–मेवात के बड़े उलेमाओं कुरबानी को लेकर लिया बड़ा फैसला
-उलेमाओं ने बकरीद के मौक़े पर गाय की क़ुर्बानी ने करने की अपील
-उलेमाओं ने कहा जिस कार्य से दूसरे मजहब के लोगो को ठेस पहुंचे उससे रुकना चाहिए
फोटो – बैठक में भाग लेते मेवात इलाके के प्रमुख उलेमा
यूनुस अलवी
नूंह (मेवात), हरियाणा
नूंह जिला के खंड पुनहाना के गांव बडेड स्थित मदरसा मआरिफुल क़ुरआन में हज़रत मौलाना याहया करीमी महासचिव जमीयत उलामा मुत्ताहिदा पंजाब की अध्यक्षता में जमीयत उलामा ए मेवात की एक अहम मीटिंग का आयोजित की गई। बेठक मंे कई अहम फैंसले लिए गऐ। बैठक में फैंसला लिया गया कि बकरीद के मौके पर कोई भी मुस्लिम गाय की कुर्बानी न करे। इससे दो समुदायों में तनाव बढ़ सकता है।
जमीयत उलमा हिंद की नॉर्थ जॉन हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ के संयुक्त महासचिव मौलाना याहया करीमी ने कहा भले ही इस्लाम धर्म में गाय की कुरबानी जायज है लेकिन हरियाणा, उत्तर परदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश सहित देश के अधिकतर राज्यों में गाय की हत्या करने पर कानून बना है। गाय की हत्या करने पर कडे़ सजा का भी प्रावधान हैं। उन्होने कहा गाय की कुर्बानी से करने दो बड़े नुकसान होगें। पहला कानून की अवहेलना करना और दूसरा एक धर्म की आस्था को चोट पहुंचाना है। जिससे इलाके में कोई भी बड़ा फसाद खड़ा हो सकता है।
मौलाना याहया करीमी ने कहा कि मेवात के मषहूर उलेमाओं ने एक बैठक कर तमाम मुसलमानों से ख़ास तौर पर मेवात वासियों से ’ईद उल अज़हा के मौक़े पर गाय की क़ुर्बानी न करने की दरखास्त की है। उन्होंने कहा कि दीन ए इस्लाम में ईद उल अज़हा के मौक़े पर क़ुर्बानी करना जहां जरूरी है वहीं इसका पुण्य भी मिलता है।
उन्होने कहा बकरीद के मौके पर मालदार बालिग़ मुसलमान मर्द औरत पर क़ुर्बानी करना जरूरी है। इसलाम धर्म में गाय के अलावा भैंस, कटड़ा, बकरा आदि पषुओं की कुर्बानी का विकल्प है। ऐसे में देश भर के मुसलमानों को गाय की कुर्बानी से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक तरफ कई राज्यों में गाय की हत्या पर पाबंदी है दूसरे बहुत से हिंदू समाज के लोग गाय को अपनी मां मानते हैं। ऐसे में भी हमको गाय की कुर्बानी करने से परहेज करना चाहिए।
उन्होने कहा ऐसे हालात में गाय को छोड़कर दूसरे जानवरों की क़ुर्बानी कर मुल्क में अमन, चैन व भाईचारा की हिफाज़त करना बहुत ज़रूरी है। उन्होंने कहा हमें हर ऐसे कार्य से बचना चाहिए जिससे इलाक़े का अमन और भाईचारा खतरे में पड़ जाए। उन्होने कहा चंद लोगों की नादानी की वजह से पूरी कौम को इसका खामियाज़ा भुगतना पड़ सकता है।
बैठक में मौजूद सभी बड़े उलेमाओं ने मेवात के लोगों से इंतिहाई अदब व एहतराम के साथ गुज़ारिश करते हुए कहा कि कानून का पालन करें और शरीयत में दी गई दूसरे जानवरों की सहूलत से फायदा उठाते हुए उनकी कुरबानी करें।
वहीं मौलाना याहया करीमी ने उलामा ए किराम, मस्जिदों के इमाम हज़रात और दीगर ज़िम्मेदारों से गुज़ारिश है कि वे लोगों को इस सिलसिले में जागरूक करें और इलाक़े में शांति के माहौल को बरक़रार रखने में अपने हिस्से का किरदार अदा करें। जिससे बेवजह होने वाली घटना से बचा जा सके।
बैठक में मौलाना तौफीक़ क़ासमी ने ब्लाक पुनहाना, मौलाना हसन मोहम्मद हिरवाडी ने ब्लाक फिरोज़पुर झिरका, मौलाना दिलशाद साहब क़ासमी ने बलाक तावडू और मौलाना महबूब साहब ने ब्लाक नगीना,़ क़ारी मोहम्मद राशिद मुफ्ती सलीम अहमद क़ासमी साकरस, क़ारी मोहम्मद असलम बड़ेडवी अध्यक्ष जमीयत उलामा ए मेवात, मौलाना राकिब क़ासमी, मौलाना तय्यब साहब कनसाली, क़ारी साजिद साहब तिरवाड़ा, मुफ्ती अब्दुल वाजिद साहब उस्ताद ए हदीस जामिया अफ़ज़लुल उलूम महूं, हाफ़िज़ मक़बूल, मौलाना मुस्तफ़ा, हाफ़िज़ इसराइल, मौलाना तालिब क़ासमी सहित काफी प्रमुख
उलेमा मौजूद रहे।
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