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बाजरा मोटापे, मधुमेह, एनीमिया, हार्मोनल असंतुलन, उच्च कोलेस्ट्रॉल आदि जैसी कई बीमारियों से लड़ने में मदद करता है,

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सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने खेती विरासत मिशन के सहयोग से लुधियाना क्लब में मीडिया इंटरेक्शन और मिलेट लंच का आयोजन किया

बाजरा ग्लूटेन मुक्त, प्रोटीन में उच्च और स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है: श्री राजेंदर चौधरी, एडीजी

पंजाब में पराली जलाने का जवाब है बाजरा : उमेंद्र दत्त

 

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11 जनवरी, चंडीगढ़ 

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने आज खेती विरासत मिशन के सहयोग से लुधियाना क्लब में मीडिया से इंटरेक्शन और मिलेट लंच का आयोजन किया।

भारत सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष (आईवाईएम) 2023 के प्रस्ताव को प्रायोजित किया, जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) द्वारा अनुमोदित किया गया था। भारतीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी आईवाईएम 2023 को “जन आंदोलन” और भारत के लिए “बाजरा के लिए वैश्विक केंद्र” बनने की इच्छा व्यक्त की है। पीआईबी चंडीगढ़ द्वारा इस क्षेत्र में इस आंदोलन (मूवमेंट) की अगुवाई की जा रही है। उन्होंने स्थानीय मीडिया के लिए तरनतारन और चंडीगढ़ में भी मिलेट लंच का आयोजन किया है, ताकि मीडिया को बाजरा और इसके प्रचार के लिए अधिक मीडिया स्थान देने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।

श्री राजेंद्र चौधरी, एडीजी, पीआईबी चंडीगढ़ ने बातचीत के दौरान कहा कि “वेस्टर्न फास्ट फूड कल्चर अपनाने के कारण आज की युवा पीढ़ी कम उम्र से ही स्वास्थ्य संबंधी कई तरह की समस्याओं का सामना कर रही है। बाजरा विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के खिलाफ लड़ाई में सहायता कर सकता है। बाजरा लस (ग्लूटेन) मुक्त, प्रोटीन में उच्च, और कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाला होता है।इस प्रकार, वे वजन घटाने में भी मदद कर सकते हैं।”

उन्होंने कहा, “बाजरा उपभोक्ताओं और किसानों के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है।” उन्होंने अपनी बात को जारी रखा “बाजरा को उगाने के लिए कम पानी और बिजली की आवश्यकता होती है। बाजरा मोटापे, मधुमेह, एनीमिया, हार्मोनल असंतुलन, उच्च कोलेस्ट्रॉल आदि जैसी कई बीमारियों से लड़ने में मदद करता है, जिससे उपभोक्ता स्वस्थ जीवन जी सकेंगे। फलस्वरूप, यह संतुलित पोषक तत्वों का एक उत्कृष्ट स्रोत है।”आज के आयोजन का उद्देश्य मीडिया को बाजरा के बारे में जागरूक करना है। नतीजतन, खपत भी बढ़ेगी, जिससे मांग बढ़ेगी।”

 

कार्यक्रम के विशेष वक्ता, खेती विरासत मिशन के कार्यकारी निदेशक, श्री उमेंद्र दत्त ने कहा: “बाजरा को अब फ्रिंज फसल नहीं माना जाता है। वे चावल और गेहूं की चक्रीय कृषि के साथ प्रतिस्पर्धा में हैं। इसके अतिरिक्त, वे हमारे कार्बन फुटप्रिंट को कम कर सकते हैं।” उन्होंने पराली जलाने पर चर्चा करते हुए कहा “बाजरे का डंठल मवेशियों के लिए बहुत अच्छा भोजन है।” उन्होंने कहा “पशुओं के चारे के रूप में उपयोग किए जाने के कारण किसान बाजरे के डंठल को नहीं जलाते हैं। यह पंजाब में पराली जलाने के मुद्दे का भी जवाब हो सकता है।”

 

जगराओं के बाजरा उगाने वाले किसान श्री रसिंदर सिंह ने भी इस अवसर पर बात की और कहा कि बाजरा भी जी-20 बैठकों का एक अभिन्न हिस्सा है और प्रतिनिधियों को इसे चखने, किसानों से मिलने और बाजरा से जुड़े हुए स्टार्ट-अप के साथ इंटरैक्टिव सत्र के माध्यम से बाजरा का सच्चा अनुभव दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा, “अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष 2023 के उपलक्ष्य में, बाजरा पर उचित ध्यान देने के लिए सरकार के प्रयासों को सही मायने में देखा जा रहा है, और वर्तमान बैठक का भी ऐसा ही करने का इरादा है।”

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Author: Khabarhaq

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