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राजीव गांधी के जन्म दिवस पर विधायक आफताब अहमद का विशेष लेख

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राजीव गांधी के जन्म दिवस पर विधायक आफताब अहमद का विशेष लेख

आज देश के उस पूर्व प्रधानमंत्री का जन्मदिन है, जिन्हें 21 वीं सदी के भारत का निर्माता कहा जाता है, उनकी पुण्यतिथि को हम आतंकवाद विरोधी दिवस के रूप में भी मनाते हैं। विपरीत परिस्थितियों में देश को जो दिशा उन्होंने दिखाई वो ऐतिहासिक महत्व रखती थी।

1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में निराशा और डर का माहौल था, आम इंसान चाहते थे कि कोई उन्हें उस माहौल से निजात दिलाए। लोकसभा चुनाव के नतीजे ऐतिहासिक तौर पर कांग्रेस के पक्ष में आए जिसमें देश ने नौजवान राजीव गांधी को अपना प्रधानमंत्री चुना था। वो देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने और इस युवा प्रधानमंत्री ने अपने कार्यों से देश की जनता के दिलोदिमाग में अमिट छाप छोड़ी थी। एक ही कार्यकाल में कई ऐसे कार्य किए, जिसके लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है। उन्होंने आधुनिक भारत की नींव रखने की दिशा में काम किया।

राजीव गांधी ने ही युवाओं को मताधिकार का हक दिया था जिसके तहत आज जब एक युवा 18 साल का होता है और वोट डालने के बाद अंगुली की स्याही देखता है तो उसका उत्साह देखते ही बनता है, लेकिन इनमें से कई को यह भी पता नहीं होगा कि 18 साल की उम्र में वोट देने का अधिकार आखिर उन्हें कैसे मिला? दरअसल, वे राजीव गांधी ही थे, जिन्होंने वोटिंग की उम्र 21 साल से घटाकर 18 वर्ष की थी। इस फैसले से, उस समय करीब 5 करोड़ युवाओं को वोट देने का अधिकार मिला था जिससे आज़ 18 वर्ष के करोड़ों युवा भी अपना सांसद, विधायक से लेकर अन्य निकायों के जनप्रतिनिधियों को चुन सकते हैं।

भारत में कंप्यूटर और संचार क्रांति का श्रेय भी राजीव गांधी को ही जाता है। उनका मानना था कि देश की युवा पीढ़ी को आगे ले जाना है तो उसके लिए कंप्यूटर और विज्ञान की तालीम देना बहुत जरूरी है। प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने विज्ञान और टेक्नोलॉजी के लिए सरकारी बजट बढ़ाया। कंप्यूटर की कीमतें घटाने के लिए राजीव ने अहम फैसला लिया। भारतीय रेलवे में टिकट जारी होने की कंप्यूटरीकृत व्यवस्था भी इन्हीं पहलों की देन रही। उन्हें इसे सरकारी नियंत्रण से बाहर किया और असेंबल कंप्यूटर्स का आयात शुरू किया। देश की 2 बड़ी टेलीकॉम कंपनी एमटीएनएल और बीएसएनएल की शुरुआत उनके कार्यकाल में ही हुई। उस वक्त भारतीय जनता पार्टी ने उनके कंप्यूटर को बढ़ावा देने के फैसले का विरोध किया था।

इसके अलावा भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के क्षेत्र में बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के उद्देश्य से जवाहर नवोदय विद्यालयों की स्थापना की। आज़ लगभग हर जिले में एक नवोदय विद्यालय है और स्थिति ऐसी है कि शहरी क्षेत्र के बच्चे भी नवोदय स्कूलों में मौजूदा समय देश में खुले 551 नवोदय विद्यालयों में 1.80 लाख से अधिक छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। इन बच्चों को छह से 12 वीं तक की मुफ्त शिक्षा और हॉस्टल में रहने की सुविधा मिलती है। राजीव गांधी ने यह फैसला 1986 में घोषित शिक्षा नीति के तहत लिया था।

उनका वह फैसला जो लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए हमेशा जाना जाएगा वो है गांवों को सशक्त और लोकतंत्र में उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए पंचायती राज का बड़ा फैसला। इसके माध्यम से उन्होंने पूरे देश में ग्राम सरकार की अवधारणा लागू की और पंचायतों को ज्यादा अधिकार दिए। उनका मानना था कि ग्राम पंचायतों को सत्ता में वह दर्जा मिलना चाहिए जो संसद और विधानसभा का है। क्योंकि जब तक पंचायती राज व्यवस्था सबल नहीं होगी, तब तक निचले स्तर तक लोकतंत्र नहीं पहुंच सकता। वो आम आदमी के हाथ में सत्ता देने वाले प्रधानमंत्री थे।

सत्ता के विकेंद्रीकरण के अलावा राजीव ने सरकारी कर्मचारियों के लिए 1989 में 5 दिन काम का प्रावधान भी लागू किया।

राजीव गांधी की पहचान एक उदारवादी प्रधानमंत्री की रही, इस बात की गवाही मशहूर इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने अपनी किताब ‘इंडिया आफ्टर गांधी’ में लिखी है। जिसमें उन्होंने राजीव गांधी के हवाले से लिखा है, “भारत लगातार नियंत्रण लागू करने के एक कुचक्र में फंस चुका है, नियंत्रण से भ्रष्टाचार और चीजों में देरी बढ़ती है, हमें इसको खत्म करना होगा”। राजीव गांधी ने कुछ सेक्टर्स में सरकारी नियंत्रण को खत्म करने की कोशिश भी की, यह सब 1991 में बड़े पैमाने पर नियंत्रण और लाइसेंस राज के खात्मे की शुरुआत थी। इसके बाद इनकम और कॉर्पोरेट टैक्स घटाया, लाइसेंस सिस्टम सरल किया और कंप्यूटर, ड्रग और टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों से सरकारी नियंत्रण खत्म किया, साथ ही कस्टम ड्यूटी भी घटाई और निवेशकों को बढ़ावा दिया। बंद अर्थव्यवस्था को बाहरी दुनिया की खुली हवा महसूस करवाने का यह पहला मौका था। आगे गुहा लिखते हैं इसलिए राजीव गांधी को आर्थिक उदारवाद के शुरुआत का श्रेय मिलना चाहिए।

राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़े प्रभावशाली नेता रहे, उन्होंने 1988 में चीन की यात्रा की जो ऐतिहासिक कदम था। इससे भारत के सबसे पेचीदा पड़ोसी माने जाने वाले चीन के साथ संबंध सामान्य होने में काफी मदद मिली। 1954 के बाद इस तरह की यह पहली यात्रा थी और सीमा विवादों के लिए चीन के साथ मिलकर बनाई गई ज्वाइंट वर्किंग कमेटी शांति की दिशा में एक ठोस कदम था।

अमेरिका के राष्ट्रपति भी राजीव गांधी की प्रतिभा का लोहा खुले तौर पर मानते थे।

राजीव गांधी के भाषणों में हमेशा 21वीं सदी में प्रगति का जिक्र हुआ करता था, उन्हें विश्वास था कि इन बदलावों के लिए अकेले तकनीक ही सक्षम है, उन्होंने टेलीकॉम और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी सेक्टर्स में विशेष काम करवाया।सिक्के वाले फोन जो मोबाइल से चलते अब अतीत में बदल चुके हैं, राजीव को अगले दशक में होने वाली तकनीक क्रांति के बीज बोने का श्रेय जाता है।

देश के लिए इतना सब कुछ देने के बाद उन्होंने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान भी दिया और शहीद होकर देश के इतिहास में अमर हो गए।

( लेखक नूंह विधायक व हरियाणा कांग्रेस विधायक दल के उप नेता चौधरी आफताब अहमद हैं )

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