जर्जर इमारत के एक कमरे मे चल रहा है विक्टी गांव का मिडिल स्कूल।
स्कूल में पहली से आठवीं तक पढते है 200 बच्चे, बच्चों के बैठने की नहीं कोई व्यवस्था।
कृष्ण आर्य, पुन्हाना
प्रदेश सरकार जिले में बेशक शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठने का बेहतर प्रयास कर रही हो , लेकिन पुन्हाना उपमंडल के विकटी गांव का मिडिल स्कूल शिक्षा विभाग की उपेक्षा का शिकार है। स्कूल में पहले से लेकर आठवीं कक्षा तक करीब 200 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं बावजूद इसके विद्यार्थियों के बैठने तक की कोई व्यवस्था नहीं है। स्कूल की इमारत पूरी तरह जर्जर हुई पड़ी है। केवल एक कमरे और बरामदे में ही आठ कक्षाओं को पढ़ाने में शिक्षक भी परेशानियों का सामना कर रहे हैं । ग्रामीण व स्कूल के स्टाफ द्वारा कई बार शिक्षा विभाग से यहां कमरे बनाने की मांग की जा चुकी है । लेकिन विभाग के अधिकारियों के लापरवाही व उदासीनता के कारण वर्षों बाद भी कमरों का निर्माण नहीं हो पाया है।
विक्की गांव के रमजान , सिराजू , जकरिया, अकबर, जाहिद, साजिद, मुबीन सहित काफी ग्रामीणों ने बताया की स्कूल में केवल दो कमरे बने हुए है। एक कमरे में कार्यालय बना हुआ है तो एक कमरे व बरामदे में स्कूल के बच्चे पढ़ाई करते है। स्कूल में इस समय करीब 200 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे है। ग्रामीणों ने बताया की उनका गांव राजस्थान की सीमा से सटा हुआ है तथा उनके पास कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है और न ही कोई आसपास निजी स्कूल है जिसमें वो अपने बच्चों को पढा कर उनका भविष्य संवार सके। ग्रामीणों ने बताया की स्कूल में दो पुराने कमरे है जो पूरी तरह जर्जर अवस्था में है। दो वर्ष पहले दोनों कमरों को विभाग द्वारा खंडहर घोषित किया जा चुका है तभी से नए कमरे व बरामदे में ही पहली से आठवीं तक की कक्षाएं लगाई जा रही है। स्कूल के हेड मास्टर सतीश यादव का कहना है की उन्होंने कई बार उच्च अधिकारियों को स्कूल की समस्या के बारे में अवगत कराया लेकिन विभाग की ओर से अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।
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मामला उनके संज्ञान में नहीं है, अगर स्कूल में बच्चों के बैठने की समस्या आ रही है तो वो उच्च अधिकारियों से इस संदर्भ में बात करेंगे और जल्द से जल्द स्कूल में बच्चों को बैठने की व्यवस्था कराऐगें।
सुखबीर सिंह, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी।
फ़ोटो:- स्कूल की जर्जर इमारत।
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