मेवात के मुस्लिम युवाओं ने पेश की मुहब्बत की मिसाल, ऋभांसु कुमार को 3 किलोमीटर कंधे पर बैठाकर पहाड़ से उतारा।
यूनुस अलवी
नूंह/मेवात
मेवात हमेशा से ही सांझा संस्कृति और भाईचारे का सजग प्रहरी रहा है इसकी ताज़ा मिसाल है 28 अगस्त का मेवात हेरिटेज वाक-9,इंदौर का किला।
मेवात कल आज़ और कल द्वारा आयोजित 50 लोगो का एक ग्रुप इंदौर,तिजारा के किले पर सांस्कृतिक भर्मण पर जाते है,इन्ही में दिल्ली से एक लड़का शामिल होता है ऋभांसु कुमार और वह हिम्मत करके ग्रुप के साथ किले पर चढ़ तो जाता है लेकिन ऊपर जाकर उसकी हालत खराब हो जाती है,शरीर के अंग काम छोड़ देते है,आंखों से दिखाई देना बंद हो जाता है,शायद गर्मी में पसीना ज्यादा निकलने की वजह से पानी की कमी हो गई होगी,एक बार तो लगा कि कोई अनहोनी होने वाली है तभी साथी फिक्रमंद हुए,पानी पिलाया,आराम करवाया, कुछ जरूरी दवाएं दी,लेकिन मसला था कि तीन किलोमीटर पहाड़ की ऊंचाई से नीचे कैसे आया जावे,तभी साथियो ने कमर कसी और उस ऋभांसु को अपने कंधों पर बिठाया और नीचे तक लेकर आये और उनको दिल्ली तक सुरक्षित पहुँचाया।
उसने नीचे आने के बाद जो टिप्पणी की वह जानने लायक है उन्होंने कहा कि आज में अपने हिन्दू दोस्तो के साथ या अपने घरवालों के साथ भी होता तो मुझे इतने देर पीठ पर बिठाकर नही ला सकते थे,शुक्रिया मेवात के दोस्तों,बहुत बहुत शुक्रिया।
इसीलिए हम कहते है कि एक बार मेवात आकर तो देखो,मेवात मेवा है,मोहब्बत और त्याग का खजाना है।
रमज़ान चौधरी,,,,
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