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टपकन गांव में एक माह में 11 लोगों की मौत, दहशत में ग्रामीण

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टपकन गांव में एक माह में 11 लोगों की मौत, दहशत में ग्रामीण

 

ग्रामीण टीबी, कैंसर, सांस सहित अन्य बीमारियों से हैं प्रभावित

 

11 मौतों से गांव में छाया मातम का माहौल

 

फोटो गाँव मे फेल रही बीमारी को लेकर पंचायत करते लोग 

 

यूनुस अलवी

पुन्हाना (नूंह)

 

नूंह जिला मुख्यालय से मात्र करीब पांच किलोमीटर दूर करीब पांच हजार की आबादी वाले गांव टपकन में कई दिनों से मातम का माहौल है। गांव में गत एक माह के दौरान करीब 11 लोगों की मौत हो चुकी है। अभी भी एक दर्जन से अधिक लोग गंभीर रूप से बीमारी की चपेट है। टीबी की बीमारी से तो करीब 30 फीसदी से लोग प्रभावित है। ग्रामवासियों ने सरकार से अनुरोध किया है कि टपकन गांव में विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम भेजकर वाटर सप्लाई के पानी और उनके गांव में लगी मीट फैक्ट्री से निकलने वाली दुर्गंध, और पानी की जाँच करें। जिससे बीमारी पर रोक लगाई जा सके।

 

 

क्या कहते हैं गांव के प्रमुख लोग

गांव टपकन के सरपंच उमर मोहम्मद, इमरान चीकू, अदम पूर्व सरपंच, आलम मास्टर असलम, हाजी जाकिर, अकबर डीपो धारक ने बताया कि उनके गांव में पिछले सितंबर माह में टीबी, केंसर सहित अन्य बिमारियों से 11 मौतें हो चुकी है। जबकि सलीम पुत्र पहलू, अरशद पुत्र उमर, ताहिर पुत्र ऐजाज, जुबेर पुत्र इसा, साहून पुत्र इसलाम, फारूख अलिया, साबिर पुत्र अदम, आस मोहम्मद पुत्र हजार सहित सैंकड़ों लोग टीबी, कैंसर आदि से बिमार हैं। उनका कहना है कि रविवार को गाँव के प्रमुख लोगों की पंचायत हुई हे, यह बीमारी गांव में लगी मीट फैक्ट्री, दूधित हवा, और वाटर सप्लाई के गंदे पानी के कारण फेल रही है। उन्होने गांव के पानी और मीट फैक्ट्री से निकलने वाली दुर्गंध की जांच कराने की मांग की है। गांव वालों ने चेतावनी दी है अगर जल्द ही उनके गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम जांच के लिए नहीं पहुंची तो उनको मजबूर होकर डीसी कार्यालय पर धरना देना पडेगा।

क्या कहते हैं बिमार लोगों के परिजन

26 वर्षीय बिमार अरसद के पिता उमर मोहम्मद ने बताया कि उसका लड़का करीब एक साल से बीमार है, उसके तीन बच्चे हैं इसको कैंसर है, वाटर सप्लाई का गंदा पानी आता है। पानी की वजह से न तो चाय ना खाना अच्छा बन पाता है। गांव में मीट फैक्ट्री से हवा चलने पर पूरे गांव में बदबू हो जाती है जिससे ज्यादातर लोग बीमार हो रहे हैं। अरशद की पत्नी अरशिदा ने बताया कि घर में उसके पति के अलावा कोई कमाने वाला नहीं है। उसके पास कोई जमीन नहीं है, तीन छोटे-छोटे बच्चे हैं घर का खर्चा तक नहीं चल पाता है। उस नाम बीपीएल की सूची में तो हैं लेकिन उनकी सरकार ने आयुष्मान कार्ड की लिस्ट से नाम काट दिया। अगर उसका आयुष्मान कार्ड होता तो अपने पति का फ्री इलाज करा सकती थी। उसने प्रशासन से अपने पति के इलाज के लिए आर्थिक मदद की गुहार लगाई है।

 

पिछले एक माह में हुई मौतें

सहाबुद्दीन पुत्र ममरेज 62 वर्ष, अब्दुल रज़ाक 53 वर्ष, साहबू पुत्र सुमेर 58 वर्ष, लियाकत पुत्र अजमत 38 वर्ष, फजरु पुत्र बाहाला 58 वर्ष, मकसूद पुत्र सगीर 60 वर्ष, असगरी पत्नी समसु 55 वर्ष, मोहम्मद 5 वर्ष, अहमद 2 वर्ष सहित सितंबर माह में कुल 11 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा गांव में एक दर्जन लोग गंभीर बिमारी से पीडित है।

 

क्या कहते हैं सिविल सर्जन

नूंह जिला के सिविल सर्जन डॉक्टर सर्वजीत थापर का कहना है कि उन्हें अभी इस बारे में जानकारी मिली है। सोमवार को ही गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम भेजकर टीबी, सहित अन्य बीमारियों की जांच कराकर तुरंत इलाज शुरू कर दिया जाऐगा। वहीं गांव के पानी और प्रदूषण की भी जांच की जाऐगी। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि गांव में पहुंचने वाली उनकी स्वास्थ्य विभाग की टीम का सहयोग करें जिससे गांव में फेल रही बीमारी का पता लगाया जा सके।

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