एचकेआरएन के थी लगे 134 अध्यापकों को हटाने का सरकार पर आरोप
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एचकेआरएन के तहत लगे अध्यापकों में सरकार के खिलाफ नाराजगी
यूनुस अलवी,
मेवात,
लंबे समय से संघर्ष कर रहे एचकेआरएन के माध्यम से लगे टीजीटी और पीजीटी अध्यापकों की आज जॉन स्तरीय मीटिंग भिवानी के हुड्डा पार्क में संपन्न हुई. इस मीटिंग में निर्णय लिया गया कि रेगुलर अध्यापकों के ट्रांसफर,प्रमोशन और नई भर्ती से आए दिन एचकेआरएन अध्यापक हटाये जा रहे हैं और अब तक हटने वाले एचकेआरएन अध्यापकों की संख्या 134 पहुँच गई है. इससे संबंधित सभी अधिकारियों, विभागों स्वयं मुख्यमंत्री महोदय और सभी सरकार के नुमाइंदों को समय समय पर अवगत करवाया जा चुका है लेकिन किसी ने भी इस मुद्दे की गंभीरता को नहीं समझा और क्षुब्ध रह कर बस आश्वासन ही दिए है इसीलिए सभी एचकेआरएन अध्यापकों में रोष है क्योंकि जंहा हटे हुए अध्यापकों को आश्वासन मिल रहा है वहीं उन्हीं पदों पर सरकार एचकेआरएन की नई विज्ञप्ति के माध्यम से नई भर्ती निकालकर केवल संख्या बढ़ाने में लगी हुई है. यदि सरकार इन हटे हुए टीजीटी और पीजीटी अध्यापकों को अन्य रिक्त पदों पर समायोजित करने के साथ-साथ एचकेआरएन टीजीटी और पीजीटी अध्यापकों के लिए कोई ठोस पॉलिसी या व्यवस्था नहीं करती है तो अध्यापकों को विवश होकर आए दिनों में एक राज्यस्तरीय बड़ा आंदोलन करने के लिए विवश होना पड़ेगा. पवन कुमार जी ने बताया कि अध्यापकों के हटने के पीछे एचकेआरएन विभाग और शिक्षा सदन में समायोजन की कमी है. जबकि जिला प्रधान प्रियंका जी और पूनम जी ने बताया कि यदि शिक्षा विभाग रेगुलर और गेस्ट अध्यापकों की भांति एचकेआरएन अध्यापकों को भी एमआईएस पोर्टल पर दिखाता है तो प्रभावित होने वाली अव्यवस्था को कम किया जा सकता है क्योंकि जब जब यदि विभाग प्रमोशन, ट्रांसफर और नई भर्ती करेगा तो विभाग के पास एचकेआरएन अध्यापकों का भी गेस्ट और रेगुलर अध्यापकों की तरह पूरा व्योरा होगा. बलराम जी और हेमंत जी ने बताया कि सभी अध्यापक सभी विभागीय मानदण्डों को पूरा करते हैं और पूरी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के साथ काम करते है और इस वर्ष का परीक्षा परिणाम इस बात का साक्षी है इसीलिए सरकार को अपने ही लगाए हुए अध्यापकों की योग्यता का ऐसे निरादर नहीं करना चाहिए. सरकार एक गेस्ट अध्यापकों की भांति एक ठोस व्यवस्था करे कि यदि रेगुलर अध्यापक आता है तो तब तक एचकेआरएन अध्यापकों को स्कूल से रिलीव ना किया जाए जब तक उन्हें अन्य रिक्त स्थानों पर समायोजित नही कर दिया जाएं और सरकार से सकारात्मक रुख की अपेक्षा करते है नहीं तो सभी अध्यापक बड़े आंदोलन करने के लिए विवश है.
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