विकास पुरुष के नाम से मशहूर चौधरी खुर्शीद अहमद की 17 फरवरी को तीसरी बरसी पर विशेष
– मेवात के लिए जो कार्य पूर्व सांसद व मंत्री मरहूम खुर्शीद अहमद ने किए वे मिल का पत्थर साबित हो रहे हे
Younus Alvi
Nuh/ Mewat
मेवात के छोटे से गांव धुलावट मंे जन्में एंव हरियाणा में राजनीति की एक गहरी छाप छोड़ने और मेवात में विकास पुरूष के नाम से मषहूर मरहूम चौधरी खुरषीद अहमद की षुक्रवार को तीसरी पुण्य तिथि है। शिक्षा और विकास को लेकर जो काम चौधरी खुर्शीद अहमद ने शुरू किए आज तक उन्हें कोई नहीं कर सका। खासतौर से 1968 में नगीना में व्यक्तिगत रूप से कॉलेज की स्थापना कर बाद में उसे सरकार को भेंट कर देना एक मिसाल थी।
मरहूम चौधरी खुर्शीद अहमद 27 साल की आयु में संयुक्त
पंजाब में 1962 में नूंह से विधायक चुने गये। उसके बाद वह 1968, 1987, 1996 में नूंह से वे 1977 में तावडू से विधायक बने तथा 1968, 1979 और 1987 में राज्य में केबीनेट मंत्री तथा 1982 में हरियाणा प्लालिंग बार्ड के वाईस चेयरमैन बने तथा 1988 में फरीदाबाद लोकसभा से सांसद चुने गये। 17 फरवरी 2020 को वह इस दुनिया को छोड़ गए।
चौधरी खुर्शीद अहमद ने शिक्षा मंत्री के रूप में प्रदेश के स्कूलों का अपग्रेडेशन व निर्माण कराया व फिरोजपुर नमक गांव में प्रदेश की पहली जेबीटी खोली, स्वास्थ्य मंत्री के रूप में प्रदेश में काफी सीएचसी व पीएचसी अस्पतालों का निर्माण कराया। उद्योग धंधे स्थापित कराए जिसमें रोजका मेव व हथीन में उद्योग क्षेत्र बनाया। गुड़गांव को नई पहचान दी।
अर्बन लोकल ऑडीज मंत्री के रूप में कॉलोनाइजर को बढ़ावा दिया। डीएलएफ के मालिक केपी सिंह की पुस्तक में गुड़गांव के विकास की देन के लिए सराहा। गुड़गांव के अलावा फरीदाबाद को भी विससित कराने में दिया विशेष योगदान। बांधो का निर्माण कराया। सिंचाई के लिए ड्रेन, पंप हाऊस आदि बनवाये। मेवात के विकास के लिए एमडीबी का गठन कराया। जेबीटी संस्थान फिरोजपुर नमक में उर्दू विषय के लिए अलग से सीटें निर्धारित कराई।
अल आफिया अस्पताल मांडीखेड़ा के निर्माण में सराहनीय भूमिका निभाई। उटावड में बहुतकनीकी संस्थान व कई आईटीआई का निर्माण कराया। मेवात जिले के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वहीं उनके बड़े बेटे चौधरी आफताब अहमद प्रदेष में दो बार विधायक एक बार मंत्री बने है। फिलहाल वह हरियाणा कांग्रेस विधायक दल के उपनेता है। अपने पिता की विरासत को बखूबी निभा रहे है। आफताब अहमद भी विकास के नाम पर अपने पिता से पीछे नहीं है। बल्कि पिता ने जहां एक बहुतकनीकी संस्थान खोला तो आफताब ने दो खोले, पिता ने एक आईटीआई खोली तो आफताब ने 6 आईटीआई, दो डाइट व बाईट सहित काफी कार्य किये है।
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