मांगो को लेकर 33 दिन से धरने पर बैठे हैं किसान
• किसानों में रोष अभी तक उनकी समस्या सुनने कोई अधिकारी नही आया
• रेल मंत्रालय द्वारा किसानों की अधिग्रहण की गई है जमीन।
नसीम खान
तावडू,
उपमंडल के गावं सहसोला व मेढला के किसान 33 दिनों से अपने मांगों को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं। किसानों का कहना है कि अभी तक जिला प्रशासन की ओर से कोई अधिकारी उनसे मिलने नहीं पहुंचा है। वहीं एसडीएम तावडू व जिला उपायुक्त ने किसानों से लिखित शिकायत मांग कर सरकार तक पहुंचाने का आहवान किया है।
ग्रामीणों ने जिला उपायुक्त को दिए गए ज्ञापन में दर्शाया कि भारत सरकार रेल मंत्रालय ने उक्त भूमि को हरियाणा राज्य के जिले में विशेष रेल परियोजना द्वारा प्रयोजित थी। इसके पश्चात भारत सरकार रेल मंत्रालय ने रेल अधिनियम के तहत भूमि को अर्जन करने के लिए अधिसूचना के अनुसार भारत सरकार रेल मंत्रालय द्वारा अर्जन भूमि का मुआवजा राशि भूमालिकों को देनी थी। जो कि अभी तक उन्हें प्राप्त नहीं हुई। भारत सरकार रेल मंत्रालय द्वारा उक्त भूमि का अर्जन करके भूमालिकों को मुआवजा देना था। लेकिन रेल मंत्रालय द्वारा ऐसा नहीं किया। उनकी अनुमति के बिना जमीन के उपर या नीचे से कोई भी गतिविधि किसी किस्म की नहीं की जा सकती, लेकिन इस तथ्य के पश्चात भी रेल मंत्रालय ने बिना भूमि के नीचे से सुरंग बनाकर रेल का परिचालन कर रही है जो कि कानून की दृष्टि में गैर कानूनी है। बिना मुआवजा राशि दिए उनकी जमीन को खोखला बनाया जा रहा है। जिसे मानव के कल्याण व हित में बिलकुल नहीं कहा जा सकता है। भूमिगत रेल परियोजना का निर्माण किया जाता है तो उनकी उपजाउ भूमि को अनउपजाऊ बनाने का कारण होगा और बारिश के दिनों में भूस्खलन का कारण भी बनेगा। जिस वजह से पैसों के साथ समय की बर्बादी होगी और जान माल की हानि भी होगी। जिसके अलावा हम सभी ग्रामवासियो को भूकम्प के डर के साये में जीने को विवश होना पडेगा। किसानों ने बताया कि जो रेल लाई बिछाना प्रस्तावित है उससे पहले विश्व विख्यात एक्सप्रेसवे केएमपी बना हुआ है और इसके साथ साथ माल गाडी की लाइन भी बिछी हुई है ओर उस रेल लाईन को फैलाने के लिए सुरंग बनाई गई थी। जिस भूमि की मुआवजा राशि भी दी गई थी। उनकी भूमि पहले ही टूकडों में विभाजित हो चुकी है जो कि उनके लिए किसी प्रयोग की नहीं रही है। किसानों ने उनकी समस्याओं का समाधान की मांग की है।
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