मुख्यमंत्री मातृत्व सहायता योजना भी अब सेवा का अधिकार अधिनियम के दायरे में हुई शामिल : धीरेंद्र खड़गटा
यूनुस अलवी,
नूंह,
हरियाणा सरकार ने महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से चलाई जा रही ‘मुख्यमंत्री मातृत्व सहायता’ योजना को सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014 के दायरे में शामिल किया है। साथ ही, इसके तहत प्रदान किए जाने लाभों के लिए 45 दिन की समय-सीमा भी निर्धारित की गई है। मुख्य सचिव की ओर से इस आशय की एक अधिसूचना जारी की गई है। उपायुक्त धीरेंद्र खड़गटा ने जानकारी देते हुए बताया कि ‘मुख्यमंत्री मातृत्व सहायता’ योजना के तहत जिला कार्यक्रम अधिकारी को पदनामित अधिकारी जबकि कार्यक्रम अधिकारी (पोषण)/उप-निदेशक को प्रथम शिकायत निवारण प्राधिकारी और संयुक्त निदेशक/अतिरिक्त निदेशक को द्वितीय शिकायत निवारण प्राधिकारी नामित किया गया है।
क्या है ‘मुख्यमंत्री मातृत्व सहायता’ योजना :
उपायुक्त धीरेंद्र खड़गटा ने बताया कि महिला एवं बाल विकास विभाग ने गर्भावस्था में प्रसव पीड़ा के दौरान नुकसान की भरपाई व स्तनपान कराने वाली महिलाओं में पोषण सुनिश्चित करने के लिए ‘मुख्यमंत्री मातृत्व सहायता’ योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत दूसरे बच्चे के रूप में लडक़े को जन्म देने वाली अनुसूचित जाति और जनजाति की महिलाएं इस योजना का लाभ उठा सकती हैं। उन्होंने बताया कि अब 40 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग महिलाओं सहित मनरेगा जॉब कार्ड, ई-श्रम कार्ड, बीपीएल राशन कार्ड, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना और किसान सम्मान निधि की लाभार्थी महिलाएं भी इस योजना का लाभ लेने के लिए पात्र होंगी। इस योजना के लिए आधार कार्ड अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री मातृत्व सहायता योजना का लाभ लेने के लिए आंगनबाड़ी वर्कर या आशा वर्कर के माध्यम से आवेदन किया जा सकेगा। केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई कामगार महिलाओं के लिए पहले से प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना संचालित की जा रही है, जिसके तहत पांच हजार रुपये की सहायता राशि तीन किस्तों में दी जाती थी। अब सरकार द्वारा नियमों में बदलाव कर सहायता राशि दो किस्तों में देने का निर्णय लिया है।
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