हरियाणा सरकार द्वारा एचसीएस परीक्षा में उर्दू विषय को शामिल ने किए जाने को लेकर हाइकोर्ट में याचिका
– न्यायालय की डिवीज़न बेंच ने सरकार एवं पब्लिक सर्विस कमीशन को नोटिस जारी कर 27 मार्च तक जवाब दाख़िल करने का आदेश दिए।
Younus Alvi
Khabarhaq, Chandigarh
हरियाणा सरकार द्वारा एचसीएस परीक्षा में उर्दू विषय को शामिल ने किए जाने को लेकर हाइकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। पंजाब एवम हरियाणा हाईकोर्ट न्यायालय की डिवीज़न बेंच ने हरियाणा सरकार एवं हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन को नोटिस जारी कर 27 मार्च 2023 तक जवाब दाख़िल करने का आदेश दिए हैं।
आपको बता दें की 2008 में तत्कालीन सरकार ने उर्दू ज़बान को “The Haryana Civil Services Executive Branch Rules 2008”के नियम से बाहर कर दिया था और अन्य दो भाषाओं को एक वैकल्पिक विषय के रूप में हरियाणा सिविल सेवा (कार्यकारी) परीक्षा में शामिल कर लिया गया था जबकि उर्दू को एक राष्ट्रीय भाषा के रूप में भारतीय संविधान द्वारा मान्यता है और धारा 344 (1) के संदर्भ में आठवीं अनुसूची क्रम संख्या 22 में एक विशिष्ट प्रविष्टि है,लेकिन एक वैकल्पिक विषय के रूप में हरियाणा सिविल सेवा (कार्यकारी) परीक्षा में उर्दू विषय को शामिल नहीं किया जाना एक असंवैधानिक एवं भेदभावपूर्ण कार्रवाई है। याचिकाकर्ता मोहम्मद इमरान ने एडवोकेट मोहम्मद अरशद के माध्यम से डाली याचिका में कहा की उन्होंने अपनी संपूर्ण शिक्षा उर्दू विषय में हासिल की थी लेकिन वह हरियाणा सिविल सेवा परीक्षा-21 में उर्दू विषय ने होने से परीक्षा में शामिल होने से वंचित रहा इसके अलावा और भी छात्र जो मदरसा पार्श्वभूमि से आते हैं। उपर्युक्त कारणों से याचिकाकर्ता ने मोहम्मद अरशद एडवोकेट के माध्यम से “The Haryana Civil Services Executive Branch Rules 2008” के क़ानून को चुनौती दी हे। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की डिवीज़न बेंच ने हरियाणा सरकार एवं हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन को नोटिस जारी करते हुए 27 मार्च तक जवाब दाख़िल करने का आदेश दिया है।
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