–पुन्हाना अदालत में पांच अतिरिक्त जज लगाने की हाईकोर्ट के न्यायाधीश से रखी मांग
–बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने रखी मांग
–पुन्हाना अदालत में करीब 13 हजार मुकदमे और जज केवल एक
–लोगों को समय पर न्याय मिलना हो रहा है मुश्किल
–प्रयाप्त जज ने होने के कारण लोगों को मिल रही है लंबी तारीख
–भारत की पहली मोबाइल कोर्ट, करीब 16 साल बाद बनी स्थाई अदालत
यूनुस अलवी
नूंह/पुन्हाना
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के न्यायाधीश एवं डिवीजन नूंह के प्रशासनिक/निरीक्षण न्यायाधीश करमजीत सिंह के मेवात पहुंचने पर उनके सामने जहां जिले के वकीलों ने अन्य समस्याएं रखी वहीं पुन्हाना बार एसोसिएशन ने नूंह बार पदाधिकारियों के साथ मिलकर पुन्हाना में पांच अतिरिक्त जज लगाने तथा पुन्हाना में अपना कोर्ट परिसर भवन बनाने की भी मांग रखी। पुन्हाना उपमंडील अदालत में करीब 120 गांव, तीन थाने और तीन पुलिस चौकियां आती है। अदालत में दीवानी और फौजदारी के करीब 13 हजार मामले पेंडिंग है। यहां केवल एक ही जज नियुक्त है।
आपको बता दें कि लोगों को उनके ही द्वार पर सुलभ और सस्ता न्याय दिलाने के मकसद से केंद्र सरकार ने 4 अगस्त 2007 को पुन्हाना में भारत की पहली चलती फिरती अदालत (मोबाइल कोर्ट) शुरू की थी। अब सरकार ने पुन्हाना को करीब 16 साल बाद नियमित उपमंडील अदालत तो बना दिया है लेकिन यहां पर कैसों की भरमार के चलते लोगों को समय पर न्याय मिलना मुश्किल हो रहा है। पुन्हाना उपमंडल में पिनगवां, पुन्हाना, बिछोर थाना के अलावा सिटी पुन्हाना व चांदडाका पुलिस चौकी है। फिलहाल पुन्हाना अदालत में दीवानी और फौजदारी मुकदमों की संख्या करीब 13 हजार है। जिन पर केवल एक जज है। जबकि सुलभ और जल्द न्याय मिलने के लिए यहां तकरीबन पांच और जजों की जरूरत है। अधिक मामले होने के कारण लोगों को लंबी-लंबी तारीखें मिल रही है। कई मामलों में तो 9 से 11 महिने तक की तारीखें भी दी जा रही हैं। पुन्हाना अदालत के पास अभी तक अपना भवन भी नहीं है। जो पुन्हाना अनाज मंडी स्थित किसान रेस्ट हाउस में चल रही है। यहां पर अभी तक फैमिली अदालत भी शुरू नहीं की जा सकी है।
बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष मुमताज हुसैन, वरिष्ट ऐडवोकेट मोहम्मद इब्राहीम, महेश कुमार, व न्याजू ऐडवोकेट ने बताया की उच्च न्यायालय पंजाब एंड हरियाणा, चंडीगढ़ ने पुनहाना को सब डिविजनल न्यायिक अदालत बना दिया और यहां पर नेहा गोयल को पुनहाना की पहली सब डिविजनल उपमंडल न्यायिक मजिस्ट्रेट कम अतिरिक्त सिविल जज सीनियर डिविजन नियुक्त कर दिया है। लेकिन यहां दिवानी और फौजदारी मामलों की संख्या को देखते हुए कम से कम पांच और जज नियुक्त होने चाहिए। क्योंकि यहां पर करीब 13 हजार मुकदमे पेंडिंग है। जिसके लिए मजबूर होकर लोगों को लंबी तारीखें मिल रही हैं। उनको समय पर न्याय मिलना मुश्किल है। अभी तक अदालत का अपना भवन नहीं है। फिलहाल यह किसान रेस्ट हाउस में चल रहा है।
उनका कहना है कि पुनहाना में सब डिविजनल मजिस्ट्रेट के बैठने से लोगों को बहुत राहत मिली है क्योंकि अभी तक लोगों को फिरोजपुर झिरका सब डिविजनल न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश होना होता था। जिसके लिए लोगों को प्रतिदिन आने जाने में तकरीबन 80 से 100 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती थी। पुन्हाना उपमंडल के करीब 120 गांवों के लोगों को तुरंत व त्वरित न्याय मिलने की उम्मीद जगी थी लेकिन मामले अधिक और जज केवल एक होने से भारतीय न्यायिक प्रणाली के तहत लोगों को न्याय मिलने में समय लगेगा। उन्होने बताया कि एक सप्ताह पहले पंजाब एंव हरियाणा हाईकोर्ट के न्यायाधीश एवं डिवीजन नूंह के प्रशासनिक/निरीक्षण न्यायाधीश करमजीत सिंह के मेवात पहुंचने थे। उनके सामने पुन्हाना बार एसोसिएशन ने नूंह बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ मिलकर पुन्हाना में पांच अतिरिक्त जज लगाने तथा पुन्हाना में अपना अदालत भवन बनाने की भी मांग रखी है। न्यायाधीन ने उनकी मांग पर गौर करने का भरोसा दिया है।
गौरतलब है कि 4 अगस्त 2007 को भारत की पहली मोबाइल कोर्ट पुन्हाना में शुरू की गई थी। इसके उद्घाटन के मौके पर भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के.जी बालाकृष्णन, पूर्व कानून मंत्री हंसराज भारद्वाज, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विजेन्द्र जैन, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहित काफी प्रमुख लोग मौजूद रहे। इस अदालत ने 6 अगस्त 2007 से विधिवत तरीके से कार्य शुरू कर दिया था। काफी समय तक यह अदालत इंदाना, शिकरावा, पुन्हाना, लुहिंगाकला गांवो में एक एक दिन लगती थी। करीब एक बाद 2008 में इस अदालत को पुन्हाना स्थिर कर दिया गया है। वर्ष 2009 के विधानसभा के चुनावों में किसान भवन को खाली कराया गया और मोबाईल अदालत को पिनगवां स्थानांतरित कर दिया गया। पिछले करीब 13 साल से यह अदालत पिनगवां में कैंप अदालत के तौर पर चल रही थी। पुन्हाना में 2007 में 600 दिवानी और लगभग 1500 फौजदारी के सबसे ज्यादा मामले थे। जो अब बढ़कर करीब 13 हजार तक पहुंच गए हैं।
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