सरसों में सफेद रतुआ के नियंत्रण के लिए मैनकोजेब का करें छिडक़ाव : उपायुक्त धीरेंद्र खड़गटा
यूनुस अलवी
नूंह,
उपायुक्त धीरेंद्र खड़गटा ने बताया कि सफेद रतुआ सरसों में फंगस के कारण होने वाली बीमारी है। इसके लक्षण आरंभ में पत्तों पर नजर आते हैं। पत्तों के नीचले भाग में सफेद धब्बे से दिखाई देते हैं तथा सफेद पाउडर सा बन जाता है। इस प्रकार के लक्षण दिखाई देने पर समय रहते उपाय कर नुकसान से बच सकते हैं। लगातार धुंध और कोहरे के मौसम का बने रहना और पौधों को सूर्य की समुचित रोशनी का न मिलना प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को बाधित करता है जिससे फफूंद जनित बीमारियों के आक्रमण की संभावनाएं रहती हैं।
उन्होंने बताया कि इसमें पौधों के पत्तियों और तनों पर सफेद या पीले क्रीम रंग के कील से नजर आते हैं जो कि पत्तों से शुरू होकर तने से फूलों तक फैल जाते हैं परिणामस्वरूप तने, फूल और फलियां बेढंग के आकार के और टेढ़े मेढे हो जाते हैं जिसका फसल की पैदावार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और पैदावार घट जाती है। यह ज्यादातर पछेती बीजी गई फसलों में होता है तथा अगेती बिजाई गई फसलों में इस बीमारी का असर बहुत कम देखने को मिलता है। इस मौके पर कृषि एवं कल्याण विभाग के उपनिदेशक डॉ विरेंद्र देव आर्य ने बताया कि सरसों में सफेद रतुआ के नियंत्रण के लिए 600 ग्राम मैनकोजेब (डाइथेन या एंडोफिल एम-45) को 250-300 लीटर पानी में मिला कर प्रति एकड़ की दर से 15 दिन के अंतर पर 3-4 बार छिड़काव कर दे। फफूंदनाशक का छिडक़ाव कृषि मौसम विभाग द्वारा जारी मौसम पूर्वानुमान को ध्यान में रखकर ही करें। इसके साथ-साथ किसान छिडक़ाव करने से पहले ये सुनिश्चित अवश्य करें की जिस स्प्रेयर से छिडक़ाव करना चाहते हैं वो किसी खरपतवारनाशी के लिए प्रयोग ना किया हुआ हो। अगर कहीं तना गलन की समस्या हो तो 0.1 प्रतिशत कार्बन्दाजिम का छिडक़ाव
करें।
No Comment.