डॉ दरख्शा बी, जीएफ कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर।
देश की आधी आबादी यानी नारी की सुरक्षा का मुद्दा सिर्फ चुनावी सभाओं तक सीमित रह जाता है। उस पर जमीनी स्तर पर बिल्कुल भी काम नहीं होता है। अब भी नारी तमाम तरह की दुश्वारियों और चुनौती से जूझ रही है। क्या, उन दिक्कतों का समाधान करने की जिम्मेदारी सरकारों की नहीं है।
अफसोस की बात है कि नारी की बात सिर्फ चुनावों के समय होती, बाद में सब अपनी बातों को भूल जाते हैं। समाज में नारी की स्थिति अभी तक बेहतर नहीं हो पाई है। उनकी शिक्षा पर कुछ भी बेहतर नहीं हो पा रहा है। अरबों रुपये शिक्षा के नाम पर फूंके जाते हैं, लेकिन फिर भी बालिकाएं स्कूल से मुंह मोड़ रही है। बेसिक स्कूलों में शिक्षा के लिए बहुत कुछ हो रहा है, लेकिन माध्यमिक तक लड़कियों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो जाता है।
मेरी नजर में स्नातक तक लड़कियों को शिक्षा पूरी तरह से फ्री कर देना चाहिए। इससे शहर से लेकर देहात तक लड़कियां तालीम हासिल कर सकेंगी।दूसरा सबसे बड़ा मुद्दा सुरक्षा का है। सुरक्षा के नाम पर सिर्फ हवा-हवाई बातें की जाती हैं। उस पर सख्ती से अमल नहीं होता है। इसके अलावा नेताओं का चुनाव में युवाओं पर सबसे ज्यादा फोकस रहता है। उनके हित की तमाम योजनाओं को एजेंडे में शामिल करने के बाद उनसे वोट ले लिए जाते हैं, लेकिन चुनाव के बाद उनके हाथ खाली रहते हैं। लड़कियों के लिए रोजगार के बेहतर इंतजाम किए जाने के जरूरत हैं।
लड़का-लड़की में फर्क भी नहीं करना चाहिए। लोग लड़के को घर का चिराग समझते हैं। जबकि, लड़की शादी कर घर चली जाती है। ऐसे में लड़कियों को पढ़ाने से लोग गुरेज करते हैं। लोगों को लड़का-लड़की में भेदभाव को खत्म करना चाहिए।
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