• शहीद राजा हसन खान की प्रतिमा का आज अनावरण करेंगे सीएम
– नगीना महाविद्यालय में स्थापित की जाएगी शहीद राजा हसन खान मेवाती की 15 फीट ऊंची प्रतिमा
– समारोह में देश के 103 जिलों के मेवाती होंगे शामिल
– नई शिक्षा नीति के तहत आठवीं कक्षा के पाठ्यक्रम में पढ़ाया जा रहा है शहीद हसन खान मेवाती का जीवन परिचय
यूनुस अलवी
नूंह,
राई विधानसभा से विधायक मोहनलाल बड़ोली ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल कल 9 मार्च को राजकीय महाविद्यालय नगीना में शहीद राजा हसन खां मेवाती की प्रतिमा का अनावरण कर उन्हें श्रद्धांजलि देंगे । उसके बाद मुख्यमंत्री बड़कली चौक पर राज्य स्तरीय शहीद राजा हसन खां मेवाती की याद में आयोजित समारोह को संबोधित करेंगे।
मोहनलाल बडोली ने कहा कि इस राज्य स्तरीय समारोह में पूरे देश के 103 जिलों से मेवाती भाई शामिल होंगे । समारोह में सभी धर्म गुरुओं को आमंत्रित किया गया है ।उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार संत महापुरुष सम्मान एवं विचार प्रसार योजना के अंतर्गत प्रदेश के सभी महापुरुषों का सम्मान कर रही है । नई शिक्षा नीति के तहत राजा हसन खां मेवाती के बारे में आठवीं कक्षा के पाठ्यक्रम में पढ़ाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में लगातार कार्य कर रही है और प्रत्येक जिला में मेडिकल कॉलेज बने हैं ।मुख्यमंत्री मनोहर लाल प्रदेश के विकास के लिए कृत संकल्प हैं और मेवात के क्षेत्र में केजीपी , केएमपी और मुंबई एक्सप्रेसवे के बनने से विकास के दरवाजे खुले हैं।
विधायक मोहनलाल बडोली ने शहीद राजा हसन खान मेवाती के बारे में कहा कि राजा हसन खां मेवाती की प्रतिमा को राजस्थान के कलाकारों ने तैयार किया है । 15 फीट ऊंची प्रतिमा में राजा हसन खां मेवाती घोड़े पर बैठे हुए बेहद ही आकर्षक लग रहे हैं वे एक हाथ में भाला लिए हुए हैं और कमर में तलवार लटक रही है ।
उन्होंने कहा कि मेवात के वीरों में वतनपरस्ती कूट -कूट कर भरी है, जिसे हमेशा बड़ी वीरता के साथ निभाया गया है। मुगल हो चाहे अंग्रेज जब भी विदेशी आक्रमणकारियों ने देश की तरफ आंख उठाई है, यहां के वीरों ने देश के लिए अपनी जान न्योछावर की है। ऐसा ही इतिहास है राजा हसन खां मेवाती का भी। राजा हसन खां मेवाती जिन्होंने राणा सांगा के साथ मिलकर खंडवा (कन्वाहा) के मैदान में बाबर के खिलाफ जंग लड़ी ।
राजा हसन खां मेवाती का जन्म अलावल खां मेवाती के घर मे हुआ था। उनके वंशज करीब 200 साल मेवात की रियासत पर काबिज रहे। वास्तविकता यह है कि बादशाह बाबर उस समय हसन खां मेवाती से ही भयभीत था। हसन खां मेवाती का क्षेत्र मेवात दिल्ली के समीप था। इस कारण हमेशा ही राजा हसन खां बाबर की आंखों में चुभता रहा। क्योंकि बाबर को उनकी शूरवीरता व शक्ति का पूरा एहसास था। इसी के चलते बाबर ने राजा हसन खां मेवाती को दोनों का एक ही धर्म होनी की बात कही ओर उसे लोक लुभावने लालच दिए, ताकि मेवात की रियासत की गद्दी पर कब्जा कायम किया जा सके । लेकिन राजा हसन खां मेवाती बाबर के लालच में न आए।
बताते हैं कि राजा हसन खां मेवाती ने कहा था कि मैं अपनी मातृभूमि के साथ गद्दारी नहीं कर सकता हूं। तू विदेशी हमलावर है, इसलिए मैं अपने वतन के भाई राणा सांगा का साथ दूंगा। इसी के साथ खंडवा के मैदान में भयंकर युद्ध शुरू हुआ था। राजा हसन खां मेवाती अपने लाव-लश्कर और सैनिकों को साथ लेकर राणा सांगा की मदद के लिए युद्ध के मैदान में कूद पड़े । लड़ते हुए राजा हसन खां मेवाती 17 मार्च 1527 का कन्वाह के मैदान में शहीद हो गए।
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