‘हिन्दुस्तान’ के ‘आओ राजनीति करें’ अभियान के तहत बुधवार को संवाद का आयोजन किया गया। इसमें केंद्रीय और राज्य कर्मचारियों ने प्रतिभाग किया। कर्मचारी नेता पुरानी पेंशन स्कीम बहाली और स्पष्ट ट्रांसफर नीति को इस चुनाव का प्रमुख मुद्दा मान रहे हैं।
‘हिन्दुस्तान’ कार्यालय में आयोजित संवाद में वक्ताओं ने कहा कि यह चुनाव मुद्दाविहीन है, राजनीतिक पार्टियां ऐसे मुद्दों पर बात कर रही हैं, जिनका देश के विकास से कोई लेना-देना नहीं। आम जनता के हित की बात कोई नहीं कर रहा है। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि पुरानी पेंशन स्कीम 2005 से बंद है। जब से यह स्कीम बंद हुई है कर्मचारी परेशान हैं। जो नई पेंशन स्कीम लागू की गई है वह कर्मचारियों के हित में नहीं है। इसलिए पुरानी पेंशन स्कीम को जल्द से जल्द दोबारा लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को पेंशन समय पर नहीं मिल पाती। उनको पेंशन के लिए आंदोलन करना पड़ता है। समय पर पेंशन दिए जाने की भी जरूरत है। कर्मचारियों ने ट्रांसफर का मुद्दा भी उठाया। कहा कि प्रदेश में स्थानांतरण की कोई स्पष्ट नीति नहीं है। कई शिक्षक सालों से दुर्गम में तैनात हैं और सुगम में आने के लिए निरंतर पत्राचार कर रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं होती। सिर्फ चहेतों को ही सुविधाजनक तैनाती दी जाती है। मांग उठाई की स्थानांतरण के लिए एक स्पष्ट नीति होनी चाहिए, जिसमें कर्मचारियों के साथ किसी तरह का भेदभाव ना हो सभी के लिए एक जैसे मानक हो। डॉ. महेश भंडारी,चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संघ स्वास्थ्य विभाग के जिलाध्यक्ष नेलशन कुमार अरोड़ा, डीडी कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर उमा उपाध्याय ने भी अपनी बात रखी।
रोजगार से दूर होगी पलायन की समस्या
संवाद में प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी का मुद्दा प्रमुखता से उठा। कर्मचारी नेताओं ने कहा कि बेरोजगारों की फौज प्रदेश में बढ़ती जा रही है। अलग राज्य की जो अवधारणा थी वह आज कहीं भी पूरी होती नहीं दिख रही है। जनता ने सोचा था कि अलग राज्य बनने के बाद गांव आबाद होंगे और विकास होगा, ऐसा देखने को नहीं मिला। बल्कि गांवों का अस्तित्व खतरे की ओर है। युवा रोजगार की तलाश में शहरों की ओर दौड़ रहे हैं, जिससे पलायन बढ़ रहा है। उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं को शहरों में भी 10 से 12 हजार रुपये की नौकरी मिल पा रही है। यह सबसे बड़ा दुर्भाग्य है। बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। राजनीतिक पार्टियों को अपने घोषणा पत्र में यह मुद्दा शामिल करना होगा। युवा के पास जब रोजगार होगा तभी वह सही दिशा में जाएगा। बेरोजगारी युवाओं को गलत रास्तों पर चलने के लिए मजबूर कर रही है।
ये कर्मचारी रहे संवाद में मौजूद
राजकीय शिक्षक संघ के सचिव नागेंद्र पुरोहित, प्रमोद चंद पांडेय, हरीश पाल, असिस्टेंट प्रोफेसर जागृति चौहान, अखिल गढ़वाल सभा के अध्यक्ष रोशन धस्माना, योगेश अग्रवाल, दिनेश भंडारी, राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलामंत्री प्रमोद सिंह रावत, उत्तराखंड पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संगठन अध्यक्ष सुभाष देवलियाल, उप क्रीड़ाधिकारी दिनेश असवाल, रिटायर्ड जिला मनोरंजन कर अधिकारी सुशील त्यागी, उत्तराखंड माध्यमिक शिक्षणेत्तर संघ के प्रदेश महामंत्री संजय कुमार गर्ग, अनूप सिंह चौहान मौजूद रहे।
हिन्दुस्तान जन सरोकारों से जुड़ा हुआ अखबार है। हर बार इस तरह के आयोजन करता है। चुनाव में आओ राजनीति करें अभियान के तहत हर वर्ग के मुद्दे तलाशने के लिए शुरू किया गया यह अभियान सराहनीय है।
पूजन नेगी, संविदा कर्मचारी संगठन
पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की जरूरत है। बेरोजगारों की बढ़ती संख्या चिंताजनक है। राजनीतिक दलों को इस ओर सोचना होगा।
नवीन नैथानी, रिटायर्ड कर्मचारी
उच्च शिक्षा में सुधार की जरूरत है। देहरादून शिक्षा का हब माना जाता था, लेकिन आज यहां का युवा आज दूसरे शहरों में पढ़ाई के लिए जाना चाहता है।
निधि गौड़, निदेशक प्रबल एकेडमी
समान काम के लिए समान वेतन मिलना चाहिए। भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने की जरूरत है। तभी देश आगे बढ़ेगा। भ्रष्टाचार विकास सबसे बड़ा शत्रु है।
डॉ. नीरज मोहन, पूर्व सैनिक
स्थानांतरण नीति स्पष्ट नहीं है। शिक्षकों के साथ भेदभाव किया जाता है। शिक्षकों का सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा भी यही है। स्पष्ट स्थानांतरण नीति होनी चाहिए।
रघुवीर सिंह पुंडीर, जिलाध्यक्ष जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ
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