निकाह़ मानव जीवन की आवश्यकता है, किस आयु में हो, ये सरकार को तैय नहीं करना चाहिए
-सरकार निकाह़ की समय सीमा और आयु तय करने से परहेज़ करे
-प्रमुख उलामा-ए-मेवात ने सरकार से रखी अपनी बात
फोटो- लडकियों की ष्षादी की आयू 21 साल करने पर बेठक करते उलेमा
यूनुस अलवी
मेवात-हरियाणा
सरकार द्वारा लडकियों की षादी की आयू सीमा 21 वर्ष तैय किये जाने की योजना से एक बवाल से खड़ा हो गया है। हर कोई लडकियों की षादी 21 वर्ष तैय करने का विरोध कर रहा है। इसका विरोध मेवात के उलेमाओं ने भी किया है।
मंगलवार को मेवात के शीर्ष नेतृत्व के उलेमाओं की एक बैठक फिरोजपुर झिरका स्तिथ आइशा कालोनी में हुई, जिसकी अध्यक्षता जमीअत उलेमा हिंद के मेवात जिला अध्यक्ष मौलाना हकीमुददीन उटावडी ने की।
मौलाना साबिर कासमी ने बताया की केंद्र सरकार द्वारा लडकी की शादी की उम्र 21 साल करने बाबत मेवात के प्रमुख उलेमा ने कहा कि निकाह़ मानव जीवन की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है, लेकिन निकाह़ किस आयु में हो इसके लिए किसी नियम आयु को मानक नहीं बनाया जा सकता। मोलाना डॉ रफीक आजाद ने कहा कि षादी का सम्बन्ध जहां स्वास्थ्य से है वहीं समाज में नैतिक मूल्यों की सुरक्षा और समाज को अनैतिकता से बचाने से भी है। इसलिए न केवल इस्लाम बल्कि अन्य धर्मों में भी निकाह़ की कोई आयु समय सीमा तय नहीं की गयी है, बल्कि इसको उस धर्म के मानने वालों के स्वविवेक पर रखा गया है। यदि कोई लड़का या लड़की 21 वर्ष से पूर्व निकाह़ की आवश्यकता महसूस करता है और निकाह़ के बाद के दायित्व का निर्वहन करने में सक्षम है तो उसको निकाह़ से रोक देना अत्याचार ही नहीं बल्कि एक वयस्क व्यक्ति की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप है।
समाज में इसके कारण अपराध को बढ़ावा मिल सकता है। मौलाना कासमी ने कहा कि 18 वर्ष या 21 वर्ष शादी की न्यूनतम आयु तय कर देना और इससे पूर्व निकाह़ को क़ानून के विरूद्ध घोषित करना न लड़कियों के हित में और न ही किसी भी समाज के लिए लाभदायक है बल्कि इससे नैतिक मूल्यों को हानि पहुँच सकती है।
जमीअत उलेमा हरियाणा के उपाध्यक्ष मौलाना उस्मान रूपडाका, नूंह जिला अध्यक्ष मौलाना हकीमुददीन उटावडी और पलवल के जिला अध्यक्ष मोलाना साबिर कासमी का कहना है कि जमाना की जागरूक रफ्तार के साथ वैसे भी कम आयु में निकाह़ का रिवाज धीरे-धीरे समाप्त होता जा रहा है लेकिन कुछ परिस्थितियाँ ऐसी आती हैं कि तैय आयु से पूर्व ही निकाह़ कर देने में लड़की का हित होता है, इसलिए जमीअत उलेमा हिंद मेवात के पदाधिकारी सरकार से मांग करते हैं कि ऐसे बिना लाभ के बल्कि हानिकारक क़ानून बनाने से परहेज़ करे।
इस अवसर पर इस जमीअत उलेमा हरियाणा के उपाध्यक्ष मौलाना उस्मान रूपडाका, नूंह जिला अध्यक्ष मौलाना हकीमुददीन उटावडी और पलवल के जिला अध्यक्ष मोलाना साबिर कासमी, हाजी मौहम्मद रमजान और डाक्टर मौलाना रफीक आजाद सहित कई प्रमुख उलेमा मौजूद रहे।
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