Khabarhaq

रमजान का दूसरा जुमा, अल्लाह की इबादत के लिए मस्जिद पहुंचे हजारों नमाजी

Advertisement

 

रमजान का दूसरा जुमा, अल्लाह की इबादत के लिए मस्जिद पहुंचे हजारों नमाजी

 

यूनुस अलवी,

नूंह, 

रमजान महीने के दूसरे जुम्मा में मेवात की हजारों मस्जिदों में नमाज अदा करने लाखो लोग पहुंचे। इस मौके पर देश और मेवात में अमन शांति के लिए दुआ मांगी गई। मेवात जिला में 22 मार्च को जुमा की नमाज जिले के नूंह, पुनहाना, तावडू, नगीना, फिरोजपुर झिरका, पिनगवां की हजारों मस्जिदों में अदा की गई।

तंजीम आइमा ओकाफ हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष इमाम मोहम्मद हनीफ फैजी गौरवाल जामा मस्जिद नारनौल ने बताया कि आज से मगफिरत का अशरा शुरू हो गया और साथ ही इस दिन रमजान की दूसरी नमाज अदा गई। जुमा इस्लाम धर्म में जुमे की नमाज और खासकर रमजान में पड़ने वाले जुमो का महत्व होता है। मुसलमानों का पाक इबादत का महीना रमजान चल रहा है। और रोजेदार रोजा रख रहे हैं। बता दें कि इस साल 12 मार्च 2024 से मुबारक महीने रमजान की शुरुआत हुई है। 22 मार्च को रोजेदार 11वां रोजा रखा था।तंजीम आइमा ओकाफ हरियाणा साथ ही आज पाक रमजान-उल-मुबारक का दूसरा जुमा भी है। इस्लाम धर्म में जुमा यानी शुक्रवार के दिन का खास महत्व होता है। रमजान का पहला जुमा 15 मार्च को था। इस दिन रोजेदारों और नमाजियों ने जुमे की नमाज अदा की और अल्लाह ताला से रहमत और बरकत की दुआ मांगी। मुस्लिम समाज के लोगों ने शुक्रवार को शिवाजी नगर स्थित जामा मस्जिद में रोजा की दूसरी शुक्रवार की नमाज 1:30 पर अदा की। ऐसा कोई धर्म नहीं है। जिसमें उपवास नहीं है। इस्लाम में भी है। रमजान की पाकीजगी की सभी इज्जत करते हैं। रमजान आत्मा के शुद्धिकरण के लिए हैं। इस महीने हम शरीरिक वे मानसिक तौर पर कुछ दिन के लिए गृहस्थ और सन्यास दोनों आश्रम में रहते हैं। रमजान के दौरान स्थित सन्यास आश्रम जैसी होती है। जहां रोजा रखकर भक्ति और आध्यात्म में रहते हैं। और उसके ठीक बाद गृहस्थ आश्रम में। मगर यह देखने वाली बात है। कि सारा दिन भूखे प्यासे रहने के बाद शाम को भोजन सामने आ जाने के बाद भी बंदे को इंतजार एक अजान का होता है। तब तक वह भोजन को हाथ भी नहीं लगाता। इस प्रकार रमजान हमें संयम की सीख भी देता है। इस दौरान पेट, नजरों, ईमान और इंसानियत के जरिए से पवित्रता आती है। अगर हम लगातार एक महीना अच्छे आदतों को अपनाते हैं। तो निश्चित रूप से उनमें से कुछ आदतें जीवन में शामिल हो जाती है। यह महीना कुरान को भी जानने समझने का मौका देता है। इस तरह धीरे-धीरे रमजान रोजेदारों को अपने रंग में रंग लेता है।

Khabarhaq
Author: Khabarhaq

0 Comments

No Comment.

Advertisement

हिरयाणा न्यूज़

महाराष्ट्र न्यूज़

हमारा FB पेज लाइक करे

यह भी पढ़े

Please try to copy from other website