गांधी जी अगर मेवातियों को नहीं रोकते तो आज वे पाकिस्तान में मुहाजिर कहलाते
-गांधी के वादे के भरोसे, मेवात में आबाद है लाखों मुस्लिम
-देश बटवारे के समय गांधी के आश्वासन के बाद लाखों मेवाती पाकिस्तान जाने से रूके थे।
-ग्राम घासेडा में 19 दिसंबर 1947 को गांधी ने दिया था ऐतिहासिक भाषण
फोटो—19 दिसंबर 1947 के मेवात आने की अंग्रेजी के अखबार में छपी खबर और फोटो
यूनुस अलवी
मेवात
देश के बटवारे के बाद मेवात के मुसलमान जब पाकिस्तान जाने की तैयारी कर रहे थे, तब महात्मां गाधीं और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पिता स्वर्गीय रणबीर सिंह के आश्वासन के बाद लाखों मेवाती मुसलमान पाकिस्तान जाने से रूक गये थे। महात्मां गांधी ने 19 दिसंबर 1947 को गांव घासेडा में पाकिस्तान जाने की तैयारी में रूके हुऐ मेवातियों की जान माल की हिफाजत करने और पूरा मान-सम्मान का भरोसा दिये जाने के वादे के बाद जहां लाखों मुसलमान उजडने से बचे वहीं पाकिस्तान जाने का भी इरादा बदल दिया था। उस दौर के लोगों ने गांधी जी का इसे मेवातियों पर बडा अहसान बताया, जिन्होने पाकिस्तान में उन्हें मुहाजिर कहलवाने से बचा लिया था।
स्वतंत्रता मिलने के बाद देश पूर्ण रूप से आजाद तो हो गया दुर्भाग्य से देश का बटवारा भी हुआ। उस समय मेवात के मुसलमानों को जबरजस्ती पाकिस्तान भेजा जा रहा था। जबकी हरियाणा और राजस्थान के मुसलमान पाकिस्तान जाने के लिये कतई राजी नहीं थे। उस समय हरियाणा के मेवात, गुडगांव और फरिदाबाद पर अंग्रेज सरकार और राजस्थान के अलवर, भरतपुर पर राजाओं का राज था। जहां इस बटवारे से देश में खून की होली खेली जा रह थी वहीं राजस्थान का मेवात भी इससे अछूता नहीं था। जिसकी वजह से राजस्थान के लाखों मुसलमान पाकिस्तान जाने के लिये हरियाणा के घासेड़ा (मेवात) में आये हुऐ थे।
मेवातियों के साथ हो रहे अत्याचार और जबरजस्ती पाकिस्तान भेजने के मामले को लेकर स्वतंत्रता सेनानी, अबदुल हई, राजस्थान का हिम्मत खां, यासीन खां अन्य मुस्लिम नेता महात्मा गांधी से मिले और उन्हें मेवात आने का न्योंता दिया। मेवातियों के देश प्रेम को देखते हुऐ महात्मा गांधी 19 दिसंबर 1947 को मेवात के गांव घासेडा पहुचें। उनके साथ पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोपी चंद भार्गव, रणबीर सिंह हुड्डा के साथ कांग्रेस के काफी नेश्रल नेता थे।
इतिहासकार सद्दीक मेव ने बताया कि महात्मां गांधी ने 19 दिसंबर 1947 को गांव घासेडा में लाखों मेवाती लोगों के बीच अपना ऐतिहासिक भाषण दिया। उस समय गांधी जी ने कहा था कि आज मेरे कहने में वह शक्ति नहीं रही जो पहले हुआ करती थी। अगर मेरे कहने में पहले जैसा प्रभाव होता तो आज देश का एक भी मुसलमान भारतीय संघ को छोडकर जाने की जरूरत नहीं करता। न ही किसी हिंदु-सिख को पाकिस्तान में अपना घर बार छोडकर भारतीय संघ में शरण लेने की जरूरत पडती।
इस मौके पर गांधी जी ने अपने भाषण में मुस्लिम प्रतिनिधियों द्वारा दिये गये शिकायत पत्र की प्रति लाखों लोगों को पढकर सुनाई और उन्होने मेवातियों को विश्वास दिलाया कि उन्हें पूरा मान सम्मान और सुरक्षा दिलाई जाऐगी अगर किसी सरकारी अधिकारी ने मेवातियों के साथ कोई अत्याचार किया तो सरकार उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। गांधी के आश्वासन और विचारों का मुसलमानों पर इतना असर हुआ की उन्होने पाकिस्तान जाने का अपना इरादा बदल दिया था।
मेवाती महात्मां गांधी को उघाडा (बिना कपडों के) नाम से जानते थे।
मेवात के फजरूदीन बेसर, डाक्टर दीन मोहम्मद मामलीका, ऐडवोकेट, महमूदुल हसन ऐडवोकेट का कहना है कि गांधी जी के सुरक्षा का आश्वासन देने के बाद यहां के मुसलमान रूक गये थे। अगर उस समय नहीं रूकते तो हरियाणा और राजस्थान में एक भी मुसलमान नहीं होता। मुसलमानों पर गांधी जी का सबसे बडा अहसान है जिन्होने पाकिस्तान जाने से रोका आज हिंदुस्तान में मुसलमान अमन और सम्मान की जिंदगी जी रहे हैं जबकी पाकिस्तान में भारत से गये लोगों को आज भी मुहाजिर कहकर पुकारा जाता है। उनका कहना है कि जो भरोसा गांधी जी ने मेवातियों को दिया उनके वादे को कोई सरकार अभी तक पूरा नहीं कर सकी है। आज भी मेवाती गुर्बत की जिंदगी जी रहे हैं, मेवातियों को रोजगार तो दूर पीने का पानी तक भी नसीब नहीं है। उनका कहना है इसी खुशी में मेवात के लोग 19 दिसंबर को मेवात दिवस मनाते है।
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