आदेश की पालना न करने पर कंपनी मैनेजर को एक साल कैद
फाईनेंस कंपनी के मैनेजर को अधिनियम की धारा 72 के तहत ठहराया दोषी
अंत राम खटाना, नूंह।
जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के आदेश की पालना न करना एक फाईनेंस कंपनी को भारी पड गया। आयोग के आदेश की पालना न करने की सूरत में कंपनी के मैनेजर को एक साल कैद की सजा सुनाई गई है। आयोग द्वारा कंपनी के मैनेजर को अरेस्ट करने के लिए पुलिस अधीक्षक नूंह को वारंट भी जारी कर दिए हैं। आयोग द्वारा करीब चार माह पहले कंपनी मैनेजर को शिकायतकर्ता के लिए 5 लाख 80 हजार रुपये अदा करने के लिए आदेश दिए गए थे। लेकिन आदेश के बावजूद कंपनी ने उनकी पालना नहीं की। जिस पर आयोग द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 72 के तहत कंपनी के मैनेजर को दोषी माना गया। बता दें कि रोजकामेव निवासी मोहम्मद वाहिद द्वारा आयोग के समक्ष 14 जुलाई 2021 को एक शिकायत लगाई गई थी। जिसमें उन्होंने बताया कि उनके दो वाहनों को इंडूसिंड बैंक लिमिटेड, फरीदाबाद की कंपनी द्वारा फाईनेंस किया गया था। जिसके तहत उन्हें कंपनी को 24 हजार 500 रुपये प्रतिमाह की दर से तीन साल तक किस्त देनी थी। जबकि दूसरे वाहन की 22 हजार 500 रूपये प्रतिमाह की दर से 30 माह तक किश्त देनी थी। उन्होंने कंपनी को पहले वाहन के 9 लाख 37 हजार 441 रुपये 21 सितंबर 2016 तक जमा कर दिए। जबकि दूसरे वाहन के 6 लाख 56 हजार 898 रुपये 28 जुलाई 2017 तक जमा कर दिए। लेकिन इसके बावजूद भी कंपनी द्वारा उन्हें एनओसी जारी नहीं किया गया। शिकायतकर्ता ने कंपनी से बार-बार एनओसी देने के लिए निवेदन किया। इसी दौरान दोनों वाहनों की वैधता समाप्त हो गई और शिकायतकर्ता को दोनों वाहन 3 लाख 70 हजार रुपये में बेचने पडे। जबकि वाहनों की मार्किट वैल्यू 9 लाख 40 हजार रुपये थी। जिसकी वजह से उसे 5 लाख 70 हजार रुपये का नुकसान झेलना पडा। उक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए आयोग ने कंपनी को शिकातयकर्ता के नुकसान की भरपाई करने तथा दस हजार रुपये लिटिगेशन खर्चे के देने के आदेश किए। तय समयसीमा में आदेश की पालना न करने पर आयोग द्वारा कंपनी को 14 अक्तूबर 2022 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। लेकिन इसके बावजूद भी कंपनी की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया। जिस पर आयोग के अध्यक्ष बलजीत सिंह, सदस्य सर्वजीत तथा कैलाश कुमार यादव द्वारा कंपनी को अधिनियम की धारा 72 के तहत दोषी ठहराते एक साल कैद की सजा सुनाई गई।
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