तावडू में नहीं मिल पा रहा आदमखोर बंदरों से छुटकारा, जनता परेशान, प्रशासन मौन।
नसीम खान
तावडू,
शहर में बंदरों का आतंक वर्षों से बढता चला जा रहा है। प्रशासन की अंदेखी के चलते बंदरों की बढौतरी हो रही है। शहर के सभी वार्डवासी बंदरों के उत्पात से भय की स्थिती में है। ये उत्पाती बंदर सैकडों लोगों को अपना शिकार बना चुके है। शहरवासियों ने इस समस्या के निजात के लिए शासन प्रशासन से कई बार गुहार लगाई लेकिन समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। जिससे क्षेत्र वासियों में रोष व्याप्त है।
क्षेत्र के अरशद खानए अब्दुल खालिद बालापीर, विजयपाल पार्षद, पूर्व चेयरमैन करम सिंह, एडवोकेट रमीम खान, जुनेद खान, दीपक तनेजा, मुक्की तनेजा आदि ने बताया कि बंदरों के उत्पात से निजात पाने के लिए वह कई बार नगरपालिका, तहसीलदार, एसडीएम, उपायुक्त से कई बार गुहार लगा चुके है। लेकिन अब तक समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। जिसको लेकर शहरवासियों में रोष व्याप्त है। अब समस्या से निजात न मिलने के कारण लोगों ने आंदोलन का मन बना लिया है और जिसका जिम्मेवार स्वयं प्रशासन होगा। शहरवासियों ने बताया कि पिछले कई वर्षों से बंदरों ने उत्पात मचाया हुआ है। ये बंदर मासाहारी व जंगली बन चुके है। ये बंदर आए दिन किसी न किसी व्यक्ति को अपने उत्पात का शिकार बना लेते है। ये बंदर घर में घुस कर कपडे फाड़ देते हैए गाडियों के शीशे तोड देते हैं। घर की छतों पर रखी पानी की टंकी को तोड देते हैं। जिससे लोगों को परेशानी के साथ-साथ आर्थिक नुकसान भी झेलना पड रहा है। इन बंदरों की वजह से विशेषकर बच्चों व बुजुर्गों के लिए विशेष खतरा बना है। उन्होंने बताया कि इन बंदरों ने अभी तक करीबन सैकडों लोगों को काट कर अपने उत्पात का शिकार बनाया है। इन बंदरों के कारण जहां लोगों ने घर की छतों पर जाना बंद कर दिया वहीं यह बंदर घर में घुसकर घर में रखे खाद्य पदार्थों को खा जाते है और अपने उत्पात से सब कुछ उत्थल-पुथल कर देते है। ऐसा नहीं कि कोई अप्रिय घटना न घटी हो। लेकिन प्रशासन अपनी कुंभकरर्णीय नीदं सोया हुआ है और अलग-अलग बयान देकर अपने पल्लू को झाड लेता है।
Author: Khabarhaq
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