• पंजाब वक्फ बोर्ड गठन अधिसूचना को चुनौती,
• बोर्ड गठन पर लटकी तलवार,डिवीज़न बेंच-
• पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने सरकार से माँगा जवाब
• उच्च न्यायालय की टिपण्णि , “वकीलों को मौका देना जरूरी नहीं समझा सरकार ने”
यूनुस अलवी/खबर हक
चण्डीगढ़
आज उच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार, वक्फ बोर्ड के सभी नामित सदस्यों को जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं।
याची मोहम्मद अरशद द्वारा दाखिल की गयी याचिका में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी दलील रखते हुए कहा कि,सभी सदस्यों को नामित करते समय धारा 14 वक़्फ़ अधिनियम 1995 एवं पंजाब वक़्फ़ रूल्स 2018 के नियमों का उल्लंघन किया गया याची ने कोर्ट को बताया कि सरकार कुल सदस्यों की संख्या के आधे सदस्यों को नामित कर सकती है लेकिन इसके लिए उसे लिखित में इसका कारण वर्णित करना ज़रूरी है जोकि सरकार ने अपनी अधिसूचना मैं नहीं किया ।
यह तय प्रावधान है और इन्हीं प्रावधानों के अनुरूप ही वक्फ बोर्ड का संचालन होता है। एक्ट के अनुरूप बोर्ड के सदस्यों को नामित करने की तय प्रक्रिया है।
याची ने बताया कि एक्ट के अनुरूप इलेक्टोरल कॉलेज में सीनियर एडवोकेट कोटा भी मौजूद है जिसके तहत दस वर्ष का अनुभव या बार काउंसिल का सदस्य होना जरूरी है। सरकार ने नामित सदस्य बनाने के लिए राज्य के वकीलों को मौका देना तक जरूरी नहीं समझा। याची ने कहा कि वह खुद और राज्य के कई वकील इस इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्य होने की योग्यता रखते हैं लेकिन किसी को भी मौका नहीं दिया गया। सरकार ने तय प्रक्रिया के खिलाफ जाकर सभी सदस्यों को नामित किया है और ऐसे में नामित करने की प्रक्रिया को निरस्त किया जाना चाहिए।
डिवीज़न बेंच पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने आदेश देते हुए सरकार से जवाब माँगा है और कहा कि क्यों ना इस अधिसूचना पर रोक लगाई जाये और उच्च न्यायालय की यह भी टिपण्णि , “वकीलों को मौका देना जरूरी नहीं समझा सरकार ने
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