हरियाणा वक़्फ़ बोर्ड के प्रशाशक ज़ाकिर हुसैन के गांव की गर्भवती महिला ने इलाज के अभाव में शहीद हसन खा मेडिकल कालेज नूंह में दम तोड़ा
– परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप
-मेवात के डाक्टरों को नहीं ही गब्बर (अनिल विज) का तनिक भी खोफ
यूनुस अलवी
नूंह/मेवात
करीब 400 करोड रुपए की लागत से अरावली पर्वत की वादियों में बना राजकीय शहीद हसन खान मेवाती मेडिकल कॉलेज नल्हड़ इलाज के नाम पर सफेद हाथी साबित हो रहा है। इलाज के अभाव में यहां रोज किसी न किसी की जान जा रही है, लेकिन प्रशासन और सरकार का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है।
शुक्रवार को सिर दर्द का इलाज कराने आई एक महिला व उसके पति को डॉक्टर जांच इत्यादि के नाम पर इधर – उधर भटकाती रहे। तब तक महिला ने तड़प – तड़प कर दम तोड़ दिया।
मृतक महिला के परिजनों ने आरोप लगाया कि डॉक्टरों ने फिरदोस पत्नी सरफुद्दीन निवासी रेहना उम्र 32 साल का आपातकालीन वार्ड में इलाज शुरू नहीं किया। महिला के पति सरफुद्दीन के मुताबिक फिरदोस को सुबह सिर में दर्द हुआ था। जिसके बाद वह उसे इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज नल्हड़ लेकर पहुंचा, फिरदोश 7 माह की गर्भवती थी। डॉक्टरों ने उसे एमआरआई इत्यादि जांच के लिए इधर – उधर भेजा।
सुबह करीब 9:30 बजे वह अपनी पत्नी को लेकर अस्पताल पहुंच गया था, लेकिन तकरीबन 1:30 बजे तक उसका इलाज शुरू नहीं हुआ। इस दौरान फिरदोस ने अस्पताल के अंदर ही तड़प – तड़प कर दम तोड़ दिया।
अब उसके पति सरफुद्दीन की आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। उसका कहना है कि वह तीन बच्चों का पिता है। बीपीएल परिवार से संबंध रखता है। ना उसके मां-बाप है और अब उसकी पत्नी भी उसका साथ छोड़ चुकी है। अब वह अपने तीन बच्चों का कैसे लालन – पालन कर पाएगा।
सरफुद्दीन व उसके परिवार के लोग जब फफक – फफक कर रो रहे थे तो उनके पास भारी भीड़ जमा हो गई। जिसने भी सरफुद्दीन की कहानी सुनी उसकी आंखें भी नम हो गई। मीडिया की टीम ने जब डॉक्टरों की लापरवाही पर मेडिकल कॉलेज नल्हड़ के निदेशक डॉ पवन गोयल व अन्य उच्चाधिकारियों से बात करने की कोशिश की तो निदेशक महोदय छुट्टी पर मिले। जिनको चार्ज मिला हुआ था, उनको भी काफी खोजने के बाद कहीं पता नहीं चल पाया। यह आलम सिर्फ एक मरीज के साथ नहीं है और सिर्फ एक दिन की कहानी नहीं है। यहां डॉक्टर अपनी जमकर मनमानी कर रहे हैं। जिस नल्हड़ मेडिकल कॉलेज से इलाके के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर बड़ी उम्मीद थी।
अब वही अस्पताल उनका इलाज करने के बजाय सफेद हाथी साबित हो रहा है, लेकिन गरीबी की हालत में लोग इसी अस्पताल में घुट – घुट कर इलाज कराने को मजबूर हो रहे हैं। बिल्डिंग भले ही इस मेडिकल कॉलेज की किसी पंचतारा होटल के समान दिखती हो, लेकिन इसमें सुविधाओं की उतनी ही भारी कमी है।
सरकार से लेकर आला अधिकारी तक इस नल्हड़ मेडिकल कॉलेज की बदहाली पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।
स्थानीय विधायक ने सड़क से लेकर विधानसभा तक इस कॉलेज की बदहाली की कहानी पुकार – पुकार कर सरकार के सामने रखी, लेकिन सरकार का कलेजा नहीं पसीजा। खास बात तो यह है कि सूबे के जिस मंत्री को गब्बर सिंह कहा जाता है। उनको स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी सरकार ने दी हुई है, लेकिन गब्बर सिंह का खौफ डॉक्टरों पर तो दूर यहां के चपरासी तक पर कहीं दिखाई नहीं देता। हरियाणा के सबसे पिछड़े इस जिले को नीति आयोग की भी सूची में शामिल किया गया है और लोगों की सेहत का ख्याल रखने की बड़ी जिम्मेदारी भी स्वास्थ्य विभाग व सरकार के कंधों पर है,
लेकिन लोग स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में कीड़े – मकोड़ों की तरह दम तोड़ रही है। सबसे खास बात तो यह है कि मरीजों को इस आलीशान मेडिकल कॉलेज में ना तो दवाइयां मिल पा रही हैं और ना ही इलाज मिल पा रहा है। इस कॉलेज में पढ़ने वाले एमबीबीएस के छात्र बॉन्ड पॉलिसी के विरोध में पिछले कई दिनों से लगातार धरना – प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन सरकार कुंभकर्णी नींद में सोई हुई है।
अब देखना यह है कि कब तक मेवात जिले के लोग इलाज के अभाव में इस मेडिकल कॉलेज में दम तोड़ते रहेंगे या फिर सरकार की नजरें इनायत मेडिकल कॉलेज की तरफ आने वाले दिनों में देखने को मिलती हैं।
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