिस तरह हम लोगों से अपील करते हैं कि कानून के दायरे से बाहर न जायें, हम सरकारों को भी बता देना चाहते हैं कि कोई भी कार्रवाई संविधान और कानून से परे नहीं ले जाई जा सकती। इलाहाबाद के जावेद का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वह इस देश का नागरिक है लेकिन उसके और उसके जैसे अन्य लोगों के साथ बाहरी दुश्मनों जैसा व्यवहार किया जा रहा है, जिससे लोगों में यह भावना बढ़ रही है कि सरकार और उसकी एजेंसियां एक वर्ग विशेष को उसके विरोध दर्ज कराने के संवैधानिक अधिकारों से वंचित और डराने-धमकाने की कोशिश कर रही हैं।
मौलाना ने कहा कि देश के संविधान का मसौदा तैयार करने में जमीअत उलमा ए हिंद ने अग्रणी भूमिका निभाई है, हम किसी भी व्यक्ति, संगठन या सरकारी या गैर-सरकारी संस्थओं को इसके साथ छेड़छाड़ करने की अनुमति नहीं दे सकते, मौलाना ने कहा कि सरकारों की जिम्मेदारी नागरिकों को बसाने की है न कि उन्हें उजाड़ने की, नबी का अपमान करने वालों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के बावजूद सरकार का मुजरिमों को गिरफ्तार ना करना इस बात का संकेत है कि सरकार अमन-शांति के लिये गंभीर नहीं है, जो बेहद दुखद है। मौलाना अब्दुल्लाह क़ासमी ने कहा कि जमीअत उलमा देश के अलग-अलग हिस्सों में गिरफ्तार किए गए बेकुसूर लोगों की कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है और अलग-अलग जगहों पर वकीलों का पैनल बनाया जा रहा है।

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Author: Khabarhaq

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