बालोत: मेव पाल का पूरा इतिहास, एक बार जरूर पढ़ें
बालोत मेव समाज मे पाल हे .सालाहेडी गाव बालोत गोत्र का थाम्बा है, बालोत तोमरवंशी हैं. इस पाल के वारसआली का नाम बाला था .इसके नाम से इस पाल को बालोत कहते हे. राना काकू इस पाल का चौधरी था .ग्यासुद्दीन बलबन के साथ पहले जंग भी की थी बाद में बलबन ने राणा काकू को अपना वजीर बना लिया .राना काकू पूरी मेवात का चौधरी भी था.
आऐ को ओर करा ओर करा नरेश
काकू राना बालोत को करे सलामी देश .
पाल बालोत से ताल्लुक रखने वाले राना काकू ने ने ही मेवो को पालो में तक्सीम किया था और वही पाल बंदी अभी भी है.
राणा काकू की तक्सीम के मुताबिक बालोत पाल के 210 गांव है मगर अंदरून मेवात आबादी इनकी बहुत थोड़ी है. राना काकू को ग्यासुद्दीन बलबन ने दिल्ली की हिफाजत के लिए मुकर्रर किया था इसलिए मिसाल मशहूर है
“जब तक दिल्ली तोमर की”
मेवो के इतिहास में, मेवो को पाल ओर चौधर मे काकू राणा ने विभाजित किया था. काकू राणा के बिना मेवो का इतिहास अधूरा है। अब बालोत जगह- जगह बिखरे हुए हैं हरियाणा मेंवात मे सालाहेडी , सीगलहेडी, लहरवाड़ी, जाखोपुर, मादलपुर , इन्दाना, बिछोर में एक मुहल्ला, रायपुरी, सिलाखरी, बुराका, सापनकी, चिलावली, बाजड़का, घीघडाका, जलालपुर, चादनकी आदि गाँव मे बालोत रह रहे हैं।
फरीदाबाद का बड़खल गांव भी बालोत मेव का है
अलवर के दोहरा ओर सिलालपुर गाव बालोत के गाव हे .
भरतपुर के नगर तहसील का बडोडी रोजका , सेमला आदि गाव बालोत के हे
भरतपुर के कामा तहसील का लेवडा, इमामखा नंगला, अकाता, ढाना बगीची, रावतका आदि गाव बालोत के हे
17वी , 18 वीं सदी में मेवात इलाका में अकाल पड़ने के कारण काफी बालोत मेंवात इलाका से मध्य प्रदेश भी चले गए थे. मध्यप्रदेश के मंदसौर ,रतलाम,जावरा, नीमच डिस्ट्रिक्ट में काफी बालोत रहते हे
जब बलबन ने सन 1100-1200 मे मेवात पर जुल्म किया था तब काफी बालोत मेवात इलाका से उत्तर प्रदेश चले गए थे, 17वी, 15 वी ,18वी सदी मे भी मेव उत्तर प्रदेश चले गऐ थे .उत्तर प्रदेश के अमरोहा ,मेरठ ,बुलंदशहर, गाजियाबाद,नोएडा हापुड़ ,बरेली जिलों में काफी तादाद में बालोंत रहते हे. बुलंदशहर डिस्ट्रिक्ट में बालोत काफी तादाद में हे. बुलंदशहर के गुलावठी कस्बा के आस-पास ही चिडावक, भामरा, सोहनपुर,अब्दुल्लापुर मोरी , चिरचिटा, मिठ्ठेपुर, त्योरबुजूर्ग, सुतारी बालोत के गाव हे. 1947 मे देश बटवारे के समय भी मेवात इलाका से काफी बालोत पाकिस्तान चले गए थे और कराची, हैदराबाद, मीरपुरखास और लाहौर डिस्ट्रिक्ट में आबाद हुए
सालाहेड़ी गाँव बालोत का थाम्बा हे
सालाहेडी गाँव को महान मेव राजा जोधिया राणा बालोत द्वारा बसाया गया था . जौधिया राणा बालोत महान मेव शासक महाराणा काकू राणा बालोत और अटल राणा बालोत (मेवात में अट्टे खान के रूप में भी जाना जाता था ) के उत्तराधिकारी थे। प्रति अभिलेखों के अनुसार सालाहेरी का नाम सलारिया (ब्रदर अनंगपाल-द्वितीय का नाम) से लिया गया है, जिसका इस्तेमाल तंवर मेवो के लिए किया गया था। इस गाँव के लोगों का दावा है कि वे जग्गा की कुर्शीनामा के अनुसार पांडव के सीधे वंशज हैं।
महान राजा जोधिया राणा बालोत घासेडा रियासत में प्रधान मंत्री थे और उन्होंने गाँव में एक किला स्थापित किया और गाँव के तीन किनारों में पानी की टंकियों (तालाबों) का निर्माण कराया और आक्रमणकारियों से गाँव की रक्षा करने के लिए पूरब की तरफ चौकी को स्थापित किया।
जोधा राणा बालोत की सबसे लोकप्रिय कहानी यह है कि वह तलवार या भाला का उपयोग करने में इतना शक्तिशाली और कुशल था कि एक प्रयास में वह उन सात तावों (सात पैंस) को पार कर सकता था। जोधिया राणा बालोत भी 222 गाँवों के चौधरी थे। वे सैन्य रणनीति में इतने कुशल थे कि उनके समय तक किसी ने भी घासेडा रियासत पर हमला करने की हिम्मत नहीं की, भले ही रियासत बहुत छोटी थी।
सालाहेडी गांव का लंबा इतिहास रहा है. अतमल राणा बालोत और पाच पहाड की लडाई (मुगलों के खिलाफ ) अटल राणा बालोत द्वारा लाई गई क्रांति थी. इस पाल ने मुगलों से काफी लड़ाई लड़ी थी पांच पहाड़ की लड़ाई भी बालोत पाल ने बहुत बडी भूमिका निभाई थी जिसमें मेवों का सामना शाहजहां की फौज से हुआ था।
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