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सीएलजी कमेटी के आने लगे हैं, अच्छे परीणाम -पुलिस द्वारा गठित की सीएलजी कमेठी में हो रहे हैं आपसी समझोते

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सीएलजी कमेटी के आने लगे हैं, अच्छे परीणाम
-पुलिस द्वारा गठित की सीएलजी कमेठी में हो रहे हैं आपसी समझोते
-सामुदायिक समन्वय समिति के चेयरमैन की अध्यक्षता में बुधवार को कमेठी की बेठक
-आज 9 में से चार मामलों में हुआ समझौता, दो रखे पेंडिंग

फोटो-सीएलजी कमेठी की बेठक में मौजूद पक्ष और समिति के सदस्य

यूनुस अलवी

नूंह
नूंह जिला में छोटे-छोटे झगडे थाने और अदालत में न पहुंचे इसको लेकर जिला पुलिस कप्तान द्वारा गठित सामुदायिक समन्वय समिति (सीएलजी) के परीणाम अच्छे आने लगे हैं। बुधवार को कमेठी के सामने 9 मामले रखे गये जिनमें से चार का आपसी समझोता करा दिया गया। अन्य पांच मामलों को सुनवाई के लिए अगली बेठक में रखा गया है।
सामुदायिक समन्वय समिति और हरियाणा गोसेवा आयोग के सदस्य हकीम आस मोहम्मद ने बताया कि बुधवार को समिति की तीसरी बेठक आयोजित की गई। जिसकी अध्यक्षता समिति के चेयरमैन जीएस मलिक ने की। उन्होने बताया कि बेठक में 9 मामले सुनवाई के लिए रखे गये। जिनमें चार का मौके पर समझोता कराया गया है। उन्होने बताया कि गांव झिमरावट में पांच लाख 60 हजार रूपये का लेनदेन का मामला पहली बेठक से विचाराधीन था, पीडित को उसके सभी पैसे दिलाकर समझोता करा दिया गया हैं। इसके अलावा बीसरू वे सिरसबास में पति-पत्नी के झगडे और गांव जखोकर में पैसे के लेनदेन के मामलों में भी समझोता कराया गया है। उन्होने बताया कि बेठक में करीब 20 षिकायतें मिली है। उन्होने बताया कि सीएलजी बेठक में जो भी व्यक्ति अपनी षिकायत पहुंचाना चहाता है वह एसपी को षिकायत करें वही उनकी कमेटी के पास सुनवाई के लिए भेजते हैं।
जिला पुलिस प्रसक्ता कृष्ण कुमार ने बताया कि आज की बेठक में चेयरमैन जीएस मलिक, गोसेवा आयोग के सदस्य हकीम आस मोहम्मद, जसवंत गोयल, महेंद्र गर्ग, सुरेंद्र देषवाल ने हिस्सा लिया। कमेटी में 11 सदस्य हैं। जो लोगों से समझौता के लिए बातचीत करते हैं अगर किसी मामले में समझौता नहीं होता तो उसमें कार्रवाई के लिए सम्बंधित पुलिस थाना को लिख दिया जाता है।
नूंह पुलिस कप्तान वरूण सिंगला ने बताया कि नूंह जिले में काफी ऐसे मामले आते हैं जिनसे अदालत और पुलिस का काफी समय बरबाद होता है। जबकि इनको आपसी समझोते के तहत भी सुलझाया जा सकता है। उन्होने बताया कि जिले के पुलिस थानों और पुलिस चौकियों में आने वाले ऐसे मामलों को सामुदायिक समन्वय समिति के पास भेजा जा रहा है। जहां पर कमेठी के सदस्य दोनों पक्षों की बात सुनकर उनका आपसी समझोता कराने का प्रयास कर रहे हैं। जिसके अच्छे परीणाम आ रहे उन्होने कहा इससे इलाके के लोगों को काफी फायदा होगा। यहां तक की अदालत जाने से भी उनके हजारों रूपयें खर्च होने से बच सकेगें।
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