दादा शाह चोखा का सालाना उर्स धूमधाम से मनाया
Younus Alvi
Nuh/Mewat
मेवात जिले के खोरी शाह चोखा स्थित अरावली पहाड़ पर करीब 500 साल पुरानी सैयद अली अकबर अली उर्फ दादा शाह चोखा पीर की दरगाह पर सालाना उर्स मनाया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में दरगाह हजरत निजामुद्दीन दिल्ली औलिया के साहेब सज्जादा नसीम फरीद अहमद निजामी सैयद बुखारी और वशिष्ठ अतिथि के रूप में भाजपा नेत्री नोक्षम चौधरी सहित काफी प्रमुख लोगो ने भाग लिया। भाजपा नेत्री ने दादा शाह चोखा की दरगाह पर पहुंचकर माथा टेका और इलाके में अमन व भाईचारे की दुआ मांगी ।
दरगाह हजरत निजामुद्दीन दिल्ली औलिया के साहेब सज्जादा नसीम फरीद अहमद ने अपने संदेश में इलाके के लोगो से अमन और भाईचारे के साथ रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आज मेवात और भारत में
सैयद अली अकबर अली उर्फ दादा शाह चोखा, निजामुद्दीन औलिया, ख्वाजा मोइनुद्दीन चिस्ती जैसे बड़े बड़े पीरो के कारण ही इस्लाम फैला है। उन बुजुर्गो ने हमेशा ही लोगों को इंसानियत को शिक्षा दी थी।
नोक्षम चौधरी ने कहा कि दादा शाह चोखा पर आने वाले सभी लोगो की मुरादें पूरी होती हैं।
आपको बता दें कि दादा शाह चोखा का सालाना उर्स , वफ़ाद की तारीख में सुबह फजर नवाज के बाद , यहाँ कुरान खानी होती है , नातिया कलाम , और तकरीरी प्रोग्राम होता है , उसके बाद लंगर खाकर अपने घर के लिए रवाना होते है ।
इस प्रोग्राम के मुख्य अतिथि दरगाह हजरत निजामुद्दीन दिल्ली औलिया के साहिबे सज्जादा नसीम फरीद अहमद निजामी सैय्यद बुख़ारी , व सोफी अलीशेर निजामी पहुचे , इसके अलावा मौलाना आसिफ असफाकि टाई , मास्टर अय्ये खान , जहटाना , मास्टर शोहराब गांवडी , नूरानी मस्जिद के इमाम मौलाना जमील अहमद तौफीक , नूरानी मस्जिद के इमाम मौलाना जमील अहमद एवं एडवोकेट ताहिर हुसैन कांमा के अलावा के हजारों की संख्या में मौलाना , मदरसा के छात्र व मौजिज लोगों ने उपस्थित दर्ज कराई ।
बॉक्स
बड़कली-पुन्हाना मार्ग पर बसा शाह चौखा गांव का यह मजार सैकड़ों फिट ऊंचाई पर बना हुआ है. इलाके में हिन्दू- मुस्लिम और अमूमन सभी धर्मों के लोग यहां मुराद मांगने और चादर चढ़ाने आते हैं. इस दुर्गम जगह पर बसे सैयद अली अकबर अली उर्फ शाह चौखा की मजार के पीछे भी एक कहानी है. गांव वाले बताते हैं कि 500 साल पहले जब दादा शाह चौखा ने इसी पहाड़ पर बैठ कर इबादत की थी। गांव वाले उन्हे चोखो आदमी यानी (बढ़ियां शख्सियत) कहने लगे। उसी दिन से उनका नाम दादा शाह चौखा नाम पड़ गया। असल में उनका नाम सैयद अली अकबर अली था।
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