मेवात में उर्दू शिक्षा स्तर कमजोर होने पर जताई चिंता
-उर्दू किसी विषेष धर्म की भाषा नही हैं बल्कि हिंदुस्तान कि अपनी भाषा है
-तंज़ीम फ़रोग़-ए-उर्दू मेवात का अध्यक्ष बने लेक्चरर मौलाना मुहम्मद सद्दीक
-अशरफ मेवाती व डॉ मोहम्मद जुनैद को संरक्षक बनाया गया
फोटो–बेठक के बाद मीडिया से बात करते तंज़ीम फ़रोग़-ए-उर्दू मेवात के पदाधिकारी
यूनुस अलवी
मेवात
तंज़ीम फ़रोग़-ए-उर्दू मेवात संस्था का मंगलवार की नूंह में एक बेठक आयोजित की गई जिसमें सभी वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद रहे। बेठक में मेवात में उर्दू शिक्षा स्तर कमजोर होने और सरकारी स्कूलों में उर्दू अध्यापकों की भर्ती न होने पर चिंता जताई है। वहीं संस्था के पदाधिकारियों का कहना है कि उर्दू किसी विषेष धर्म की भाषा नही हैं बल्कि हिंदुस्तान कि अपनी भाषा है, जिसे मेवात के हर घर तक ले जाया जायेगा। इसके अलावा तंजीम को और मजबूत करने के लिए तंज़ीम फ़रोग़-ए-उर्दू मेवात का लेक्चरर मौलाना मुहम्मद सद्दीक को अध्यक्ष और अशरफ मेवाती व डॉ मोहम्मद जुनैद को संरक्षक बनाया गया।
इस मौके पर नवनियुक्त अध्यक्ष मोहम्मद सद्दीक, अशरफ मेवाती व डॉ मोहम्मद जुनैद का कहना है कि तंजीम का मुख्य उद्देश्य मेवात में उर्दू के साथ-साथ हिन्दी व अंग्रेजी भाषा को भी बड़ावा देने की है ताकि मेवात में भी शिक्षा का स्तर ऊपर उठ सके। मेवात क्षेत्र में उर्दू की शिक्षा का स्तर कमजोर हो रहा है। जिससे बच्चों पर ऊर्दू परवान नहीं चढ़ रही है जब कि इस्लामिक पाठशालाओं में बच्चे ज्यादा तर उर्दू की शिक्षा ग्रहण करते हैं। मगर वो दसवीं व बारहवीं नही करते जिसके चलते वो अपनी पढाई आगे जारी नही रख पाते जबकि इस्लामिक पाठशालाओं में उर्दू कि पढाई तो करते है मगर दसवीं व बारहवीं ना करने की वजह से रोज़गार से नही जुड़ पाते। इस पर अमल करने कि बेहद जरूरत है। उर्दू को भी रोजगार से जोड़ना चाहिए। जबकि मेवात क्षेत्र के लोग अपने बच्चों को उर्दू कि शिक्षा देना अनिवार्य समझते है। मेवात क्षेत्र में दूसरी भाषा का दर्जा दिया जाए तो नूंह (मेवात) जिले कि साक्षरता दर में इजाफा हो सकता है। जिससें मेवात के नूंह जिले के पिछड़ेपन को कुछ हद तक खत्म किया जा सके। उन्होंने कहा कि कि मेवात एक मेव बाहुल्य क्षेत्र है, जिसमें ज्यादातर लोग उर्दू बोलते हैं। यहां तक कि मेवात का अनपढ़ लोग भी उर्दू भाषा बोलना पसंद करता है।
इस मौके पर डॉक्टर कमरूद्दीन जाकिर, मास्टर अशरफ मेवाती, मौलाना जफरुद्दीन इल्यासी, अब्दुल नाफे प्रिन्सिपल, रहीमुद्दीन प्रिन्सिपल, कमर अली प्रिन्सिपल, मुहम्मद अली प्रिन्सिपल, मास्टर अकील, डॉक्टर जुनैद पूर्व अध्यक्ष, दिनेश कुमार प्रिन्सिपल, अख्तर हुसैन, ज़ाकिर सेहरावत आकेडा, यूसुफ कुरैशी, नासिर झांडा, राशिद निजामपुर, हाफिज मुहम्मद इमरान जैताका, नजमुद्दीन टपकन, खालिद घासेडा, फहद घासेडा व मुहम्मद आकिब सहित काफी प्रमुख वरिष्ठ लोग मौजूद रहे।
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