तावडू में नही थम रहा उत्पाती बंदरों का आतंक, लोगों ने लगाई जिला प्रशासन से गुहार
नसीम खान
तावडू,
कस्बे में आतंकी बंदरों से नागरिक ख़ौफ़ज़दा हैं। जो की मौका पाते ही ये बंदर लोगों को चोटिल कर रहे हैं। इसके अलावा मकानों में घुसकर सामान का भी नुकसान कर रहे हैं। ऐसे में शहर वासी बंदरों के उत्पादन से काफी डरे और शहमे हुए हैं। वहीं इसी कड़ी में हैरत की बात है कि स्थानीय नागरिकों द्वारा नगर पालिका को कई बार बंदरों को पकड़ने की गुहार लगाई जा चुकी हैं। इसलिए शहर वासियों में नगर पालिका के प्रति भारी गुस्सा और रोष व्याप्त है। शहर वासियों ने बंदरों को जल्द पकड़कर समस्या का समाधान करने को कहा है। लोगों का आरोप है कि
शहर सिर्फ उत्पादी आतंकी बंदरों की शरणस्थली बनकर रह गया है। जहाँ पर बन्दर हर वक्त घूमते रहते हैं। इन बंदरों ने हमारा जीना दुश्वार कर रखा है। इनसे लोग काफी भयभीत हैं। ये बन्दर महिलाओं, बच्चों व चलते फिरते लोगों को भी नहीं छोड़ते हैं तथा उनपर मौका पाते ही झपट पड़ते हैं और उनको चोटिल भी कर डालते हैं। इससे पहले भी बंदरों के काटने से कई बच्चे व महिलाएं घायल हो चुके हैं। लोगों में आतंकी बंदरों के भय दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। इसके अलावा बंदरों के डर से महिलाओं ने अपने घरों की छतों पर जाना भी छोड़ दिया है। बन्दर घरों में घुसकर रसोई व फ्रीज में रखे सामान को भी चट कर जाते हैं। और मकान की छत पर सुखाए हुए नए व पुराने कपड़ों को भी फाड़ देते हैं। लोगों का कहना है कि आए दिन इन बंदरों के उत्पाद से भारी भरकम नुकसान हो रहा है। लोगो के घरों की छत पर और बाजार में बन्दर अन्य जानवरों की भांति इधर उधर खुले आम घूमते रहते हैं। उत्पादन बंदरों के डर से मकान मालिक अपनी छत पर नहीं चढ़ पाते है लोगों का कहना है कि पालिका प्रशासन ने एक बार बंदरों को पकड़ने की जहमत की थी लेकिन पालिका प्रशासन को 1600 बंदर पकड़ने का टारगेट पूरा करना था लेकिन 600 बंदर पकड़ कर ही रह गए। उसके बाद दोबारा इन बंदरों को पकड़ने का कोई अभियान नहीं चलाया। जिसके कारण नागरिकों में काफी गुस्सा है। शहर के पूर्व नगर पालिका उपाध्यक्ष कर्म सिंह उर्फ कल्लू,पार्षद विजयपाल, पार्षद नरेश ढल, लियाकत अली चेयरमैन, संजय, भल्ला, घनश्याम भगत जी, दीपक तनेजा, अब्दुल खालिद आदि ने कहां की यदि शहर में आतंकी बंदरों को नहीं पकड़ा गया तो उन्हें मजबूरन जिला प्रशासन के समक्ष पेश होना बढ़ेगा।
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