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पंजाब विधानसभा चुनाव: इतिहास गवाह-बाहरी दलों की पंजाब में कभी नहीं गली दाल, आप बनी थी अपवाद 

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: निवेदिता वर्मा Updated Wed, 08 Dec 2021 11:56 AM IST

सार

मुख्य मुकाबला हमेशा कांग्रेस और शिअद-भाजपा गठबंधन के बीच ही रहा। इन दोनों दलों में एक सत्ता में और दूसरा विपक्ष में है।

आम आदमी पार्टी के कन्वीनर अरविंद केजरीवा५ल। – फोटो : फाइल

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पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 के लिए सियासी गलियारे नए सिरे से सजने लगे हैं। प्रत्येक चुनाव की तरह इस बार भी अन्य राज्यों की प्रमुख राजनीतिक पार्टियां अपना भाग्य आजमाने पंजाब पहुंचने लगी हैं। पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी (सपा) ने सूबे में दस्तक दे दी है। टीएमसी ने तो स्थानीय किसानों की 2014 में गठित पार्टी जय जवान-जय किसान के साथ चुनावी गठबंधन भी कर लिया है, जबकि सपा की पंजाब इकाई इन दिनों चंडीगढ़ निगम चुनाव में व्यस्त है और इसके बाद पंजाब में सक्रिय रूप से चुनाव की तैयारी में जुटेगी।

पंजाब के अब तक हुए विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो किसी भी बाहरी दल की स्थानीय वोटरों के साथ दाल नहीं गल सकी है। मुख्य मुकाबला हमेशा कांग्रेस और शिअद-भाजपा गठबंधन के बीच ही रहा। इन दोनों दलों में एक सत्ता में और दूसरा विपक्ष में है। हालांकि बहुजन समाज पार्टी भी पंजाब के चुनाव में मुख्य दलित पार्टी के तौर पर उतरती रही है।

2017 में आप ने हासिल की थी जीत

बाहरी दलों को कोई बड़ी जीत न मिलने के सिलसिले को 2017 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने पहली बार तोड़ा और राज्य विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल का ओहदा हासिल कर लिया। पंजाब की सियासत में किसी बाहरी दल को मिली यह पहली कामयाबी थी, जिसे भुनाने के लिए 2022 के चुनाव में भी आम आदमी पार्टी पूरे जोरशोर से उतरी है। वहीं तृणमूल कांग्रेस, जो 2017 के चुनाव में भी उतरी थी, ने इस बार किसान आंदोलन के मुद्दे से खुद को जोड़ने का प्रयास करते हुए किसानों की एक पार्टी के साथ गठबंधन किया है। इसके तहत तृणमूल 30 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी। पिछले चुनाव में टीएमसी और जय जवान-जय किसान पार्टी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था और इनका कोई भी प्रत्याशी किसी भी सीट पर पहले चार स्थानों पर जगह नहीं बना सका था। 

टीएमसी ने इस बार गठबंधन के तहत साझा मैनिफेस्टो जारी किया है, जिसमें किसानों की कर्ज माफी, सरकारी मुलाजिमों को पक्की नौकरी जैसे बड़े सियासी दलों के मुद्दों को हथियाने का प्रयास किया है। इनके अलावा कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया इस बार भी मैदान में है। दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी भी किसानों के मुद्दे को लेकर पंजाब चुनाव में उतर रही है।

विस्तार

पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 के लिए सियासी गलियारे नए सिरे से सजने लगे हैं। प्रत्येक चुनाव की तरह इस बार भी अन्य राज्यों की प्रमुख राजनीतिक पार्टियां अपना भाग्य आजमाने पंजाब पहुंचने लगी हैं। पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी (सपा) ने सूबे में दस्तक दे दी है। टीएमसी ने तो स्थानीय किसानों की 2014 में गठित पार्टी जय जवान-जय किसान के साथ चुनावी गठबंधन भी कर लिया है, जबकि सपा की पंजाब इकाई इन दिनों चंडीगढ़ निगम चुनाव में व्यस्त है और इसके बाद पंजाब में सक्रिय रूप से चुनाव की तैयारी में जुटेगी। विज्ञापन

पंजाब के अब तक हुए विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो किसी भी बाहरी दल की स्थानीय वोटरों के साथ दाल नहीं गल सकी है। मुख्य मुकाबला हमेशा कांग्रेस और शिअद-भाजपा गठबंधन के बीच ही रहा। इन दोनों दलों में एक सत्ता में और दूसरा विपक्ष में है। हालांकि बहुजन समाज पार्टी भी पंजाब के चुनाव में मुख्य दलित पार्टी के तौर पर उतरती रही है।

2017 में आप ने हासिल की थी जीत

बाहरी दलों को कोई बड़ी जीत न मिलने के सिलसिले को 2017 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने पहली बार तोड़ा और राज्य विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल का ओहदा हासिल कर लिया। पंजाब की सियासत में किसी बाहरी दल को मिली यह पहली कामयाबी थी, जिसे भुनाने के लिए 2022 के चुनाव में भी आम आदमी पार्टी पूरे जोरशोर से उतरी है। वहीं तृणमूल कांग्रेस, जो 2017 के चुनाव में भी उतरी थी, ने इस बार किसान आंदोलन के मुद्दे से खुद को जोड़ने का प्रयास करते हुए किसानों की एक पार्टी के साथ गठबंधन किया है। इसके तहत तृणमूल 30 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी। पिछले चुनाव में टीएमसी और जय जवान-जय किसान पार्टी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था और इनका कोई भी प्रत्याशी किसी भी सीट पर पहले चार स्थानों पर जगह नहीं बना सका था। 

टीएमसी ने इस बार गठबंधन के तहत साझा मैनिफेस्टो जारी किया है, जिसमें किसानों की कर्ज माफी, सरकारी मुलाजिमों को पक्की नौकरी जैसे बड़े सियासी दलों के मुद्दों को हथियाने का प्रयास किया है। इनके अलावा कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया इस बार भी मैदान में है। दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी भी किसानों के मुद्दे को लेकर पंजाब चुनाव में उतर रही है।

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