सरपंचों के लिए बड़ी खबर, अब पंचायत की कुल राशि का 50 फीसदी बिना टेंडर खर्च कर सकेंगे सरपंच
फोटो पत्रकारों को जानकारी देते डीसी धीरेंद्र खड़गता
यूनुस अलवी
नूंह,
नूंह जिला के सरपंचों के लिए बड़ी खबर सामने आई है। हरियाणा सरकार ने 5 लाख और 25 लाख साल में खर्च करने की सीमा हटाने के आदेश दिए हैं। अब सरपंच बिना टेंडर के कुछ राशि का 50 फीसदी खर्च कर सकेंगे। ये जानकारी नूंह डीसी धीरेंद्र खटखटा ने शुक्रवार को पत्रकार वार्ता में दी।
उपायुक्त धीरेंद्र खड़गटा नूंह ने मासिक पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि हरियाणा सरकार ने पंचायत पर जो 5 लाख से अधिक की राशि का टेंडर प्रक्रिया से काम करने की पाबंदी लगाई हुई थी, उसको अब पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है।
उपायुक्त धीरेंद्र खड़गटा ने कहा कि एक वर्ष के अंदर पंचायत अपने फंड का 50 फ़ीसदी राशि बिना टेंडर के खर्च कर सकती है। सबसे खास बात यह है कि 5 लाख रुपए तक की राशि खर्च करने के लिए पंचायत को टेंडर प्रक्रिया से गुजरने की आवश्यकता नहीं है और एक साल में 25 लाख रूपये खर्च करने की भी कोई लिमिट नही है। कुल मिलाकर लंबे समय से प्रदेश के सरपंच जो मांग सरकार के सम्मुख उठा रहे थे, अब उसमें सरकार का रुख कुछ नरम दिखाई दे रहा है और सरकार ने यह आदेश जिला उपायुक्तों को जारी कर दिए हैं। जिससे सरपंचों के चेहरों पर रौनक आना स्वाभाविक है।
उपायुक्त नूंह ने कहा कि जिन पंचायत की एफडी खातों में जमा है। वह उनका सिर्फ ब्याज ही खर्च कर सकते हैं। मूल राशि को खर्च नहीं किया जा सकेगा। डीसी नूंह ने कहा कि सरकार की तरफ से लगातार पंचायत को सुदृढ़ करने के लिए उनके अंदर विकास कार्यों को गति करने के लिए समय – समय पर निर्देश दिए जाते हैं। सरकार ने 5 लाख तक की टेंडरिंग की जो लिमिट लगा रखी थी और उसके ऊपर ज्यादा से ज्यादा 25 लाख की कैप लगा रखी थी, अब वह कैप पूरी तरह से हटा दी गई है।
डीसी नूंह ने कहा कि एसएफसी यानी स्टेट फाइनेंस कमिशन और सीएफसी यानी स्टेट फाइनेंस कमिशन का फंड तथा पंचायत की जो अपनी आमद है उसकी 50 फ़ीसदी राशि को विकास कार्यों में अब बेझिझक बिना टेंडर के खर्च किया जा सकता है।
यहां बता दे की सरकार की इस योजना का फायदा उन बड़ी पंचायत को ही हो सकेगा जिन पंचायतों की सालाना आमद 50 लाख से अधिक है यानी के 50 लाख से अधिक को ही फायदा होगा। क्योंकि कुछ राशि का 50 फीसदी ही बिना टैंडर के खर्चा किया जा सकता है। पंचायत विभाग से जोड़े अधिकारियों का कहना है की इस नियम से जिले की बड़ी पंचायत और पंचायत समिति और जिला परिषद को सबसे ज्यादा फायदा होगा।
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