मेवात का मुसलमान सही मायने में इसलाम धर्म पर चले तो दुनिया उनके कदम चूमेगी-मोहन सिंह अहलूवालिया।
-गोकसी जैसे कार्यो से मेवात का आपसी भाईचारा में फर्क पड़ रहा है।
-मुसलमान कभी झूंठ नहीं बोलता, किसी का दिल नहीं दुखाता, धोखा नहीं देता
-मेवात की गाय का दूध इंडिया गेट पर बेचें- भारतीय जीवजंतु कल्याणा बोर्ड के राष्ट्रीय सदस्य एंव पूर्व कमिष्नर मोहन सिंह अहलूवालिया
-गोकसी जैसे कार्यो से मेवात का आपसी भाईचारा में फर्क पड़ रहा है।
-मुसलमान कभी झूंठ नहीं बोलता, किसी का दिल नहीं दुखाता, धोखा नहीं देता
-मेवात की गाय का दूध इंडिया गेट पर बेचें- भारतीय जीवजंतु कल्याणा बोर्ड के राष्ट्रीय सदस्य एंव पूर्व कमिष्नर मोहन सिंह अहलूवालिया
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यूनुस अलवी
नूंह/हरियाणा
भारतीय जीवजंतु कल्याणा बोर्ड के राष्ट्रीय सदस्य एंव पूर्व कमिष्नर मोहन सिंह अहलूवालिया गांव फलैंडी में आयोजित गोरक्षा गोष्ठी समारोह में बतौर मुख्यअतिथि पहुंचे। समारोह की अध्यक्षता हरियाणा गोसेवा आयोग के सदस्य हकीम आस मोहम्मद ने की। इस मौके पर उनका फूूलमाला और पगडी बांधकर जोरदार स्वागत किया।
इस मौके पर आयोजित समारोह को सम्बोधित करते हुऐ मोहन सिंह अहलूवालिया ने कहा कि उसे अपने आप पर मेवाती होने पर गर्व महसूस होता है। लेकिन गोकसी जैसे कार्यो से मेवात का आपसी भाईचारा में फर्क पड़ रहा है। उन्होने कहा जिस कार्य से दूसरे धर्म का दिल दुषी हो वो कार्य नहीं करना चाहिए। क्योंकि मेवात इलाके में बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी है। जो अपने आप को मुसलमान कहते है। उनका कहना है कि बुराईयों को खत्म करने का नाम मुसलमान है।, मुसलमान कभी झूंठ नहीं बोलता, किसी का दिल नहीं दुखाता, धोखा नहीं देता, उसका पडौसी परेषान नहीं होता है। अगर मेवात का मुसलमान सही मायने में इसलाम धर्म पर चले तो दुनिया उनके कदम चूमेगी।
उन्होने अपने सम्बोधन में कहा कि मेवात में चंद लोग गोकसी करते हैं लेकिन बदनाम पूरे मेवातियों को होना पड रहा है। ऐसे लोगों पर हम सबको मिलकर लगाम लगाने की जरूरत है। मेवात पहले से ही गोपालन का कार्य करता आ रहा है। मेवात की गाय का दूध दिल्ली के इंडिया गेट पर बैचना चाहिए। इसमें वह मेवातियों का साथ देने को तैयार है। हरियाणा सरकार गाय खरीदने पर 25 हजार की सबसिडी दे रही है। जो भी मेवाती गोपालन करना चहाता है उन्हें अच्छी नसल की गाय दिलाने को तैयार है। उन्होंने कहा कि आज विश्व के विकसित देश भी भारतीय संस्कृति के अनुरूप मांसाहार को छोड़कर फिर से शाकाहार को अपनाने लगे हैं। भारतीय जीवन पद्धति में नित नए शोध कर उसे अपने जीवन का हिस्सा बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे बच्चे अपनी संस्कृति से दूर जा रहे हैं, जरूरत है आज के समय में अपनी संस्कृति को जानने की।
इससे पहले उन्होने पुन्हाना, फलैंडी, नूंह सहित अन्य जगहों पर पेड लगाये और सभी विभागों के अधिकारियों को आदेष दिये कि वे अपनी ओर से एक-एक पेड खरीदकर अपने कार्यालयों में लगायें और उसकी सेप्फी उसे भेजें।
मोहन सिंह अहलूवालिया ने कहा कि प्रकृति को भारतीय संस्कृति का आधार माना गया है। पेड़ पौधों में देवताओं का वास माना गया है। भारतीय संस्कृति में जीव जंतुओं व पेड़ पौधों को धर्म आधारित संज्ञा देकर जीवन का अहम हिस्सा बनाया गया है। हमारी संस्कृति में पीपल व गाय में देवताओं का वास माना गया है। इस मान्यता को हम लाखों-करोड़ों वर्ष से अपनाए हुए हैं।
फोटो-गांव फलैंडी में गोरक्षा गोष्ठी में मोहन सिंह अहलूवालिया
Author: Khabarhaq
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