शहर और क्षेत्र मे दिशा निर्देश बोर्ड ना होने से राहगीर हो रहे भ्रमित, पालिका प्रशासन जानबूझकर बना अंजान।
टूटी सड़क बनी परेशानी का सबब कई जिंदगी चढ़ चुकी है भेंट।
नसीम खान
तावडू,
शहर के चौक चौराहों व मुख्य मार्गो और सड़क के किनारे दिशा सूचक बोर्ड न होने से दूरदराज से आने वाली जनता को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। अधिकारियों की अनदेखी के कारण आने जाने वाली जनता परेशान है और उनके साथ वहां चालक भी भ्रमित हो रहे हैं। हम जब भी कहीं बाहर जाते हैं तो शहर में संकेत बोर्ड लगे हुए होते हैं जिससे आसानी से अपने मुकाम पर पहुंचा जा सकता है। शहर व क्षेत्र में संकेत सूचक एक भी बोर्ड नहीं है। इससे वाहन चालक भ्रमित हो रहे हैं। अगर है भी तो वह बोर्ड भी क्षतिग्रस्त हुए पड़े हैं। क्षतिग्रस्त बोर्ड के कारण लोग दिशा भ्र्रमित होने लगे हैं और उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। शहर में नए आने वाले राहगीरों को इससे अधिक दिक्कत हो रही है। इसके बावजूद क्षतिग्रस्त दिशा सूचक बोर्ड पर प्राधिकरण के अधिकारियों की नजर नहीं पड़ी है। शहर में दिशा सूचक बोर्ड वाहन चालकों और राहगीरों की परेशानी दूर करते हैं। इससे लोगों को रास्ता पूछने के लिए जगह-जगह भटकना नहीं पड़ता था, लेकिन शहर के मुख्य रास्तों पर लगे कई दिशा सूचक बोर्ड अब क्षतिग्रस्त हो गए हैं। कुछ बोर्ड पेड़ों के पीछे छिप गए हैं। और कहीं-कहीं तो दिशा सूचक बोर्ड पर पोस्टर चस्पा है, जिसके कारण लोगों को मुख्य मार्गों का पता नहीं चलता है कि जाना कहां है। बोर्ड टूटने व फटने से सबसे ज्यादा परेशानी अनजान लोगों को हो रही है। सड़कों पर दिशा सूचक बोर्ड के टूटे व फटे होने के कारण वाहन चालकों को अपने वाहन रोककर लोगों से रास्ते के बारे में पूछना पड़ता है।
* इस जगह फटे दिशा सूचक बोर्ड
नूह से तावडू बड़े गोल चक्कर पर लगा दिशा निर्देश बोर्ड कई माह से क्षतिग्रस्त है और इसकी कई बार पालिका प्रशासन को जानकारी भी दी जा चुकी है।
* टूटी सड़क बनी परेशानी का सबब कई जिंदगी चढ़ चुकी है भेंट।
सोहना से खोरी कला बॉर्डर तक सड़क में बड़े-बड़े गड्ढे हैं और इन गधों के चलते कई जिंदगियां भेंट चढ़ चुकी है। टूटी सड़क वाहन चालकों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। करीब एक फीट गहरी सड़क टूटी हुई है। मार्ग से प्रतिदिन हजारों वाहनों का आना जाना लगा रहता है, लेकिन किसी भी प्रशासनिक अधिकारी का इस ओर ध्यान नहीं है। इसको लेकर स्थानीय पत्रकारों द्वारा केके समाचार पत्र के माध्यम से प्रशासन को अवगत कराने के लिए आवाज भी उठा चुके हैं।
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