• पुलिस ने डीआईटीएस की जूनियर प्रोग्रामर को गिरफ्तार किया
• मेवात एसआईटी ने गिरफ्तार कर एक दिन के पुलिस रिमांड पर लिया
• लाईसेंस बनवाने के नाम पर करोड़ों रुपए का मामला
• खुलासे के बाद बड़े अधिकारियों में हड़कंप मचा
यूनुस अलवी
नूंह/पलवल
पलवल में हैवी लाईसेंस बनाने में बड़े घोटाले को लेकर जांच कर रही एसआईटी टीम डीआईटीएस की जूनियर प्रोग्रामर बबिता को गिरफ्तार किया है। आरोपी को एक दिन के पुलिस रिमांड पर लेकर पुछताश शुरू कर दी है। जांच में आरोपी से कई बड़े खुलासे हो सकते हैं।
आपको बता दे कि पलवल परिवहन प्राधिकरण सचिव कार्यालय में हुए हैवी ड्राईविंग लाईसेंस घोटाले में फर्जी कागजातों के जरिए करीब 2200 लाईसेंस बनाएं गए थे। सरकार ने नूंह पुलिस कप्तान की अध्यक्षता में एक एसआईटी टीम गठित कर जांच सौंप दी थी। एसआईटी में नूंह पुलिस कप्तान नरेंद्र बिजारनीय के अलावा पुनहाना के डीएसपी अशोक कुमार, दो इंस्पेक्टर और साइबर सेल इंस्पेक्टर को शामिल किया गया है। इस घोटाले में एसआईटी ने रविवार को घोटाले में आरोपी और डीआईटीएस में जूनियर प्रोग्रामर बबीता को गिरफ्तार कर अदालत से पुलिस ने एक दिन के रिमांड पर लिया। रिमांड के दौरान पुलिस को कई अहम खुलासे होने की उम्मीद हैं।
घोटाले की जांच कर रही एसआईटी सब इंचार्ज डीएसपी अशोक कुमार ने बताया कि फर्जी कागजात से करीब 2200 लाईसेंस बनाएं गए। फर्जी लाईसेंस मामले में करोड़ों रुपये लिए गए। यह राशि डीआईटीएस और पलवल परिवहन प्राधिकरण के कर्मचारियों व अधिकारियों में बांटी जाती थी। कार्यालय के लाइसेंस बनवाने वाले प्रत्येक लाईसेंस पर एक से दो लाख रुपये तक लेते थे। इस खुलासा के बाद बडे अधिकारीयों में भी हड़कंप मच गया है। क्योंकि घोटाले की तह तक जाने के लिए नूहं पुलिस बडे अधिकारियों को भी पूछताछ में शामिल कर सकती है। अभी तक पुलिस एक दर्जन आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। डीएसपी अशोक कुमार के अनुसार डीआईटीएस पलवल में जूनियर प्रोग्रामर बबीता को गिरफ्तार कर अदालत से एक दिन के पुलिस रिमांड पर लिया है । उसी काफी खुलासा होने की उम्मीद है।
पलवल परिवहन प्राधिकरण सचिव कार्यालय में हैवी ड्राईविंग लाईसेंस बनाए जाते हैं। फर्जी कागजात नूहं, गुडगांव, राजस्थान और यूपी ट्रासपोर्ट आथर्टी के नाम पर होते थे। हस्ताक्षर, स्टंप और नंबर तक फर्जी होते थे।
बबीता ने पुलिस को बताया कि आरटीए सचिव ने अपनी आईडी, पासवर्ड और हस्ताक्षर तक सभी कुछ कांटेक्ट वेस पर लगे कर्मचारियों के हवाले किया हुआ था। इस मामले में 25 सिंतबर 2020 को सीएम फ्लाईंग के डीएसपी देवेंद्र सिंह ने एफआईआर दर्ज करवाई थी।
डीएसपी अशोक कुमार के अनुसार
हैवी और कर्मिशियल ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया बेहद जटिल है। सामान्य ड्राइविंग लाइसेंस के तीन साल बाद कर्मशियल और पांच साल बाद हैवी लाइसेंस बनाने के लिए आरटीए सचिव ऑफिस में आवेदन करना पड़ता
है।
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