रमजानुल मुबारक के महीने मे अल्लाह की रहमतें बारिश की तरह बरसती है
यूनुस अलवी
नूह,
रमजान का महीना बड़ा ही बरकतों वाला है। हम इस महीने में इबादत करें। मुल्क में फैली नफरत के खात्मे के लिए दुआ करें। देश की खुशहाली और तरक्की के लिए अल्लाह से दुआ करें। पांच वक्त की नमाज पढ़ें। इन दिनों रोजा, नमाज, जकात, के साथ नेक अमल करने के साथ ही जाने अनजाने में हुए गुनाहों की माफी मांगी जा रही है। रमजान में परिवारों की दिनचर्या बदल गई है। रोजा रखने के साथ परिवार के लोग इबादत के साथ अपने कामों को व्यवस्थित तरीके से करने में जुटे हैं। मस्जिदों में अकीदतमंदों की संख्या बढ़ गई है। युवा, बुजुर्ग, व बच्चे दिन भर रोजा रखते हैं। इससे हम बहुत सी बुराइयों से बच जाते हैं। असल में रोजा आत्मा की शुद्धता का सबसे उत्तम साधन है। रोजेदार के मन में किसी तरह का गलत ख्याल तक नहीं होना चाहिए। रोजे का मतलब भूखे पेट रहकर अल्लाह के इबादत करना नहीं हैं। बल्कि सही मायनों में जीवन से बुराइयों को मिटाकर अच्छाइयों को अपनाना है। जिससे समाज में शांति और अमन कायम रहे। इस महीने में अनुशासन के साथ ही अन्य तमाम बुराइयों को दूर किया जाता है। रोजेदार ने तो किसी की बुराई करता और ने ही किसी की शिकायत । रमजान में गरीब की मदद का करने पुण्य फल मिलता है। रमजान मुबारक का महीना रहमतों के खजाने लुटाता है। और बरकतों की बारिश करता है। इस महीने में अल्लाह की खास रहमत बरसती है।
“इमाम मोहम्मद हनीफ फैजी गोरवाल जामा मस्जिद नारनौल सदर तंजीम आइमा ओकाफ हरियाणा”
Author: Khabarhaq
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