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रमजान माह लगते ही नींबू का रेट छूआ आसमान, 320 रूपये प्रति किलो तक पहुंचा -गरीब आदमी की पहुंच से दूर हो रही है नीबू की खटास -नीबू की सिकंजी की जगह, लस्सी का इस्तेमाल कर रहे हैं रोजेदार

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रमजान माह लगते ही नींबू का रेट छूआ आसमान, 320 रूपये प्रति किलो तक पहुंचा
-गरीब आदमी की पहुंच से दूर हो रही है नीबू की खटास
-नीबू की सिकंजी की जगह, लस्सी का इस्तेमाल कर रहे हैं रोजेदार

यूनुस अलवी

मेवात
गर्मी के मौसम में नीबू की मांग अधिक बढ़ जाती है। इस बार गर्मी की षुरूआत में ही रमजान माह में रखे जाने वाले रोजे भी षुरू हो गये है। पूरे दिन भूखा-प्यास रहने के बाद इफतार के वक्त लोगों को नीबू पानी की बेहद जरूरत होती है। ऐसे में नीबू का अचानक 300 रूपये प्रति किलो से अधिक भाव पहुंच जाने से नीबू आम गरीब लोगों की पहुंच से दूर गया है।
तीन अप्रैल से मुस्लिमो का सबसे पाक महीना रमजान शुरू हो गया था। जिससे मर्कीट में फ्रूट, सब्जी व नीबू के रेट आसमान छूने लगे हैं। गर्मी के मौसम में तरबूज व नीबू के पानी का अहम योगदान होता है। करीब 14 घंटे रोजा रखने के बाद रोजेदार रोजा इफ्तार करने पर नींबू के पानी का इस्तेमाल करते है।


रहेड़ी पर नींबू बेकने वाले तौफीक ने बताया कि दिन में 10 किलो नीबू भी नहीं बिक रहा हैं। जब से रोजे लगे हैं तभी से नीबू महंगा हो गया है पहले 80 रुपये किलो आते थे अब 280 रूपए किलोग्राम आ रहे है। दुकानदारी में काफी नुकसान हो रहा है, बडी मुष्किल से 50-100 रूपये की कमा पाते है।
दुकानदार आरिफ खान, अबुल हसन दुकानदार ने बताया कि थोक में नीबू 260 रुपये किलों मिल रहा है, वे फुटकर में 320 रूपये प्रतिकिलो तक बैच रहे है। इस बार बिक्री ना के बराबर है। गत वर्ष 60 से 80 रूपये प्रति किलो नीबू बिकता था। पहले 8-10 क्विंटल नीबू बिक जाता था इस बार तो 25 किलो भी नहीं बिक रहा है। जिससे उनको दुकान का किराया भी निकालना मुष्किल हो गया है। कमाना तो दूर काफी नुकसान हो रहा है।
ग्राहक सद्दाम, एजाज ने बताया कि 300 से 350 रूपये किलो नींबू बाजार में मिल रहे हैं। पहले वे कम से कम एक किलो नीबू घर ले जाते हैं लेकिन इस बार 100 ग्राम से अधिक नीबू खरीदने की ताकत ही नहीं है। रोजा रोजादारों को नींबू की जरूरत होती है, इसलिए उनका खरीदने की भी मजबूरी है।


नीबू की सिकंजी की जगह, लस्सी का इस्तेमाल कर रहे हैं रोजेदार

मोलाना जमील, सरीफ बिछौर का कहना है कि नीबू के अचानक मंहगा होने की वजह से ग्रामीण लोग छाछ या दूध की लस्सी का रोजा खोलने और पानी की कमी को पूरा करने के लिए अधिकतर रोजेदार तरबूज का इस्तेमाल कर रहे हैं। उनका कहना है कि 300 से 350 रूपये किलो नीबू खरीदना गरीब आदमी के बस की बात नहीं हैं।

 

फोटो-1 सब्जी औी नीबू बैचता दुकानदार
फोटो-रहड़ी पर नीबू बेचता व्यक्ति ग्राहक का इंतजार करता हुआ
फोटो-नीबू और सब्जी बैच रहा दुकानदार ग्राहक का इतजार करता हुआ

 

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