आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ ने ‘आओ राजनीति करें’ अभियान के तहत एकता विहार लेन नबर-9 ए में चाय चौपाल का आयोजन किया। ‘अब नारी की बारी’ विषय पर आयोजित चौपाल में महिलाओं ने विभिन्न मुद्दों को प्रमुखता से उठाया।
सहस्त्रधारा रोड पर स्थित एकता विहार की लेन नंबर 9ए में शुक्रवार को आयोजित चाय चौपाल में बड़ी संख्या में क्षेत्र की महिलाओं ने प्रतिभाग किया। महिलाओं ने राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने को लेकर खुलकर अपनी बात रखी। उनका कहना था कि आज महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरूषों से कम नहीं है। इसलिए राजनीति में उन्हें 50 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिये। इसके अलावा महिलाओं ने पलायन, महिलाओं की सुरक्षा, बेरोजगारी, लोक संस्कृतियों के संरक्षण समेत बिजली, पानी, सड़क, आवारा कुत्तों आदि के स्थानीय मुद्दों को प्रमुखता से उठाया।
उन्होंने जोर दिया कि चुनाव में योग्य, शिक्षित, कर्मठ और समाज के प्रति संवेदनशील लोगों को ही वोट देना चाहिए। सियासी पार्टियों से भी अपील की कि वह भी महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई लड़े और उन्हें राजनीति में मौका दे। इस दौरान डा. वीणा बाना, डा. प्रेरणा पांडेय, डा. अर्चना डिमरी, राधा बिष्ट, भारती व्यास, गीता पुरोहित, पुष्पा नेगी, गीता मेहरा, नीलम चौधरी, रेनू चौधरी, सुशीला रतूड़ी, मीना मैठानी, माया भंडारी, पूनम सिंह, राधा रानी, पुष्पा चौधरी, संतोष पुरोहित, मीना देवी, सुधा बहुगुणा, अरुणा पंवार, ज्योति नेगी, सुचिता पुरोहित, मुन्नी खंडूरी, बाला नौटियाल, राजीव बाना, कोमल पोखरियाल, सरोज ममगाई, सुशीला बड़ोनी, बसंती रावत, ओमिशा पोखरियाल आदि मौजूद रही।
जागरूकता पर जोर
वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी मुन्नी खंडूरी ने कहा कि मतदान प्रतिशत बढ़ाने को जागरूकता लानी होगी। रोजगार, महिलाओं की सुरक्षा, उनकी राजनीति में भागीदारी पर बात करने वाले नेता को ही चुनना होगा। डा. वीणा बाना ने कहा कि नेता ऐसा होना चाहिये, जो हमारी समस्याओं को उचित मंच पर उठाए। ऐसा नेता न हो, जो केवल चुनाव के समय पर आए और हमारा वोट लेकर चलता बने। महिलाओं की सुरक्षा बड़ा मुद्दा है। सुधा बहुगुणा, गीता पुरोहित, डा. अर्चना डिमरी, भारती व्यास, मीरा देवी आदि ने स्थानीय मुद्दों को प्रमुखता उठाया।
पहाड़ के विकास के लिए संजीदा होने की जरूरत
भारती व्यास ने कहा कि पलायन रोकने के लिए सरकारें तमाम दावे करती हैं, लेकिन पहाड़ में संसाधन उपलब्ध नहीं कराती। यह समझना होगा कि शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में संसाधन और मेन पावर उपलब्ध कराने तक वहां से पलायन नहीं रूकेगा। रोजगार के अवसर पैदा करने होंगे।
महिला उत्थान को ग्रामोद्योग को बढ़ावा देना होगा
सुधा बहुगुणा ने कहा कि महिलाओं के उत्थान को ग्रामोद्योग को बढ़ावा देना होगा। गांवों में कुटीर उद्योग लगाने होंगे। इससे पलायन भी रूकेगा और गांवों की महिलाओं एवं युवाओं को रोजगार मिलेगा। लोक संस्कृति के संरक्षण को भी हमें सामूहिक प्रयास करने होंगे।
महिलाओं को राजनीति में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी मिले
गीता पुरोहित ने कहा कि देश से विरासत की राजनीति खत्म होनी चाहिये। महिलाओं को राजनीति में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी मिलनी चाहिये। नेताओं एवं सियासी पार्टियों को खुद इसके लिए प्रयास करना होगा। मातृशक्ति को हमेशा से ही दरकिनार किया गया है।
कानून का दुरुपयोग रोकने के लिए और सख्ती की जाए
डा. प्रेरणा पांडेय ने कहा कि समाज में संस्कारों के अभाव की वजह से अपराध बढ़ रहे हैं। घर से ही बच्चों को अच्छे संस्कार देने होंगे। कानून का दुरुपयोग भी हो रहा है। इसे भी समझना होगा। सही को सही और गलत को गलत कहना है।
देश के अच्छे नेताओं से अन्य को सीख लेनी चाहिए
मीरा देवी ने कहा कि नेता सब खराब नहीं होते। अच्छे नेताओं से सभी नेताओं को सीख लेनी चाहिये। उनका अनुसरण कर अच्छे काम कराने चाहिये। जनता को भी चाहिये कि अपने वोट की ताकत का इस्तेमाल कर अच्छे नेता का चुनाव करे।
महिला सशक्तीकरण से ही होगा नए भारत का निर्माण
डा. अर्चना डिमरी ने कहा कि महिलाओं को अपने अधिकार हासिल करने के लिए एकजुट होना होगा। उनमें चेतना का संचार होगा और एकजुटता आएगी तो वह अपने अधिकार पा सकेगी। परिवार से महिलाओं की गोलबंदी जरूरी है। इससे एक नये भारत का निर्माण होगा।
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