जब जब मेवात में सामाजिक संघर्षों के इतिहास पर मन्थन व चिंतन किया जायेगा तो 1973 से 1980 के दौरान मेवात में किये गये सशक्त सामाजिक संघर्षों को स्वर्णिंम अक्षरों में लिखा जायेगा ! 1973 में मेवात स्टूडेंटस ओर्गेनाईजेशन (MSO)ने महमूद खान (नाईनंगला)की अध्यक्षता में मेवात के पिछड़ेपन,गरीबी,बेरोजगारी,अशिक्षा ,आर्थिक दुर्दशा में सियासत-सत्ता द्वारा उदासीनता व असमानता के खिलाफ केन्द्रीय परिवहन व जहाजरानी मंत्री राज बहादुर को 9सितंबर1973 को नूह में बुलाकर जिस आवाज का आगाज किया ,उसी आवाज को सुभान खान(छारौड़ा)को अध्यक्ष और फजरुद्दीन बेसर (साकरस)को संगठन का महासचिव बना कर ओर अधिक धार देने का दायित्व सौंपा!इसी जोड़ी ने 1974के आते आते सामाजिक संघर्ष को इलाके के गाँव गाँव में पहुँचा कर आम आदमी से जोड़ा !इलाके की मांगों और मुद्दों को प्रखरता और पैनापन देने के लिए और आम मेवाती को जोड़ने के लिए इस छात्र संगठन को नया विस्तार और आकार दिया गया और MSO को Mewat Youth Organisation के साथ जोड़ कर नया संगठन Mewat Students &Youth Organisation (MSYO)नाम से खड़ा किया गया, जो बाद में MYSO के नाम से प्रसिद्ध हुआ !इस संगठन की सक्रियता और विस्तार का यह आलम था कि केन्द्रीय कार्यालय नूह के अधीन इस की हर खण्ड व ग्राम में विधिवत शाखाएं थी !इस चर्चित संगठन के संस्थापक अध्यक्ष सुभान खान व महासचिव फजरुद्दीन बेसर थे तथा इसलामुद्दीन (रूपड़ाका)मुख्य सलाहकार थे !इसी टीम की सक्रिय सामाजिक सोच ,संघर्ष और समर्पण का कमाल था कि मेवात जैसे क्षेत्र में सामाजिक संघर्ष ने नये फलक छुए ! माईसो ने आपातकाल का खुला विरोध किया तो इसके 116सदस्यों को नूह के य़ासीन मेव डिग्री कालेज से नाम काट कर कालेज से बाहर कर दिया गया !सुभान खान के वालिद और का.इसलामुद्दीन को जेल में डाल दिया गया !
मार्च,1977के लोकसभा और जून 1977के विधान सभा चुनावों में माईसो ने सत्ताधारी दल कांग्रेस की खुली खिलाफत की और अवाम ने इस आवाज को शिद्दत से सुना !इसी का नतीजा भी सकारात्मक रहा और कांग्रेस मेवात की सभी सीटें हार गई !अपने उद्देश्यों व लक्ष्यों में कामयाबी हासिल करने के लिए समय समय पर माईसो ने बड़े बड़े आयोजन व जनसभाओं का लगातार सहारा लिया जिनमें विभिन्न क्षेत्रों की प्रभावशाली ,प्रतिष्ठित व प्रख्यात हस्तियों को बुलाकर उनके सामने मेवात की प्रमुख मांगों व मुद्दों को रेखांकित किया जाता था !उनमे मेवात विकास बोर्ड,आईटीआई,पोलिटेक्निक,जेबीटी सेंटर,औधौगिक क्षेत्र,रेल व नहरी पानी की मांगें प्रमुख थी !जिनमें से कुछ मांगें धरातल पर सिरे भी चढ़ी !
सुभान खान बाद में पीएचडी करने के बाद सर्विस में चले गये और सीनीयर साईन्टिस्ट की हैसीयत से सेवामुक्त हुए !वे एक निजि यूनिवर्सिटी में वायस चांसलर भी रहे !इस सबके दरम्यान वे इलाके में आकर सामाजिक आयोजनों में भी शिरकत करते रहे !
मेरे इस सामाजिक संघर्ष के सर्वप्रथम साथी को आज मैं फक्र से जन्म दिन की मुबारिकवाद देता हूँ !मुझे खुशी है कि हमने मेवात के लिए जो साँझा सामाजिक आर्थिक उत्थान व उन्नति के ख्वाब देखे थे उनमे से कुछ साकार हुए हैं और कुछ के लिए हमारी ही राह पर नई पीढ़ी नई ऊर्जा के साथ संघर्ष कर रही है !मुझे यकीन है पचास साल पहले देखे गये हमारे ख्वाब सतत और संगठित संघर्ष के ज़रिये जल्दी ही ज़रूर पूरे होंगे और हम पिछड़ेपन की अमावश के अंधेरे से निकल कर पूरा चाँद देखेंगे …ज़रूर देखेंगे-
वरिष्ठ पत्रकार एंव सामाजिक कार्यकर्ता
(फजरुद्दीन बेसर साकरस.मेवात)
—8901033333
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